कोरबा 03 जून। एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। सामाजिक उत्तरदायित्व सीएसआर का पालन करने से अधिकारी कतराने लगे हैं। इससे खदान प्रभावित ग्रामीणों को पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है। खदान के लिए जमीन देने वाले ग्रामीण अब अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। पेयजल नहीं मिलने से नाराज ग्रामीणों ने चक्काजाम कर दिया। तीन बार वार्ता करने पहुंचे अधिकारी ठोस निर्णय नहीं ले सके, तो उन्हें आंदोलनकारियों ने उल्टे पांव लौटा दिया।
बांकीमोंगरा क्षेत्र के खनन प्रभावित गांव बांकी बस्ती, मड़वाढोढा, पुरैना में एसईसीएल द्वारा जल आपूर्ति की जाती रही है, पर खदान बंद होने के बाद पेयजल की आपूर्ति बंद कर दी गई। इससे ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। शिकायत के बाद भी एसईसीएल कोरबा क्षेत्र व मुख्यालय के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। गर्मी में पेयजल नहीं मिलने से ग्रामीणों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शिकायत के बाद भी पहल नहीं किए जाने पर सैकड़ों ग्रामीणों ने माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पार्षद राजकुमारी कंवर की अगुवाई में बांकी बस्ती के पास चक्काजाम कर दिया। इससे मार्ग में दोनों तरफ वाहनों की लंबी लाइन लग गई। एसईसीएल प्रबंधन को मजबूर होकर आंदोलनकारी माकपा, किसान सभा के नेताओं और ग्रामीणों से बातचीत करने के लिए सड़क पर आना पड़ा। तीन दौर की ग्रामीणों से साथ वार्ता हुई, पर अधिकारियों की हठधर्मिता की वजह से वार्ता फैल हो गई। नाराज ग्रामीणों ने अधिकारियों पर नाराजगी जताते हुए वापस लौटा दिया। इस दौरान कटघोरा के नायब तहसीलदार और बड़ी संख्या में पुलिस बल उपस्थिति रही।
यहां बताना होगा कि कोयला खनन के कारण प्रभावित गांवों में जल स्तर काफी नीचे गिर चुका है और अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत एसईसीएल ही पीने, निस्तारी और सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध कराते आया है। खदान बंद होने के बाद एसईसीएल के अधिकारियों ने बांकी बस्ती,पुरैना, मड़वाढोढा में जल आपूर्ति रोक दी। इससे ग्रामीणों का न केवल दैनिक दिनचर्या गड़बड़ा गई है, बल्कि खेती-किसानी पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस दौरान किसान सभा के दीपक साहू, जय कौशिक, दामोदर, शिवरतन, अजीत, जगदीश, इंद्र दीप, श्रवण, दास, दामोदर, महेंद्र, विनोद, इंद्र कुंवर, लक्ष्मीन बाई, जोतसना, सुक्रिता, सुजाता, राधा समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
माकपा नेता प्रशांत झा ने आरोप लगाया कि बांकी खदान से कमाई बंद होते ही अब एसईसीएल के अधिकारी अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने से मुकर रहे है। किसानों की आजीविका सुनिश्चित कराना, उनकी जिम्मेदारी है और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं पर ग्रामीणों का अधिकार है। लिखित आश्वासन देने के बाद भी अधिकारी अपने वायदे को पूरा नहीं करतें है, इसलिए अब आश्वासन नहीं चलेगा। जब तक पानी नहीं मिलेगा, तब तक चक्काजाम जारी रहेगा। किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि तीनों गांव को पानी दो, नहीं तो कोल परिवहन नहीं होने देंगे।