■ रिपोर्ट- कमल दुबे
नईदिल्ली 20 मई। आत्मनिर्भरता की दिशा में ऊंची छलांग लगाते हुए रक्षा मंत्रालय ने एक और कीर्तिमान हासिल कर लिया है। दरअसल, वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा उत्पादन पहली बार 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा है। पिछले वर्ष के आंकड़ों की बात करें तो यह उनकी तुलना में करीब 12 प्रतिशत तक बढ़ा है।
*2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य 1,06,800 करोड़*
रक्षा मंत्रालय के सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप ही आज भारत इस कीर्तिमान को हासिल कर पाया है। वित्तीय-वर्ष (एफवाई) 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य 1,06,800 करोड़ है।
*निजी रक्षा उद्योगों से आंकड़े मिलने पर उत्पादन और अधिक होने की संभावना*
वहीं निजी रक्षा उद्योगों से आंकड़े प्राप्त होने के बाद इसके और अधिक होने की संभावना है। वित्तीय-वर्ष 2022-23 में वर्तमान रक्षा उत्पादन का मूल्य वित्तीय वर्ष 2021-22 के आंकड़े 95,000 करोड़ रुपये की तुलना में 12% तक बढ़ा गया है।
*रक्षा-उद्योग और उनके संघों के साथ लगातार काम कर रही है सरकार*
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार देश में रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को और अधिक बढ़ाने के लिए और उनकी चुनौतियों को कम करने के लिए रक्षा-उद्योग और उनके संघों के साथ लगातार काम कर रही है। आपूर्ति श्रृंखला में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों और स्टार्टअप के एकीकरण सहित ‘व्यवसाय में सुगमता’ जैसे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई नीतिगत बदलाव भी किए गए हैं।
*देश में रक्षा-उत्पादन उद्योग इको सिस्टम को मिला बढ़ावा*
इन नीतिगत बदलावों के कारण MSME और स्टार्टअप समेत उद्योग रक्षा डिजाइन, विकास और उत्पादन में आगे आ रहे हैं और सरकार द्वारा पिछले सात-आठ वर्षों में उद्योगों को जारी किए गए रक्षा उत्पादन लाइसेंसों की संख्या में लगभग 200% की वृद्धि हुई है। इन उपायों ने देश में रक्षा-उत्पादन उद्योग इको सिस्टम को बढ़ावा देने के साथ रोजगार के भी जबरदस्त अवसर उपलब्ध कराए हैं।