कही-सुनी ( 21 MAY-23):
रवि भोई
संवैधानिक संस्था पर राजनीति
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग याने पीएससी फिर सुर्ख़ियों में है। इस बार भी चयन सूची को लेकर विवाद है। वैसे छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का विवादों से पुराना नाता है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है। किसी संवैधानिक संस्था का इस प्रकार बार-बार विवादों में रहना राज्य के हित में नहीं माना जा सकता। विवादस्पद संस्था से सलेक्ट लोकसेवक कैसे लोकहित में काम करेंगे,यह बड़ा सवाल है। सरकार किसी भी दल की रहे, राज्य की मशीनरी को चलाने वाले जहां से निकलते हैं, वहां थोड़ी सी आंच पर जांच करा लेनी चाहिए और दूध का दूध और पानी का पानी कर लेना चाहिए। दुर्भाग्य है कि इस बार विवाद के साथ राजनीति भी खूब हो रही है और राजनीतिक दल एक-दूसरे के कपड़े उतारने में लग गए हैं। पीएससी को पाक-साफ़ करने में किसी की दिलचस्पी नहीं दिख रही है। पानी में लाठी पीटने की जगह पीएससी के माथे पर लगे कालिख को धोने का प्रयास होना चाहिए।
मंत्री रूद्र गुरु खफा क्यों ?
चर्चा है कि पीएचई मंत्री रुद्रकुमार गुरु बड़े खफा हैं और वे अपनी बात कांग्रेस की प्रभारी महासचिव सुश्री सैलजा के सामने रखना चाहते थे, पर रख नहीं पाए। कहते हैं पीएचई विभाग में मंत्री के पसंद के न तो सचिव हैं और न ही जल जीवन मिशन के प्रबंध संचालक। पीएचई विभाग के ईएनसी मगनलाल अग्रवाल पहले हटाए जा चुके हैं। विभाग में कोई बड़े अफसर न होने के कारण अग्रवाल साहब को फिर ई एन सी का चार्ज मिल गया। कहा जाता है कि पुराने ईएनसी टी जी कोसरिया और जल जीवन मिशन के प्रबंध संचालक आलोक कटियार में पटरी नहीं बैठने के कारण मंत्री रूद्र गुरु की कुछ चल जाती थी। पीएचई के ईएनसी जल जीवन मिशन के एडिशनल प्रबंध संचालक भी होते हैं। खबर है कि जल जीवन मिशन में करीब दो हजार करोड़ के टेंडर जारी हुए हैं। टेंडर जल्दी खोलकर काम भी फटाफट किए जाने हैं।
भाजपा के नेता पसोपेश में
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को छह महीने बचे हैं और नेता तय नहीं कर पा रहे हैं कि भाजपा का चुनावी कमान किसे सौंपा जाय। भाजपा हाईकमान ने ओम माथुर, अजय जामवाल और नितिन नबीन को रणनीतिकार और मार्गदर्शक के तौर पर छत्तीसगढ़ भेजा है। अभी ये बैठकों से उबर नहीं पा रहे हैं। कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद माना जा रहा है कि लोकल नेताओं को तवज्जो मिलेगा और हाईकमान अपना निर्णय थोंपने के रुख में बदलाव करेगा। अब देखते हैं क्या होता है , पर भी तो नेता असमंजस में हैं कि चुनाव की कमान पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह को सौंपे या दूसरे किसी नेता को। कहते हैं चुनाव की कमान संभालने के लिए पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और आदिवासी नेता रामविचार नेताम भी इच्छुक हैं।
ईडी फीवर
कहते हैं छत्तीसगढ़ में कुछ लोगों को ईडी फीवर हो गया है। इस फीवर से सबसे ज्यादा परेशान चर्चित अफसर,नेता और बड़े कारोबारी हो रहे हैं। कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा है। कहा जा रहा है कि ईडी का नोटिस मिलने के बाद एक अफसर बयान देने जाने की जगह अस्पताल में भर्ती हो गए। लोग कह रहे हैं कि भरपूर मलाई खाने के बाद छाछ को भी नहीं छोड़ने से ऐसा तो होना ही था। ईडी की पूछताछ से बचने के लिए एक कारोबारी भी अस्पताल पहुंच गए। नायक फिल्म के एक दृश्य की तरह कहीं ईडी लाव-लश्कर के साथ अपने वांटेड लोगों से पूछताछ करने के लिए अस्पताल न पहुंच जाय और उंगुली टेढ़ी न कर दे।
क्या कोरबा के कलेक्टर-एसपी बदलेंगे ?
