कोरबा 25 मई। सीएमडी डॉ.प्रेम सागर मिश्रा गेवरा खदान पहुंचे। वे ओबी पैच गए तथा गतिविधियों का निरीक्षण किया। उन्होंने माइन प्लान देखा तथा खदान के विस्तार की योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने आने वाले मानसून की तैयारियों का भी जायजा लिया तथा उत्पादन व प्रेषण से जुड़े विषयों पर आवश्यक निर्देश जारी किये। गेवरा ने कल लगभग डेढ़ लाख टन कोयले का उत्पादन किया है और इस वर्ष भी यह प्रोजेक्ट एक बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। सीएमडी के निरीक्षण के समय जीएम गेवरा एस के मोहंती साथ रहे।
क्षेत्रफल में एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान एसईसीएल गेवरा एरिया 70 मिलियन टन वार्षिक कोयला उत्पादन करने में सफल रही तो एशिया की बड़ी खदान बन जाएगी। उत्पादन क्षमता बढ़ाने जमीन अधिग्रहण कर खदान के विस्तार में गेवरा खदान जुटी हुई है। यहां के लंबित बसाहट, मुआवजा व रोजगार के प्रकरणों के निराकरण को लेकर भी दौरे पर पहुंचे एसईसीएल मुख्यालय के अधिकारी जरूरी निर्देश भी दे चुके हैं। एसईसीएल गेवरा खदान नराईबोध, भठोरा की जमीन का अधिग्रहण कर चुकी है। दूसरी ओर भिलाई बाजार समेत आसपास के गांवों की जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में है। आंशिक अधिग्रहण की नीति अपनाए जाने के विरोध से यहां के भू-विस्थापित प्रक्रिया आगे नहीं बढऩे दे रहे थे, लेकिन किसी भी गांव का आंशिक की बजाय पूर्ण अधिग्रहण करने पर प्रबंधन राजी हो गया है। ऐसे में आने वाले समय में प्रबंधन के सामने अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने में देरी नहीं होने की उम्मीदें बढ़ गई है। प्रबंधन के समक्ष अधिग्रहण के बाद भू-विस्थापितों को बसाहट देने की चुनौती है। भठोरा में बन रहे सब स्टेशन का काम भी पूर्णता की ओर है।
ऐसे में खनन प्रक्रिया इसी साल से शुरू हो जाएगी। नए खनन फेस पर संचालित मशीनों को यहां से बिजली सप्लाई की जानी है। नराईबोध को बसाहट देकर खनन करने की भी प्रबंधन की तैयारी है। भविष्य में प्रबंधन के पास जमीन की कमी न हो इसकी पुख्ता तैयारी है। ऐसे में अगले तीन-चार वर्ष में एसईसीएल गेवरा एरिया प्रबंधन वार्षिक 70 मिलियन टन के कोयला उत्पादन का कीर्तिमान स्थापित करने में कामयाब हो पाएगी, इसकी उम्मीदें बढ़ गई है।