January 24, 2025 |
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a

BREAKING NEWS

आदिवासी बाहुल्य इलके के जनमन सड़क निर्माण मे धांधली  PMGSY के तहत पुलिया निर्माण में बरती जा रही भारी अनियमितता, विभाग मौन…निगम पार्षद के लिए दूसरे दिन 2 नामांकन पत्र जमा किए गएअवैध रेत खनन व परिवहन प्रशासन का शिकंजा,नायब तहसीलदार ने की कार्रवाई,रेत से भरा 5 ट्रैक्टर किया जब्तKanker news:– छेरछेरा नृत्य कर बच्चों के द्वारा जमा किए हुए चावल को बेचकर शराब पी गया शिक्षक, घंटों स्कूल में नशे में धुत्त पड़े रहने का वीडियो वायरललगभग 70 लाख रुपए के 2238 क्विंटल धान के रकबे का किया समर्पण संयुक्त सत्यापन टीम ने फिर की कार्रवाईCG : निकाय चुनाव: इस पार्टी ने प्रत्याशियों की घोषणा देखें सूची…गौवंशों के लिए अखिल जैन के कार्य प्रशंसनीय : अनुसुइया उईकेछत्तीसगढ़ में फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन: वस्तुस्थिति, संभावना और चुनौतियां…समस्त कार्यालयों में मनाया जाएगा राष्ट्रीय मतदाता दिवसहाण्डीपारा में देशी पिस्टल के साथ युवक गिरफ्तार
IMG-20241027-WA0039
IMG-20241027-WA0039

कही-सुनी @ रवि भोई

अपनी भाषा में ख़बरें पढ़े

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article
हर रविवार

कही-सुनी (28 MAY-23 )

आदिवासी सीटों पर भाजपा की नजर

कहते हैं भाजपा की नजर राज्य की 29 आदिवासी सीटों पर हैं। आदिवासी सीटों पर पकड़ बनाने के लिए भाजपा के तमाम नेता आदिवासी इलाकों पर फोकस कर रहे हैं। भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओमप्रकाश माथुर लगातार बस्तर का दौरा कर रहे हैं। वे पिछले महीने भी गए थे। 28 मई से चार दिन के दौरे पर फिर जाने वाले हैं। भाजपा की नजर कांग्रेस के असंतुष्ट आदिवासी नेताओं पर है। कहते हैं कांग्रेस के असंतुष्ट आदिवासी नेता अरविंद नेताम को भाजपा पार्टी में शामिल कर नंदकुमार साय का बदला लेना चाहती है, पर अरविंद नेताम भाजपा में शामिल होने की जगह बाहर से मदद के पक्ष में हैं। कहा जा रहा है आदिवासी वोटरों को साधने के लिए भाजपा चुनाव समिति का प्रमुख किसी आदिवासी नेता को बनाना चाहती है। चुनाव समिति के प्रमुख के लिए आदिवासी नेता विष्णुदेव साय और रामविचार नेताम चर्चा में है। खबर है कि चुनाव समिति का प्रमुख डॉ रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल भी बनना चाहते हैं। चुनाव को छह महीने बचे हैं। अब देखते हैं पार्टी हाईकमान कब निर्णय लेता है।

विधायक वजनदार, मंत्री लाचार

सरकार ने कांग्रेस के विधायक बृहस्पत सिंह की मर्जी के खिलाफ काम करने वाले बलरामपुर के एसपी मोहित गर्ग का तबादला कर दिया, लेकिन एक मंत्री के खिलाफ चलने वाले एसपी का बाल बांका भी नहीं हुआ। मंत्री जी की आवाज नक्कार खाने की तूती बनकर रह गई। मंत्री जी ने पार्टी की शीर्ष बैठक में भी एसपी का मुद्दा उठाया था। विधायक बृहस्पत सिंह ने एसपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, इस कारण एसपी के हटने संभावना पहले से ही थी। मोहित गर्ग को बटालियन में भेज दिया गया है। बृहस्पत सिंह का किसी अफसर से 36 के आंकड़े का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी कुछ अफसरों से टकराहट हो चुकी है।

ढेबर से खफा विधायक

कहते हैं रायपुर के महापौर एजाज ढेबर से रायपुर के तीनों कांग्रेसी विधायक खफा हैं। चर्चा है कि मर्जी के मुताबिक काम नहीं होने के कारण विधायक अपनी पार्टी के महापौर के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। करीब छह महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और शहर विकास का सामना विधायकों को ही करना पड़ेगा। चुनाव सिर पर होने के कारण विधायकों को विकास काम की चिंता सताने लगी है।खबर है कि विधायक कुलदीप जुनेजा, सत्यनारायण शर्मा और विकास उपाध्याय महापौर के रुख की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की है। कहा जा रहा है कि तीनों विधायक शुरू से एजाज ढेबर को महापौर बनाने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री की इच्छा के सामने विधायकों की नहीं चली। महापौर एजाज ढेबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का करीबी माना जाता है। अब देखते हैं आगे क्या होता है।

