आईएफएस नाखुश
श्रीनिवास राव के फॉरेस्ट का मुखिया बनने से महकमे में सन्नाटा पसरा है। सीनियर आईएफएस अफसर तो नाराज हैं ही, जूनियर अफसर भी खुश नहीं है। राव को सात सीनियर अफसरों को सुपरसीड करके फॉरेस्ट की कमान सौंपी गई है। दिलचस्प बात यह है कि जैसे ही ऑर्डर आईएफएस अफसरों के वॉटसएप ग्रुप में पोस्ट किया गया, ज्यादातर पीसीसीएफ और एपीसीसीएफ अफसरों ने अनदेखा कर दिया। एकमात्र एपीसीसीएफ संजीता गुप्ता ने चुप्पी तोड़ी और फिर श्रीनिवास राव को बधाई दी। ज्यादातर अफसर योग्यता और परंपरा को बिगाडऩे के लिए विभागीय मंत्री को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ियावाद नहीं..
भाजपा के महामंत्री (संगठन) अजय जामवाल ने रायपुर ग्रामीण जिले की बैठक में यह कहकर हलचल मचा दी कि यहां कोई छत्तीसगढिय़ावाद नहीं है। छत्तीसगढ़ अकेले छत्तीसगढिय़ों का नहीं है सभी का है।
उन्होंने कहा कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिन्दुस्तान एक है। उनका मानना है कि छत्तीसगढिय़ा कोई मुद्दा नहीं है। उनकी टिप्पणी से जिले के पदाधिकारी हैरान रह गए। कुछ समय पहले एक पूर्व मंत्री ने भूपेश बघेल के छत्तीसगढिय़ावाद का सामना करने के लिए एक रणनीति बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि जिस अंदाज में कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहारों और परंपराओं को योजनाबद्ध तरीके से बढ़ावा दे रही है। उससे विशेषकर गांवों में कांग्रेस के प्रति सकारात्मक माहौल बना है। जबकि 15 साल में भाजपा ऐसा नहीं कर पाई। मगर जामवाल सहित दूसरे प्रदेश के नेता इससे बेपरवाह हैं। इससे परे छत्तीसगढ़ियावाद की हवा को भांपते हुए रमन सिंह को भी अब छत्तीसगढ़ी भाषा में विज्ञापन देने को मजबूर होना पड़ा है। छत्तीसगढ़ियावाद को लेकर पार्टी के अंदरखाने में बेचैनी बहुत है।
बैस को महत्व
भाजपा के पुराने नेता और महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस की सिफारिशों को महत्व मिलता रहा है। अभी महाराष्ट्र में कुछ समय ही हुए हैं, उनकी सिफारिश पर रविवि के पूर्व कुलपति डां केसरीलाल वर्मा को मुंबई में छत्रपति शिवाजी निजी विवि का कुलपति बना दिया गया। यही नहीं, उनके नजदीकी रिश्तेदार आईएएस नंदकुमार को कांग्रेस सरकार में कभी अच्छी पोस्टिंग नहीं मिली थी। उन्हें इससे पहले फड़णवीस सरकार में पसंदीदा शिक्षा विभाग का प्रभार सौंपा गया था। छत्तीसगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर नंदकुमार स्कूल शिक्षा सचिव रहे। ये अलग बात है कि उनके खिलाफ जांच खड़ी हो गई थी। बैसजी के शपथ ग्रहण में कई कारोबारी और बिल्डर भी गए थे। उनकी खासियत यह है कि वो यथासंभव जान पहचान के लोगों की मदद भी करते हैं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में कईं नेताओं की इच्छा है कि वो फिर से यहां की राजनीति में लौटे, लेकिन हाईकमान का रूख साफ नहीं है।
सरकार छुट्टी पर
मंत्रालय में पदस्थ एक दर्जन आईएएस लंबी छुट्टी में है। छुट्टी के कई कारण है, लेकिन कुछ लोग ईडी की सक्रियता को इससे जोड़कर देख रहे हैं। सीएम के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी,आरसंगीता आर.प्रसन्ना,अब्दुल कैसर हक,श्रुति सिंह, निरंजन दास छुट्टी पर है। शहला निगार बीमारी के कारण लंबी छुट्टी में है। निहारिका बारिक 2 वर्ष की छुट्टी के बाद सितम्बर में लौटेंगी । इसके अलावा कई अधिकारियों ने छुट्टी के लिये आवेदन लगाया है। जिस पर विचार विमर्श के बाद निर्णय होंगे। अगले माह मुख्य सचिव अमिताभ जैन और छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के अध्यक्ष अंकित आनंद छुट्टी पर जाने वाले हैं। बजट सत्र के बाद चुनावी रंग मैदान से लेकर मंत्रालय तक चढ़ते जा रहा है। आचार संहिता लगने में पांच माह है। सरकारी योजनाओं को धरातल पर लाने की अहम जिम्मेदारी प्रशासन की है लेकिन आबकारी व माईनिंग सहित कई विभागों में केन्द्रीय एजेंसियों का डर खत्म नहीं हो रहा है।
बिरनपुर बनेगा कुरूक्षेत्र?
