नई दिल्ली 4 जून (एजेंसी)। केंद्र सरकार भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) में अपनी 49 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इसके लिए समझा जाता है कि उसने अपने मुख्य प्रवर्तक वेदांता से चल रहे मध्यस्थता मामले को वापस लेने के लिए कहा है। घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने कहा कि खान मंत्रालय ने निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) से मध्यस्थता मामले को वापस लेने के लिए वेदांता के साथ जुड़ने का अनुरोध किया है, क्योंकि सरकार की प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की योजना है।
आपको बता दें कि खान मंत्रालय बाल्को में 49 प्रतिशत हितधारक है। सूत्रों ने बताया कि दीपम ने मध्यस्थता मामले को वापस लेने के लिए वेदांता के साथ प्रारंभिक चर्चा की है, जो कंपनी के स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिंग का मार्ग प्रशस्त करेगा। 2009 में, बाल्को ने अवशिष्ट हिस्सेदारी के मूल्यांकन विवाद को लेकर सरकार के खिलाफ मध्यस्थता का मामला दायर किया था।
सूत्रों ने आगे कहा कि यह डीआईपीएएम को तय करना है कि सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी कितनी बेची जा सकती है। एक सूत्र ने बताया कि यह एक अवशिष्ट हिस्सा यां इसका एक बड़ा हिस्सा भी हो सकता है।
हालांकि मध्यस्थता मामले को वापस लेने को लेकर दीपम और वेदांता के बीच शुरुआती चर्चा हो चुकी है। सूत्रों ने कहा कि अगर सरकार की शेष हिस्सेदारी की बिक्री को आगे बढ़ाया जाना है, तो प्रमोटर से मामले को वापस लेने का अनुरोध करते हुए विस्तृत चर्चा होने की संभावना है। 2001 में, सरकार ने वेदांता लिमिटेड की सहायक कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड को बाल्को के 51 प्रतिशत शेयरों का विनिवेश किया था। बाल्को का प्रमुख संचालन छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर में है, जबकि उच्च श्रेणी के बॉक्साइट की आपूर्ति करने वाली इसकी खदानें कवर्धा और मैनपाट में स्थित हैं।