कोरबा 05 जून। जिले के कोल फील्ड्स में कोल डस्ट का विस्तार बड़ी समस्या बना हुआ है। इसके कारण एसईसीएल कर्मचारियों के परिवार और आम लोग परेशान हैं। आलम यह है कि रिहायशी और व्यवसायिक क्षेत्रों में जनजीवन बुरी तरह इसकी चपेट में है। अब मांग उठ रही है कि ऐसे सभी इलाकों को सुरक्षित रखने के लिए कोयला परिवहन के लिए दूसरे विकल्प अपनाया जाए।
कोरबा जिले में एसईसीएल के चार क्षेत्रों और उसके अंतर्गत उपक्षेत्र से कोयला खनन एवं परिवहन का काम किया जा रहा है। 145 मिलियन टन वार्षिक से ज्यादा कोयला का उत्पादन कोरबा जिले की खदानें कर रही है। इनके जरिए प्रदेश और देश को राज्य के रूप में अरबों रूपए प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन खनिज से जुड़ी पूरी प्रक्रिया में सबसे अधिक फजीहत आम लोगों की हो रही है। गेवरा.दीपका और कुसमुंडा क्षेत्रों में खदानों से कुछ ही दूरी पर आवासीय क्षेत्र मौजूद हैं। ओपनकास्ट माइंस में ब्लास्टिंग के चलते कई प्रकार की समस्याएं लोगों के सामने बनी हुई है। वहीं 24 घंटे होने वाले परिवहन के कारण वायु के संपर्क में आने से कोल डस्ट बड़े हिस्से में फैल रही है। एसईसीएल कालोनी के साथ-साथ दूसरे रिहायशी क्षेत्र इसके दायरे में आ रहे हैं और जन स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहे हैं। कोरबा में मानिकपुर खदान के नजदीक रिहायशी क्षेत्र इससे बाधित हो रहा है। दूसरी ओर कोरबा के ट्रांसपोर्ट नगर, नेहरू नगर, मुड़ापार, अमरैया, इमलीडुग्गू में आवासीय क्षेत्र से होकर कोयला का परिवहन किया जा रहा है जो लोगों की सांस के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। इसके दुष्परिणामों से बड़ी आबादी घिरी हुई है।
समय-समय पर इस बारे में चिंता जताने के साथ कारगर कदम उठाने की मांग की गई लेकिन कोई नतीजे नहीं आ सके। कहा जा रहा है कि सीमित संख्या में रोजगार देने और अपने टर्नओवर बढ़ाने वाली कंपनी को आम लोगों की जिंदगी के बारे में सोचना चाहिए। आवासीय इलाकों पर कोल डस्ट की वजह से हो रही प्रतिकूल प्रभाव ने हर किसी को चिंतित किया है। अनेक संगठनों के द्वारा इस मसले को लेकर प्रशासन से पत्राचार किया। मांग की गई कि श्वसन संबंधी बीमारियों की बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखते हुए घनी आबादी वाले इलाके से कोयला का परिवहन तत्काल बंद कराया जाए।