कोरबा के भू- माफिया, शासकीय और एसईसीएल की जमीन को प्लाट काटकर खुलेआम बेच रहे
कोरबा 15 जून। छत्तीसगढ़ के कोरबा में भू माफिया के हौसले इन दिनों बुलंदी पर हैं। कोरबा शहर में जहां करोड़ों रुपयों की सरकारी जमीन अवैध रूप से बेची जा चुकी है, वहीं कोरबा नगर निगम के भिलाई खुर्द वार्ड में अरबों रुपयों की बेशकीमती जमीन पर बेजा कब्जा कर और उस पर प्लाटिंग कर अवैध रूप से खरीदी बिक्री का गोरखधंधा जोर-शोर से जारी है।
नगर निगम कोरबा का भिलाई खुर्द वार्ड कोरबा – चाम्पा स्टेट हाइवे पर सड़क के दोनों ओर बस हुआ है। भिलाई खुर्द गांव साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के कोरबा एरिया की कोयला खदान के लिए पूर्व से अधिग्रहित है। हालांकि अब तक इस गांव तक एसईसीएल ने अपनी कोयला खदान का विस्तार नहीं किया है। लेकिन निकट भविष्य में यहां नया कोयला खदान खुलना प्रस्तावित है। इससे ईतर, कोरबा नगर निगम क्षेत्र में होने और कोरबा – चाम्पा स्टेट हाइवे पर होने की वजह से भिलाई खुर्द की जमीन बेशकीमती हैं। कोरबा शहर की करोड़ों रुपयों की शासकीय और सिंचाई विभाग की जमीनों की अफरा-तफरी करने के बाद कोरबा के भू-माफिया की नजर भिलाई खुर्द की बेशकीमती जमीन पर पड़ी और उसने बड़ी दिलेरी के साथ 100 एकड़ से अधिक जमीन पर कब्जा कर प्लाटिंग शुरू कर दी। इतना ही नहीं साधारण स्टांप में लिखा पढ़ी कर यहां की जमीन की खरीदी बिक्री भी शुरू कर दी है।
कोरबा – चाम्पा स्टेट हाइवे पर चाम्पा की ओर जाने पर बन्द कोयला खदान से लगकर हसदेव बांयी तट नहर है। नहर पार करते ही बेजा कब्जा का हौलनाक नजारा दिखाई पड़ता है। सड़क किनारे से लेकर पीछे हसदेव नदी तक ग्रीन नेट और बांस बल्ली से बेशकीमती जमीन को घेर लिया गया है। बेजा कब्जा का दायरा नहर से लेकर भिलाई खुर्द बस्ती तक फैला हुआ है। बरबसपुर की दिशा में बस्ती के पीछे भी हसदेव नदी तक जमीन पर भू माफिया ने कब्जा कर लिया है। इतना ही नहीं कई लोगों को प्लाटिंग कर जमीन की बिक्री भी कर दी गई है। कुछ लोगों ने जहां पक्का निर्माण कार्य कर लिया है, वहीं कुछ लोगों ने निर्माण के लिए ईंट भी मौके पर मंगा लिया है।
खास बात यह है कि जिस 100 एकड़ से अधिक जमीन पर भू माफिया ने कब्जा किया है उसके ठीक मध्य भाग से रांची- पेंड्रारोड़ इकोनामिक रेल कॉरिडोर की रेल लाइन बिछाई जा रही है। रेल लाइन का कार्य प्रगति पर है और पूर्व में ही कोरबा चांपा स्टेट हाईवे की सड़क से लेकर हसदेव नदी तक भूमि चिन्हांकित कर ट्रैक का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है तथा हसदेव नदी में रेलवे ब्रिज का निर्माण प्रगति पर है। इस लिहाज से रेलवे लाइन के लिए जमीन सुरक्षित रह गई है अन्यथा भूमि के उक्त हिस्से पर भी भूमाफिया अब तक कब्जा कर चुका होता।
आपको बता दें कि यह वही जमीन है, जहां पर बड़ी मात्रा में बिजली घरों से निकली फ्लाई ऐश को लो लाइन एरिया बताकर कुछ माह पहले डम्प किया गया था। इसी स्थान पर प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और प्रदूषण मंडल के अधिकारियों को लेकर निरीक्षण के लिए पहुंचे थे और जमकर फटकार लगाते हुए जमीन को समतल कराने के लिए निर्देशित किया था। नया ट्रांसपोर्ट नगर को लेकर चल रहे विवाद के दौरान राजस्व मंत्री ने इस जमीन पर फ्लाई ऐश डम्प करने पर कड़ा ऐतराज जताया था। राजस्व मंत्री की फटकार के बाद प्रशासन ने इस जमीन पर डंप किए गए फ्लाईऐश को रॉकेट की गति से पूरे क्षेत्र में फैलाकर समूची जमीन को समतल किया था। लेकिन समतल होते ही भू माफिया ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया है।
आश्चर्यजनक बात तो यह है कि कोरबा का राजस्व अमला शहरी क्षेत्र में हो रहे अरबों रुपयों के इस भूमि घोटाले को लेकर खामोश है। कोरबा शहर में भू माफिया इतनी दिलेरी के साथ अरबों रुपयों की जमीन की हेराफेरी खुलेआम कर रहा है और उस पर राजस्व अमला रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहा है, तो समझा जा सकता है कि इसके पीछे किस किस तरह के कारण विद्यमान हो सकते हैं। देखना होगा कि आने वाले दिनों में जिला प्रशासन या शासन स्तर पर भू माफियाओं के खिलाफ क्या कार्यवाही की जाती है?