बिरनपुर में हुए सांप्रदायिक विवाद के बाद भाजपा की सक्रियता इस क्षेत्र में बढ़ गयी है। भाजपा बिरनपुर को चुनावी कुरूक्षेत्र के रूप में तब्दील करने का प्लान बनाया है। बिरनपुर चार विधानसभा क्षेत्र साजा, बेमेतरा,नवागढ़, और कवर्धा को जोडऩे वाला गांव है। यह गांव कवर्धा विधानसभा की सीमा से सटा है। भूपेश सरकार की योजनाओं से थकी भाजपा बिरनपुर को कुरूक्षेत्र बनाकर मैदानी इलाके में हिन्दूत्व कार्ड खेलने की तैयारी में जुट गई है। इस गांव में कई राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के दौरे हो सकते हैं। बिरनपुर के सहारे भाजपा पिछड़ा वर्ग के सबसे बड़ी आबादी के साहू वोटर को भी साधने में जुट गयी है।
चुनावी सर्वे का खेल
विधानसभा चुनाव करीब आते-आते सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी सर्वे का काम बढ़ा दिया है। भाजपा के कई दौर की चुनावी सर्वे कराकर रणनीति बदलने व जनता का मूड समझने में जुटी है। हाल के चुनाव के सर्वे से कुछ राहत मिली है लेकिन कार्यकत्र्ताओं का उत्साह और टिकट के लफड़े में फंसी है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने दिल्ली के एक एंजेसी को चुनावी सर्वे का काम सौंपा है जिसमें सभी विधायकों का परफार्मेंस दिखेगा। कांग्रेस के दो विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में कमजोर स्थिति का अंदाजा है।इसको भांपते हुए उन्होंने अगल-बगल की सीट पर अपनी संभावना टटोलना शुरू कर दिया है।भाजपा व कांग्रेस के बड़े नेता अपने विधानसभा क्षेत्र लिए अलग से चुनावी सर्वे करा रहे है। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद उनकी रणनीति सामने आ सकती है।
मुगल-ए-आजम पार्ट-2
लोकशाही में राजशाही के मजे कैसे लिए जाते हैं? यह देखना है तो आपको राजधानी के पड़ोसी जिले दुर्ग आना होगा। यहां एक मंत्रीजी बरसों से सरकारी गेस्ट हाउस पर कब्जा जमाए हुए हैं। यह प्रॉपर्टी सिर्फ नाममात्र की सरकारी गेस्ट हाउस है। मगर किसी भी ‘गेस्ट’ के लिए यहां नो एंट्री है। दरअसल यह गेस्ट हाउस मंत्रीजी के पीएसओ, स्टाफ और रिश्तेदारों की आरामगाह में तब्दील हो चुका है। उनकी ठाट-बाट के लिए सरकार हर महीने रखरखाव और बिजली-पानी पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। बावजूद इसके किसी नेता या अफसर की मजाल नहीं कि वह चूं भी कर ले। दिलचस्प यह है कि पुत्र-मोह में मंत्रीजी पड़े हैं और ठाठ-बाट पर धृतराष्ट्र बाकी लोग बन गये हैं।
वीडियो से तौबा
आरएसएस के पूर्व प्रांत प्रचारक राजेंद्रजी का वायरल वीडियो भाजपा की गलफांस बन गया है। पार्टी को न उगलते बन रहा है और न ही निगलते। वायरल वीडियो का असर यह हुआ कि भाजपा की बैठकों में अब मोबाइल से वीडियो बनाने वालों को टोकने का नया रिवाज शुरू हो गया है। पहली झलक प्रदेश सह-प्रभारी नितिन नवीन के बसना-सरायपाली दौरे पर दिखी, जहां उन्होंने खुद एक कार्यकर्ता को वीडियो बनाने से रोक दिया। साथ ही बैठक में मौजूद कार्यकर्ताओं को हिदायत दी कि वे इस तरह की हरकतों से बचें। उनका कहना था कि वीडियो वायरल होने के बाद पार्टी को रक्षात्मक मुद्रा में आना पड़ता है। बहरहाल, राजेंद्रजी ने जो सवाल उठाए हैं, उसे लेकर कुछ नेता दिल्ली पहुंच गए हैं। इन नेताओं का मानना है कि 15 साल के ‘हिसाब’ में काफी गोलमाल है। देखें, क्या नतीजा आता है।
तिरछी-नज़र @ रामअवतार तिवारी, सम्पर्क-09584111234