June 16, 2025 |
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a

BREAKING NEWS

Mungeli news:– शराबी आरक्षक का वीडियो वायरल, शराब भट्टी के पास शराब के नशे में लड़खड़ाता हुआ गिरा जमीन पर,एसपी ने किया निलंबितCG – मुख्यमंत्री के हाथों जिले के मेधावी श्रमिक बच्चों को मिली एक-एक लाख रूपये की प्रोत्साहन राशिबिलासपुर में आसमान से टूटा कहर: बिजली गिरने से मासूम की मौत, पांच अन्य झुलसे – इलाके में पसरा मातमबुजुर्गों के सम्मान में एक नेक पहल: सेवा प्रदाता संघ ने वृद्धाश्रम को दी वॉशिंग मशीन, पेश की सामाजिक संवेदनशीलता की मिसालपुलिस का गुंडों पर ताबड़तोड़ एक्शन,30 वारंट तामील, 159 निगरानी बदमाश चेक, 2 फरार आरोपी गिरफ्तार , बदमाशों की सन्डे नहीं संडे-संधि टूटी!Bilaspur News युक्तियुक्तकरण संबंधी शिकायतें लेकर पहुंचे शिक्षक नेताओं से नशे में धुत्त शिक्षा विभाग के सहायक संचालक ने किया दुर्व्यवहार,Bilaspur Highcourt News:– रेत माफियाओं पर नहीं लग रहा लगाम, लगातार दे रहे आपराधिक घटनाओं को अंजाम,हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और खनिज सचिव से मांगा जवाबचाकू लेकर सड़क पर उतरा ‘भय का सौदागर’पुलिसने  घेराबंदी कर दबोचा, बटनदार चाकू लहराता युवकRaigarh news:– मरीन ड्राइव के निर्माण के लिए तोड़े जा रहे घर, पुलिस से भिड़ी महिलाएं, लगे ओपी चौधरी मुर्दाबाद के नारे, देखे video…सेक्सटॉर्शन गिरोह के ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर युवक ने ट्रेन के सामने कूद की आत्महत्या
IMG-20241027-WA0039
IMG-20241027-WA0039

प्रधानमंत्री जी, ढाई तीन लाख लोगों की लाश पर करा दें गेवरा कोयला खदान का विस्तार

अपनी भाषा में ख़बरें पढ़े

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

एसईसीएल की गेवरा कोयला खदान विस्तार का चौतरफा विरोध

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला में कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की गेवरा कोयला खदान के विस्तार का पर्यावरणीय लोक सुनवाई में प्रभावित ग्रामीणों ने चौतरफा विरोध किया। लोगों ने जहां किसी भी सूरत में कोयला खदान विस्तार का समर्थन नहीं करने की बात कही, वहीं दूसरी ओर एक ग्रामीण युवक ने तो यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री मोदी जी हमारी लाश पर कोयला खदान का विस्तार करा लें।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में एसईसीएल गेवरा को दिए गए 52.5 मिलियन टन के उत्पादन टारगेट के बीच एरिया प्रबंधन ने 70 मिलियन टन के उच्चतम लक्ष्य पर फोकस करते हुए खदान का विस्तार करने के लिए लोक सुनवाई आयोजित किया। वर्तमान में एशिया की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान गेवरा माइंस का क्षेत्रफल 4184.486 हेक्टेयर है। खदान विस्तार से क्षेत्रफल बढ़कर 4781.798 हेक्टेयर हो जाएगा। इसकी पर्यावरण मंजूरी के लिए ही जनसुनवाई हुई है। लेकिन भूविस्थापितों और उनके हित एवं अधिकार को लेकर संघर्ष कर रहे संगठनों ने खदान विस्तार का समवेत स्वर में विरोध किया है।

पर्यावरणीय लोक सुनवाई में कोयला खदान से प्रभावित 23 गांव के किसानों को बुलाने का दावा किया गया, लेकिन सुनवाई स्थल पर खाली कुर्सियों से पता चल रहा था कि वास्तव में प्रबंधन के दावे के अनुरूप किसानों ने लोक सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया। यह बात भी सामने आई कि जो ग्रामीण लोक सुनवाई का खुला विरोध कर रहे थे उन्हें सभा स्थल तक पहुंचने ही नहीं दिया गया, बल्कि रास्ते में ही सुरक्षाबलों ने रोककर वापस भेज दिया। प्रबंधन ने भीड़ बढ़ाने के लिए पूर्व में विस्थापित और पुनर्वास ग्रामों में निवासरत परिवार की महिलाओं को बड़ी संख्या में सुनवाई स्थल पर लाकर उपस्थिति पंजी में उनका नाम दर्ज कराया। बावजूद इसके कुछ लोग सभा स्थल पर पहुंचने में कामयाब रहे और उन्होंने लोक सुनवाई को निरस्त करने सहित कोयला खदान विस्तार का कड़ा विरोध किया। अनेक लोगों ने मौखिक कथन के साथ अपनी बात लिखित रूप से भी प्रबंधन को सौंपा। सभी वक्ताओं ने अपने संबोधन में एसईसीएल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया और भू विस्थापितों के साथ छल करने का आरोप लगाया। महिला और पुरुष वक्ताओं ने साफ शब्दों में आरोप लगाया कि पर्याप्त मुआवजा और नौकरी की बात तो दूर विस्थापितों को पानी बिजली सड़क शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराया है।

खदान क्षेत्र से प्रभावित एक युवक उमा गोपाल का आक्रोश देखते ही बन रहा था। उमा गोपाल ने भू विस्थापितों के प्रति एसईसीएल प्रबंधन के रवैया और खदान प्रभावितों की समस्याओं पर विस्तार से अपनी बात रखते हुए कोयला खदान विस्तार का कड़ा विरोध किया। उसने तो यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री मोदी क्षेत्र के ढाई तीन लाख लोगों की लाश पर कोयला खदान का विस्तार करा लें। हरदेव अरुण ने बचाव आंदोलन से जुड़ी समाजसेवी बिपाशा पाल ने गेवरा खदान के प्रथम चरण के लिए दी गई पर्यावरण अनुमति की विभिन्न शर्तों का उल्लेख किया और बताया कि एसईसीएल प्रबंधन ने किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया है। गेवरा क्षेत्र में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को लेकर जारी आंकड़ों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि पूर्व में गेवरा क्षेत्र क्रिटिकली पोल्यूटेड एरिया की लिस्ट में था जो आज सिवियरली पोल्यूटेड एरिया की लिस्ट में है।

Nyay Dhani
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a
b46611bd-0f7d-494c-a2bd-5c99742d327a