⭕️ कोरबा: बालको G+9 पर रोक तोड़ी, स्कूल के बच्चे खतरे में, वन विभाग-प्रशासन की नींद क्यों गहरी? ⭕️

कोरबा के सेक्टर-6 में बालको का वो G+9 अपार्टमेंट प्रोजेक्ट जो उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने ठहाकों के बीच भूमिपूजन किया, आज उसी के 15 दिन बाद कानूनी जंजीरों में जकड़ा नजर आ रहा। डीएफओ प्रेमलता यादव ने पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की शिकायत पर राजस्व नियम, पर्यावरण मानक, नगर नियोजन, वन संरक्षण अधिनियम और सड़क ब्लॉकेज के उल्लंघनों पर सख्ती दिखाई—निर्माण रोको, जांच करो। लेकिन आलुवालिया कंपनी ने क्या किया? रात–दिन ट्रक दौड़ाए, मशीनें गरमाईं। वायरल वीडियो चीख–चीखकर बता रहे—रोक का मतलब सिर्फ कागजों पर!
सबसे दर्दनाक मोड़ तो स्कूल का। प्रोजेक्ट के बगल में ही सैकड़ों मासूम रोज भारी कंक्रीट मिक्सर और डंपरों के जंगल में जान जोखिम में डाल स्कूल पहुंच रहे। एक चूक हुई तो? कल्पना भी मत करो—मां–बाप रोएंगे, लेकिन जिम्मेदारी कौन लेगा? मंत्री कहेंगे हमने तो शुभकामना दी, मेयर मुंह छिपाएंगे, डीएफओ रिपोर्ट गिनाएंगे या कंपनी वकीलों के पीछे छुपेगी? स्थानीयों का गुस्सा सही लग रहा—खसरा 191/1 वन भूमि पर ये दादागिरी कब तक?

राजनीतिक रंग भी गहरा। प्रोजेक्ट का पुराना भूमिपूजन भूलाकर नया तमाशा रचा गया, संरक्षण की अफवाहें। प्रशासन चुप, वन टीम गायब—क्या बड़े नामों के आगे कानून घुटने टेक देता है? लोग चिल्ला रहे—अवैध काम रोको, मशीनें पकड़ो, अफसरों पर केस ठोकো, 24 घंटे नजर रखो। युवा कांग्रेस आंदोलन की धमकी दे रही।
सवाल सीधा—कानून सबके लिए बराबर या कंपनियों के लिए अलग रास्ता? समय रहते जागो वरना हादसा हो गया तो पछतावा ही बचेगा।
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