कहते हैं कोरबा के कलेक्टर संजीव झा और एसपी यू उदय किरण से राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल बड़े नाराज हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की प्रभारी महासचिव सुश्री सैलजा की बैठक में मंत्री जी ने कलेक्टर-एसपी द्वारा उनकी अनसुनी का मुद्दा उठाया था। अब कहा जा रहा है कि कोरबा के कलेक्टर और एसपी को जल्दी ही बदला गया तो मतलब साफ़ होगा कि मंत्री जी की बात सुनी गई और नहीं बदला गया तो संकेत होगा मंत्री जी वजनदार नहीं हैं। कलेक्टर रानू साहू की भी मंत्री जयसिंह अग्रवाल से पटरी नहीं बैठ पाई थी।
क्या अरविंद नेताम भाजपा में जाएंगे
कहते हैं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम का भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल करना चाहती है। आदिवासी नेता अरविंद नेताम राज्य के बड़े चेहरों में से एक हैं। वे इन दिनों कांग्रेस से खफा हैं। सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले नेताम जी अपना ताल ठोंक रहे हैं। भानुप्रतापपुर उपचुनाव में सर्व आदिवासी समाज का उम्मीदवार खड़ाकर नेताम जी अपनी ताकत दिखा चुके हैं। कांग्रेस ने भाजपा के आदिवासी चेहरा नंदकुमार साय को तोड़कर राज्य की राजनीति को गरमा दी है। कहते हैं अब भाजपा अरविंद नेताम को साधकर कांग्रेस को पटखनी देने की रणनीति पर चल रही है। खबर है कि पिछले दिनों भाजपा के प्रभारी ओम माथुर और अरविंद नेताम की लंबी चर्चा भी हो चुकी है।
प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा
पिछले दिनों कांग्रेस की प्रभारी महासचिव सुश्री सैलजा की मंत्रियों और पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक के बाद राज्य में जल्द ही प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा है। कहते हैं इस बैठक में कई मंत्रियों ने अपने विभाग में अपने पसंद के सचिव न होने और जिले में मनपसंद कलेक्टर-एसपी न होने की बात की। कहते हैं एक मंत्री ने तो अपने विभाग में पसंद के अफसर न होने पर इस्तीफा देने की बात कह दी , वहीं एक मंत्री ने अफसरों द्वारा उनकी जमीन नपवाने की बात की। इस फेरबदल में कलेक्टर-एसपी के साथ कई विभाग के सचिव भी इधर-उधर हो सकते हैं।
कुछ नेता ईडी के निशाने पर
कहा जा रहा है मई का आखिरी सप्ताह कुछ नेताओं पर भारी पड़ सकता है। खबर है कि ईडी राज्य के कुछ नेताओं पर सख्ती बरत सकती है। ईडी ने पिछले हफ्ते कुछ नेताओं और अफसरों को पूछताछ के लिए तलब कर चुकी है। कुछ कारोबारियों को भी बुलाया था। एक जनप्रतिनिधि को भी पूछताछ के लिए बुलाए जाने की चर्चा है। नोटिस के बाद भी एक अफसर हाजिर नहीं हुए। ईडी के रुख का लोगों को इंतजार है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)
कही-सुनी @ रवि भोई, सम्पर्क- 098936 99960