डॉ. अभिषेक पल्लव खजूर के पेड़ पर अटके

सोशल मीडिया स्टार के तौर पर ख्यात 2013 बैच के आईपीएस डॉ. अभिषेक पल्लव को सरकार ने दुर्ग जैसे पुराने और प्रतिष्ठित जिले के एसपी पद से हटाकर कबीरधाम की कमान सौंप दी है। कहते हैं फेसबुक लाइव और सार्वजानिक कार्यक्रमों में सक्रियता अभिषेक पल्लव की राह में रोड़े बन गए। सरकार ने अभिषेक पल्लव को दंतेवाड़ा से दुर्ग लाया था, पर वे सोशल मीडिया में एक्टिव रहने के कारण ज्यादा चर्चित हो गए। खबर है कि भिलाई में आयोजित भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कुछ लोगों ने कहा भी कि उनसे ज्यादा तो वे एसपी अभिषेक पल्लव को जानते हैं। इसके बाद से ही लोग अभिषेक पल्लव के दुर्ग से हटने के कयास लगाने लगे थे। दुर्ग मुख्यमंत्री का गृह जिला है। अभिषेक पल्लव अब कबीरधाम के एसपी होंगे, जो दुर्ग से छोटा है। पिछले कुछ महीनों से कबीरधाम (कवर्धा) को काफी संवेदनशील भी माना जा रहा है।

भाजपा नेता का वन विभाग प्रेम

कहते हैं भाजपा के एक नेता का राज्य के वन विभाग से बड़ा प्रेम हो गया है और वे पार्टी के दूसरे नेताओं को वन विभाग के खिलाफ बोलने या लिखा-पढ़ी करने से रोकते हैं। कहा जाता है कि कुछ दिनों पहले भाजपा के कुछ नेताओं ने वन विभाग में गड़बड़ियों का पुलिंदा निकाला था और उसकी शिकायत भारत सरकार से करने के साथ सार्वजनिक भी करना चाहते थे, लेकिन वन विभाग प्रेमी भाजपा नेता ने ऐसा करने से रोक दिया। खबर है कि यह भाजपा नेता वन विभाग का आडिट करते हैं। इस कारण वन विभाग से उनका मोह है, साथ ही भय भी है कि भाजपा ही वन विभाग के साथ उलटा-सीधा कर दे तो उनकी दाल-रोटी की व्यवस्था ही छिन जाएगी।

भाजपा में नूरा-कुश्ती

कहते हैं प्रदेश भाजपा में इन दिनों प्रभारी सचिव नितिन नबीन और राज्य के कुछ नेताओं के बीच नूरा-कुश्ती का खेल चल रहा है। कहा जा रहा है कि नितिन नबीन राज्य के कुछ बड़े नेताओं को दरकिनार कर निर्णय लेना चाहते हैं। खबर है कि नितिन नबीन ने फैसले के लिए उन्हीं नेताओं से जमीन तैयार करवाई थी। भनक लगते ही राज्य के नेताओं में नितिन नबीन के प्लान को फेल कर दिया। माना जा रहा है कि नितिन नबीन राज्य के कुछ नेताओं से काफी जूनियर हैं। इस कारण वे बड़े नेताओं पर अपनी मर्जी थोप नहीं पाते। वे पुराने नेताओं से जमीन तैयार करवाकर फसल काट लेना चाहते हैं। इस कारण नितिन नबीन और राज्य के पुराने नेताओं में ‘तू डाल -डाल मैं पात-पात’ की कहावत चरितार्थ हो गई है।

अब आईएएस अफसरों के तबादलों की बारी

भूपेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के 12 जिलों के एसपी बदल दिए। 26 मई को जारी आदेश में जूनियर आईपीएस अफसरों को बड़े जिलों की कमान सौंपकर उन पर भरोसा जताया गया है तो वरिष्ठ आईपीएस को छोटे और कम महत्व वाले जिले दिए गए हैं। 2017 बैच के आईपीएस सुनील शर्मा को सुकमा जैसे छोटे से जिले की जगह सरगुजा जैसा बड़ा जिला सौंपा गया है। 2014 बैच के शलभ सिन्हा को ट्राइबल इलाके से हटाकर मुख्यमंत्री ने अपने गृह जिले दुर्ग की कमान सौंपी है। कुछ आईपीएस को छोटा जिला दिया गया है तो तीन को लूप लाइन में भेज दिया गया। अब कहा जा रहा है कि 7-8 जिलों के कलेक्टर और मंत्रालय के कुछ अफसरों को भी इधर से उधर किया जाएगा। उम्मीद है कि अगले हफ्ते फेरबदल हो जाएगा।

सरकार में बने रहेंगे अलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ?

कहा जा रहा है रिटायर्ड आईएएस आलोक शुक्ला की संविदा अवधि बढ़ जाएगी और वे सरकार में बने रहेंगे। आलोक शुक्ला की तीन साल की संविदा अवधि 31 मई को समाप्त हो रही है। प्रमुख सचिव संसदीय कार्य के विरुद्ध संविदा पर कार्यरत आलोक शुक्ला स्कूल शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के प्रमुख सचिव हैं। वे माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा भी उनके पास कई जिम्मेदारियां हैं। उद्योग संचालक अनिल टुटेजा भी इस महीने के आखिर में रिटायर हो जाएंगे। माना जा रहा है कि भूपेश सरकार अनिल टुटेजा को भी संविदा नियुक्ति दे देगी। कहते हैं अनिल टुटेजा उद्योग संचालक के साथ सरकार के कई महत्वपूर्ण काम संभालते हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

कही-सुनी @ रवि भोई, सम्पर्क- 098936 99960

Nyay Dhani
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a