December 1, 2024 |
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a

BREAKING NEWS

भूपेश के फैसले को पलटेगी विष्णु सरकार, अध्यादेश का मसौदा तैयारACB ने जीआरपी के 3 सिपाही और लेखा अधिकारी के ठिकानों पर मारा छापानशे के विरुद्ध कार्रवाई, एक आरोपी 1200 नग प्रतिबंधित दवा जब्तचतुर्दशी तिथि पर महावीर स्वामी का अभिषेक,शांति धारा व विशेष पूजनजंगल में मिला 15 दिन से लापता दंपति का शव, जांच में जुटी पुलिससिकल सेल एनिमिया व ब्रेस्ट कैंसर के लिए जन जागरूकता अभियान चलाएं : राज्यपालCG देशी मुर्गे का रिश्वत: बैंक मैनेजर लोन देने की एवज में किसान!प्रोफेसर के 595 पदों पर भर्ती हेतु 2 दिसंबर से 16 दिसंबर तक किए जाएंगे दस्तावेज सत्यापन,प्रधान आरक्षक के पत्नी व बेटी के हत्याकांड के आरोपी कबाड़ी की मदद करने वाला आरक्षक हुआ बर्खास्तKORBA:एक साल में कर्जदार से लखपति बना डायरेक्टर तो कैशियर ने बना लिया तीन मंजिला भव्य मकान 
IMG-20241027-WA0039
IMG-20241027-WA0039

कही-सुनी @ रवि भोई

अपनी भाषा में ख़बरें पढ़े

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article
हर रविवार

कही-सुनी (25 JUNE-23):रवि भोई

क्या मरकाम और सैलजा में खिंचेगी तलवार ?

कहा जा रहा है कि कांग्रेस की छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के आदेश को रद्द कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। सवाल उठाया जा रहा है कि प्रभारी महासचिव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के कामकाज में दखल देने का अधिकार है या नहीं ? सैलजा के फरमान के बाद अब तक मोहन मरकाम ने प्रदेश कांग्रेस के महामंत्रियों के काम का नए सिरे से बंटवारे वाले आदेश को निरस्त नहीं किया है। मरकाम ने सैलजा के पत्र की समीक्षा की बात कर कई संदेश दे दिए हैं। मरकाम के रुख को देखकर लोग अंदाज लगा रहे हैं कि उन्हें दिल्ली से किसी का आशीर्वाद मिला हुआ है। अध्यक्ष के तौर पर मरकाम का कार्यकाल पूरा हो चुका है, फिर भी वे पद में बने हैं। कुछ महीने पहले मरकाम की जगह सांसद दीपक बैज को अध्यक्ष बनाए जाने की हवा चली थी। हवा किधर गई पता नहीं चला। प्रदेश अध्यक्ष के लिए मरकाम का चयन राहुल गाँधी ने किया था। देखते हैं मरकाम झुकते हैं या सैलजा कोई रास्ता निकालती हैं। वैसे तो प्रदेश प्रभारी की भूमिका को रेफरी की तरह मानी जाती है। खबर है कि महामंत्री प्रशासन और संगठन का काम देख रहे रवि घोष को बस्तर भेजने और अमरजीत चावला को युवक कांग्रेस और एनएसयूआई की जिम्मेदारी देकर राजधानी में बैठाने से प्रदेश संगठन में बवाल मचा है। विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले सत्तारूढ़ दल में झगड़े से विपक्ष को वार का मौका मिल गया है।

भाजपा अध्यक्ष के नए-नए प्रयोग

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव पार्टी को गति देने और कामकाज में निखार लाने के लिए नए-नए प्रयोग शुरू कर दिए हैं। पार्टी की नीति तय करने लिए अनुसंधान का काम अब नेताओं की जगह बुद्धिजीवी करेंगे, वहीं अध्यक्ष जी के कार्यक्रम तय करने और दौरे के लिए भी अलग विभाग बना दिया गया। अध्यक्ष जी के नए-नए प्रयोग पर पार्टी के भीतर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सबसे ज्यादा चर्चा नीति अनुसंधान टीम को लेकर है। खबर है कि नीति अनुसंधान टीम में अब तक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद रामविचार नेताम थे। अध्यक्ष जी ने नेताओं की जगह नीति अनुसंधान का काम पार्टी प्रवक्ता और पार्टी से जुड़े बुद्धिजीवियों को सौंपा है। पुरानी टीम में प्रेमप्रकाश पांडे नीति अनुसंधान टीम के संयोजक हुआ करते थे। अब हिंदी ग्रन्थ अकादमी के पूर्व संचालक शशांक शर्मा को इस टीम का संयोजक बनाया गया है। इस टीम की लिस्ट में नाम का उलट-पुलट सुर्ख़ियों में हैं। कहते हैं इस टीम की पहली सूची में भाजपा के मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी का नाम पांचवें नंबर पर था। कुछ घंटों बाद नई सूची जारी हुई, जिसमें अमित चिमनानी का नाम चौथे नंबर पर और उज्जवल दीपक का नाम चौथे से छठवें नंबर पर आ गया। नाम में ऊपर-नीचे का खेला लोगों के जिज्ञासा का कारण बन गया है।

