कोरबा 09 मई। नवीन शैक्षणिक सत्र के लिए छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने जिले में पुस्तक का वितरण शुरू कर दिया है। प्राथमिक व मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए पुस्तकें संकुल भेजी जा रही हैं। इसी तरह नवमीं से बारहवीं के लिए पुस्तक हाईस्कूल में पहुंचा दी गई हैं। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक स्कूल में 16 जून के पहले पाठ्य पुस्तक स्कूलों में पहुंचाने का प्राविधान है। सत्र शुरू होने के बाद भी कई स्कूलों में पुस्तकें नहीं पहुंचती। इस समस्या को दूर करने के लिए पांचों विकासखंड में अस्थाई पाठ्यपुस्तक डिपो बनाया गया है। किसी भी स्कूल में पुस्तक की कमी होने पर समय पर पुस्तक की आपूर्ति की जाएगी।
जिले पाठ्यपुस्तक निगम की स्थाई डिपो का संचालन आज से छह साल पहले मोतीसागर पारा में हो रहा था। डिपो भवन का किराया बढऩे के कारण उसे बंद कर दिया गया। विगत छह साल से सीधे बिलासपुर डिपो से हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में पुस्तक की जा रही है। प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में वितरण के लिए डिपो का नियंत्रण नहीं होने से समय पर पुस्तकें बच्चों तक नहीं पहुंच रही थी। इस अव्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए शिक्षा विभाग ने अस्थाई डिपो बनाया है। विकासखंड कार्यालय के अंतर्गत बनाए गए डिपों में कोरबा के अंधरी कछार स्कूल से सहित पाली, कटघोरा, करतला व पोड़ी उपरोड़ा के स्थानीय स्कूल हैं। प्रायमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षक अब निकटवर्ती संकुल से पुस्तकें प्राप्त कर सकेंगे। किसी भी स्कूल में पुस्तक की कमी होने पर संस्था के प्रमुख डिपो प्रभारी से संपर्क कर पुस्तक प्राप्त कर सकेंगे। खंड स्तरीय डिपो का काम स्कूलों में पुस्तक वितरण में सामंजस्य कराना होगा। इससे पहले कई स्कूल प्रबंधन आवश्यकता से अधिक पुस्तक का मांग पत्र बना कर ले जाते थे। इससे दूसरे स्कूलों में पुस्तक की कमी होती थी।
दूर दराज वनांचल गांवों तक जुलाई माह पुस्तक नहीं पहुंच पाती थी। बच्चों को पुराने पुस्तक से ही काम चलाना पड़ता था। अब ऐसी स्थिति नही होगी। स्कूल प्रबंधन सीधे विकासखंड के डिपो प्रभारी से संपर्क करेंगे। बच्चों की दर्ज संख्या के अनुसार उन्हे पुस्तकें प्रदान की जाएगी। बताना होगा कि सत्र शुरूआत के दौरान जिन स्कूलों में अधिक मात्रा में पुस्तक पहुंच जाती है वहां अनुपयोगी पड़ा रहता है। इसके विपरीत जहां पुस्तक नहीं पहुंचती वहां क बच्चों का पुरानी पुस्तकों से ही काम चलाना पड़ता है। शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार अभी केवल पुस्तकें आ रही है आने वाले पखवाड़े में गणवेश का आवंटन भी शुरू हो जाएगा। शिक्षा सत्र की शुरूआत के साथ पुस्तक और गणवेश एक साथ प्रदान की जाएगी। बीते वर्ष जिन स्कूलों में पुस्तकें शेष बची है, उसकी जानकारी मंगाई जा रही है, ताकि छात्रों की संख्या के अनुसार समायोजित की जा सके।
पुस्तकों की मांग पत्र जमा करने के दौरान सबसे अधिक समस्या पहली कक्षा के पुस्तक की होती हैं। कितने बच्चे दाखिला लेंगे यह सुनिश्ति नहीं होती। कमी होने से सीधे रायपुर बुक डिपो से पुस्तक मिलने का इंतजार करना पड़ता है। आवश्यकता से अधिक पुस्तक ले जाने की प्रतिस्पर्धा में बड़ी स्कूलों तक पहुंच जाती हैं लेकिन प्राथमिक शाला पीछे रह जाते हैं। शाला प्रवेशोत्सव के दौरान बच्चों को बिना पुस्तक के ही वापस लौटना पड़ता है। सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों को भी देर से पुस्तकें मिलने की शिकायत रहती है। बिलासपुर डिपो से हाईस्कूल तक पुस्तक तो भेज दी जा रही लेकिन संकुल के प्रायमरी स्कूल तक पुस्तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था सुनिश्चत नहीं है। बताना होगा कि संकुल से प्रायमरी स्कूलों की दूरी औसतन पांच से दस किलोमीटर है। इस दूरी तक पुस्तक परिवहन के लिए राशि आवंटन नहीं होने के कारण पुस्तक समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाती। शिक्षा विभाग की ओर से मरम्मत राशि से परिवहन करने की बात कही जाती है लेकिन आवंटन के अभाव में वह भी नहीं हो पाता।
पाठ्य पुस्तकों का वितरण शुरू हो गया है। प्रत्येक स्कूलों तक 16 जून के पहले आवंटन सुनिश्चत करने के लिए कहा गया है। वितरण के लिए विकासखंड स्तर से नियंत्रण किया जाएगा। पुस्तक की कमी होने की सूचना मिलते ही आपूर्ति की जाएगी।
जीपी भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी,