कोरबा 18 जून। हड़ताली सहकारी कर्मचारियों की जगह दुकानों का संचालन अब कृषि विस्तार अधिकारी कर रहे हैं। शुक्रवार को प्रशासन ने हड़तालियों से दुकान की चाबी लेकर खाद और बीज की बिक्री शुरू करा दी है। दुकानें खुलने से किसानों को राहत मिली है। वहीं हड़तालियों में हड़कंप मच गया है।
खरीफ फसल के लिए वर्षा ने आशा के अनुरूप अवसर बढ़ा दी है। पांच जून को आषाढ़ माह की शुरूआत से बारिश का दौर जारी है। सप्ताह भर से थम-थम कर वर्षा हो रही है, ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को सूखा बोआई का सलाह दिया है। इधर जिला सहकारी समिति कर्मचारियों नियमितीकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। ऐसे में खाद व बीज के अभाव में किसान सूखा सूखा बोआई से वंचित हो रहे हैं। अब तक जिले अब तक 55.30 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है। बताना होगा कि जिले के अधिकांश किसान रोपा खेती करते हैं। किसान कम पानी में अधिक से अधिक फसल ले सकें इसके लिए उन्हे कतार बोनी के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
बताना होगा जिला कृषि विभाग ने इस बार रोपा के लिए 41 हजार हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य तय किया है, वहीं कतार बोनी के लिए 36 हजार 960 हेक्टेयर में बोआई तय किया है। कृषि विभाग के सहायक उप संचालक डीपीएस कंवर की माने तो रोपा बोआई में प्रति एकड़ 16 से 18 क्विंटल धान की उपज होती है। कतार बोआई करने पर पैदावार तीन से चार क्विंटल बढ़ जाती है। मानूसन का दौर ऐसा ही रहा तो जुलाई माह के अंत प्रथम चरण की खेती पूरी होने की संभावना है। सीमित लागत में किसानों को अधिक फसल के लिए कृषि विभाग से धान के बदले अन्य उपज के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सहकारी समिति की दुकानें बंद होने की वजह से किसानों को खाद व बीज के लिए भटक रहे थे। उधर जिला सहकारी समिति कर्मचारी संघ के जिला प्रमुख सलाहकार समरेंद्र सिंह ठाकुर का कहना कि वे प्रांतीय संगठन के आह्वान पर हड़ताल पर हैं। मांग पूरा होने पर ही काम पर वापस लौटेंगे।
जिले में पर्र्याप्त संख्या में गोठानों का संचालन नहीं होने से ज्यादातर किसान अब भी रासायनिक खाद पर निर्भर हैं। 70 हजार हेक्टेयर में रोपाई व बोआई होने वाले धान रकबा के लिए कृषि विभाग ने इस बार 12 लाख 55 हजार क्विंटल खाद भंडारण का लक्ष्य रखा है। अभी तक सात लाख 72 हजार क्विंटल भंडारण हुआ है। खेती की शुरूआत में सात लाख 70 हजार क्विंटल यूरिया की आवश्यकता होगी। अभी तक तीन लाख 72 हजार क्विंटल यूरिया का भंडारण हुआ है। पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद का भंडारण नहीं होने से किसानों बिचौलियों से खरीददारी करनी पड़ती है। अवैध संग्रहण के लिए बिचौलियों की सक्रियता बढ़ गई है।