सर्व आदिवासी समाज राजनीतिक पार्टी बनाने की दिशा में

कहते हैं सर्व आदिवासी समाज 2023 के चुनाव के पहले राजनीतिक पार्टी बनाकर मैदान में जोर आजमाईश की कोशिश में लगी है। खबर आ रही है कि सर्व आदिवासी समाज “हमर राज ” नाम से नई पार्टी पंजीकृत करवा कर आदिवासी इलाकों में अपना उम्मीदवार खड़े करेगी। माना जा रहा है कि सर्व आदिवासी समाज की तरफ से नई पार्टी बनाने की प्रक्रिया जारी है और चुनाव आयोग तक मामला पहुंच भी गया है। कहा जा रहा है कि सर्व आदिवासी समाज से जुड़े कुछ लोगों को कांग्रेस अपने पाले में करने की कोशिश में जुटी है, अब देखते हैं कांग्रेस को कितनी सफलता मिलती है। पहले ही प्रयास में भानुप्रतापपुर उपचुनाव में तीसरे स्थान पर आने से सर्व आदिवासी समाज के हौसले तो बुलंद हैं ही। आदिवासी समाज की तरफ कांग्रेस ही नहीं, भाजपा भी देख रही है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए आदिवासी विधायकों की अहम भूमिका रहती है।

निरंजन दास का क्या होगा ?

रिटायर्ड आईएएस निरंजन दास को ईडी गिरफ्तार करेगी या नहीं ? इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। निरंजन दास शराब घोटाले में ईडी के निशाने पर हैं। जिला अदालत ने निरंजन दास की जमानत याचिका खारिज कर दी है, ऐसे में निरंजन दास को ईडी कभी भी अपने कब्जे में ले सकती है। निरंजन दास लंबे समय तक आबकारी आयुक्त थे। कहा जा रहा है कि निरंजन दास के कार्यकाल में ही राज्य में आबकारी घोटाला हुआ। डिप्टी कलेक्टर से आईएएस बने निरंजन दास को सरकार ने रिटायरमेंट के बाद संविदा नियुक्ति दी थी और वही विभाग सौंपे थे, जो विभाग उनके पास पहले से थे, लेकिन ईडी के फेर में फंसने के बाद सरकार ने उनसे सारे विभाग वापस ले लिए और करीब आधा दर्जन अफसरों में बांट दिए।

सेवावृद्धि के लिए आईपीएस का दिल्ली में डेरा

कहते हैं राज्य के एक आईपीएस अपनी सेवावृद्धि के लिए पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। ये अफसर जल्दी ही सेवानिवृत होने वाले हैं। कह जा रहा है ये अफसर भारत सरकार में कई पदों पर प्रतिनियुक्ति पर रहें। इस कारण केंद्र सरकार के अधिकारियों से इनके संबंध अच्छे हैं। आईपीएस अफसरों को भारत सरकार ही सेवावृद्धि देती है। भले इसके लिए राज्य सरकार से केंद्र सरकार को प्रस्ताव जाता है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के राज में अभी तक किसी आईएएस या आईपीएस को सेवावृद्धि नहीं मिली है।

क्या अब ईडी की कार्रवाई तेज होगी ?

कयास लगाया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद ईडी की कार्रवाई तेज होगी। कहते हैं पिछली बार अमित शाह के राज्य के दौरे से जाने के बाद ईडी की कार्रवाई तेज हुई थी। वैसे भी 22 जून को दुर्ग की सभा में अमित शाह ने भूपेश सरकार पर तीखे हमले किए। हवा उड़ी है कि राज्य में जून के आखिरी या जुलाई के पहले हफ्ते में ईडी धमाका कर सकती है। ईडी अब तक कोयला, शराब और कृषि उपकरणों की सप्लाई करने वालों को अपने निशाने पर ले चुकी है। पिछले दिनों आयकर विभाग ने सोलर पैनल सप्लाई करने वालों पर छापा डाला था। सोलर पैनल सप्लाई में बड़ा गड़बड़ झाला होने पर ईडी को जांच सौंपने की खबर है।

वैशाली नगर सीट में नहीं होगा उपचुनाव

भाजपा विधायक विद्यारतन भसीन से रिक्त वैशाली नगर विधानसभा सीट के लिए अब उपचुनाव की कोई संभावना नहीं है। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए संभवतः अक्टूबर में अधिसूचना जारी हो जाएगी। इस कारण उपचुनाव की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। विद्यारतन भसीन का दो दिन पहले ही निधन हुआ है। विधानसभा के रिक्त सीट पर छह माह के भीतर चुनाव कराने होते हैं। विधानसभा सचिवालय एक-दो दिन के भीतर चुनाव आयोग को वैशाली नगर विधानसभा सीट रिक्त होने की सूचना भेज देगा। इस अवधि के बाद छह माह के भीतर राज्य में विधानसभा चुनाव ही हो जाएगा।

जज पर गिरी गाज

कहते हैं हाईकोर्ट ने एक जज को राज्य के शीर्ष पद से जिला स्तर के पद पर भेज दिया। छत्तीसगढ़ में यह दूसरा मर्तबा है जब हाईकोर्ट ने एक जज को राज्य के शीर्ष पद से जिला स्तर के पद पर भेजा है। कहा जा रहा है इस जज के कुछ रिश्तेदार गड़बड़ी के मामलों में जेल में हैं। इन मामलों की आंच जज पर भी आई थी।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

कही-सुनी @ रवि भोई, सम्पर्क- 098936 99960

Nyay Dhani
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a