कोरबा 05 जून। बांकीमोंगरा क्षेत्र के खनन प्रभावित गांवों में पेयजल आपूर्ति रोकने के विरोध में प्रभावितों के 13 घंटे चले चक्का जाम आंदोलन के सामने एसईसीएल के अधिकारियों को आखिरकार झुकना पड़ा। प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में हुई त्रिपक्षीय वार्ता में एसईसीएल के अधिकारियों ने तत्काल पहले की तरह पानी देेने, पाइप लाइन के लिए सर्वे करने व तालाब भरने का आश्वासन दिया।
बांकीमोंगरा खदान प्रभावित बांकी बस्ती, मड़वाढोढा, पुरैना में एसईसीएल द्वारा जल आपूर्ति रोके जाने से परेशान सैकड़ों ग्रामीणों ने शुक्रवार को माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर की अगुवाई में चक्काजाम कर दिया । देर रात चले आंदोलन के दौरान तीन बार एसईसीएल के अधिकारियों को वार्ता करने स्थल पर आना पड़ा, पर सकारात्मक पहल नहीं होने पर आंदोलनकारियों ने नाराजगी जाहिर कर उल्टे पांव लौटा दिया। इसके बाद देर रात एसडीएम कटघोरा कौशल तेंदूलकर ने पहल की। एसईसीएल के अधिकारियों को तलब कर वार्ता शुरू कराया। एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के महाप्रबंधक द्वारा आश्वासन दिए जाने पर आंदोलन समाप्त हुआ।
शनिवार को एसईसीएल कोरबा मुख्यालय में कटघोरा एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर, महाप्रबंधक अजय तिवारी, सिविल एसओ भानु, सुराकछार सबएरिया मैनेजर पी मावावाला, माकपा प्रतिनिधि मंडल से प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, अजीत सिंह कंवर, दामोदर, दीपक साहू की उपस्थिति में त्रिपक्षीय वार्ता हुई। इस दौरान माकपा ने खदान प्रभावित बांकी बस्ती, पुरैना, मड़वाढोढा गांव में पेयजल और निस्तारी के लिए पानी पूर्व की तरह देने की मांग की। इस पर एसडीएम ने प्रबंधन से प्रभावित गांव में जल्द पानी की व्यवस्था करने कहा। महाप्रबंधक तिवारी ने कहा कि बांकी बस्ती और पुरैना गांव के पाइप लाइन का सर्वे किया गया हैए जल्द जिला प्रशासन के साथ मिलकर पूर्व की तरह पाइप लाइन के माध्यम से पानी की व्यवस्था की जाएगी।
तालाब को भरने की व्यवस्था और गांव में नया बोर होल जल्द कराने का आश्वासन महाप्रबंधक ने दिया। माकपा नेता प्रशांत झा ने कहा कि पानी की समस्या का स्थाई समाधान नहीं हुआ तो अनिश्चितकालीन चक्काजाम होगा। उल्लेखनीय है कि कोयला खनन के कारण खनन प्रभावित गांवों में जल स्तर काफी गिर चुका है और अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत एसईसीएल ही पीने, निस्तारी और सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध करते आया है। लेकिन बांकी खदान बंद होने के बाद अब अचानक एसईसीएल द्वारा इन बांकी बस्ती, पुरैना, मड़वाढोढा गांवों में जल आपूर्ति रोक दी थी, इससे यहां के ग्रामीणों का न केवल दैनिक दिनचर्या गड़बड़ा गई है, बल्कि खेती-किसानी पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
माकपा नेता प्रशांत झा ने आरोप लगाया कि बांकी खदान से कमाई बंद होते ही अब एसईसीएल अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने से आनाकानी कर रही है, जबकि किसानों की आजीविका सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी है और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को पाना ग्रामीणों का अधिकार है। माकपा के इस आंदोलन को छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भी अपना समर्थन दिया और बड़ी संख्या में किसान सभा के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हुए। माकपा ने कहा की एसईसीएल ने अगर पेयजल जैसी समस्या को गंभीरता से अगर पूरा नहीं किया तो आगे और उग्र आंदोलन होगा।