कोरबा 05 मई। खदान प्रभावित गांव रलिया, भिलाईबाजार का आंशिक भू-अर्जन रदद् कर संपूर्ण जमीन का अर्जन किया जाएगा। इस संबंध में अधिकारिक स्तर पर आवश्यक प्रक्रिया शुरू की गई है, और जल्द ही धारा चार की प्रकाशन किया जाएगा। प्रबंधन ने भू-विस्थापितों के साथ बैठक कर आश्वस्त किया कि सभी पात्र भू-विस्थापित को रोजगार मिलेगा। जहां पर संशोधन की आवश्यकता है, वहां उपाय किया जाएगा। खाता संयोजन का मामला बोर्ड में शामिल की जाएगी।
बैठक में प्रबंधन ने कहा कि संगठन के मांगो पर एसईसीएल गंभीरता से विचार कर रही है। त्रिपक्षीय समझौते के बाद कई महत्वपूर्ण पालिसी शामिल किए गए हैं। पुराने रोजगार के प्रकरणों सहित नए रोजगार प्रदान किए गए। साथ ही शासन से प्राप्त सभी प्रकार के पट्टों में सभी सुविधाएं लागू होगी और वन भूमि शासकीय भूमि पर निर्भर आदिवासी व परंपरागत रूप से रह रहे लोगों भूमिहीन किसानों को लाभ दी जाएगी । मेगा प्रोजेक्ट में भू. विस्थापित परिवारों के लिए लागू बसाहट, ठेका सहित अन्य सभी सुविधाएं कोरबा क्षेत्र और एसईसीएल के दूसरे क्षेत्रों में लागू करने के लिए ड्राफ्ट बनाया जा रहा है। जिसे बोर्ड में पारित होने के लिए रखा गया हैं। इसी तरह नए दर पर जमीन का मुआवजा के लिए भी कार्रवाई जारी है। बैठक में पूर्व में अर्जित और खदान बंद होने पर मूल खातेदारों को जमीन वापसी होगी। सीबीए में संशोधन की प्रकिया पूरी हो चुकी है और लोकसभा व राज्य सभा में स्वीकृत हेतु भेजी गई है। भू-विस्थापित बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए मदद दी जाएगी। इसके साथ ही महिलाओं के लिए स्वरोजगार योजना उपलब्ध कराया जाएगा। ऊर्जाधानी संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि 11 सूत्रीय मांगों पर पांच चरणों में आंदोलन की घोषणा की गई थी और गेवरा तथा दीपका बंद के बाद वार्ता शुरू की गई है। कुसमुंडा में आयोजित त्रिपक्षीय वार्ता में सभी मांगो पर सकारात्मक निर्णय लिया गया और एक माह में इस प्रगति होने की आश्वासन दिया गया है। यदि प्रबंधन वादाखिलाफी करती है, तो कुसमुंडा से ही आंदोलन शुरू होगा।
एसईसीएल के कुसमुंडा के सभाकक्ष में त्रिपक्षीय वार्ता में बिलासपुर मुख्यालय से श्रम शक्ति व विभिन्न विभाग प्रमुखों समेत जिले के महाप्रबंधक और तहसीलदार दीपका और संगठन के प्रमुख पदाधिकारी व भू-विस्थापित मौजूद रहे। वार्ता में निदेशक मंडल के सदस्यों को भी शामिल होना था, किंतु दिल्ली में कोल इंडिया के बोर्ड कमेटी की मीटिंग में जाने के कारण उपस्थित नही हो सके। इसलिए भू-विस्थापित हाथ में तख्ती लेकर विरोध दर्ज कराते हुए वार्ता में शामिल हुए। पांच घंटा चली बैठक में के दौरान ज्ञापन के सभी एजेंडा समेत अन्य समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई।