बलेनो विवाद में 24 घंटे हिरासत, FIR नहीं – कार भी उसे लौटा दी, अब थाने में खड़ी वेन्यू बारी कब…

बिलासपुर। सिविल लाइन थाने में बलेनो कार विवाद का अंत कुछ यूं हुआ मानो यह किसी “स्पेशल डिलीवरी” सेवा का हिस्सा हो। वाहन मालिक को बुलाने की भी जरूरत नहीं समझी गई और 24 घंटे “थाना अतिथि” रहे आरोपी को ही कार सौंप दी गई—वो भी बिना FIR दर्ज किए। अब थाने में खड़ी हुंडई वेन्यू को देखकर लोग अंदाजा लगा रहे हैं—क्या अगली VIP मेहमाननवाज़ी इसकी होने वाली है?
बिलासपुर। सिविल लाइन थाना क्षेत्र का यह मामला पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है। बलेनो कार विवाद में पुलिस ने शो–रूम से सुमित साहू को कार समेत उठाया और करीब 24 घंटे थाने में रखा। रात में थाना प्रभारी सुमंत साहू का बयान था—“420 का मामला है, आरोपी को नहीं छोड़ सकते।” लेकिन दुसरे दिन रात 8 बजे बिना FIR दर्ज किए न केवल आरोपी को छोड़ दिया गया, बल्कि बलेनो कार भी वापस सौंप दी गई।
यह मामला अंबिकापुर जिले से जुड़ा था। न प्रार्थी इस थाना क्षेत्र का, न ही सौदे का लेन–देन यहां हुआ। इसके बावजूद स्थानीय पुलिस की दिलचस्पी हैरान करती है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने पुराने आवेदन का हवाला देकर आरोपी को जेल भेजने की धमकी दी, मगर अंततः न केस दर्ज हुआ और न ही कानूनी कार्रवाई हुई।
सबसे अहम सवाल यह भी है कि क्या आरोपी को पकड़ने से पहले रोजनामचा में रवानगी और वापसी की प्रविष्टि दर्ज की गई थी या यह सब यूं ही हो गया? यदि प्रविष्टि नहीं हुई, तो यह न केवल पुलिस मैनुअल का उल्लंघन है, बल्कि आरोपी की हिरासत को गैर–कानूनी भी बनाता है। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, यह स्थिति आरोपी को अदालत में सीधा राहत दिला सकती है और विभागीय जांच की मांग खड़ी कर सकती है।
अब चर्चा में है दो दिन से थाने में खड़ी हुंडई वेन्यू (CG 14 MM 3710)। लोग पूछ रहे हैं—क्या इस पर FIR दर्ज होगी या यह भी बलेनो की तरह “सेटिंग” के सहारे बाहर निकल जाएगी?
कानूनी जानकार मानते हैं—यदि मामला वाकई धोखाधड़ी का था तो FIR और न्यायिक प्रक्रिया जरूरी थी, और अगर मामला नहीं था, तो 24 घंटे हिरासत में रखना कानून के खिलाफ है।
गौरतलब है कि हाल ही में कोतवाली थाना प्रभारी को लापरवाही के चलते एसएसपी ने लाइन हाजिर किया था। अब देखना यह होगा कि सिविल लाइन थाने के इस मामले में किस तरह रुख अपनाया जाएगा।
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