Chhattisgarhछत्तीसगढ़जरूरी खबरधमतरीबड़ी ख़बरराज्य एवं शहर

झूठे आरोप और भ्रष्ट साज़िश: मधु तिवारी को फंसाने की गहरी चाल उजागर, हाईकोर्ट जाएंगी पीड़िता

रविवार को खोला गया कार्यालय! मधु तिवारी की सेवा समाप्ति में बैकडेट की बू

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का राज्य कार्यालय अवकाश के दिनखुला’, आदेश की वैधता पर सवाल

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें विभाग की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता के झूठे आरोप, और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगा है। इस पूरे मामले में एक अकेली महिला कर्मचारी मधु तिवारी को बलि का बकरा बनाया गया, जबकि पूरी चयन समिति और शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर कोई सवाल नहीं उठाया गया।

स्वास्थ्य विभाग में एक महिला कर्मचारी को सुनियोजित तरीके से झूठे आरोपों में फंसाने और मानसिक प्रताड़ना देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि पहले एक अपराधिक मामले में जेल जा चुके टोमन कौशिक ने रिहाई के बाद मधु तिवारी के खिलाफ आरटीआई डालनी शुरू की और झूठे आरोप लगाकर उसका करियर खराब करने की कोशिश की। मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि इस साज़िश में धमतरी के सीएमएचओ डॉ. यू.एल कौशिक और डीपीएम डॉ. प्रिया कँवर की भूमिका भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि टोमन कौशिक को विभाग से निकाले जाने के बावजूद दोबारा नौकरी पर रखा गया और उसकी नियुक्ति में प्रक्रियाओं को नजरअंदाज़ किया गया।

चयन समिति ही जांचकर्ता बन गई
शिकायतकर्ता ने जिस भर्ती में कथित अनियमितता का आरोप लगाया है उसके चयन समिति ने भर्ती प्रक्रिया को अंजाम दिया, उसी से जांच भी करवा ली गई, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। यही नहीं, जांच रिपोर्ट राज्य कार्यालय भेजते समय तत्कालीन सीएमएचओ डॉ.डीके तुर्रे का बयान तक नहीं लिया गया और अधूरी जानकारी भेजी गई। यह मामला सिर्फ विभागीय भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से व्यक्तिगत दुश्मनी और पद के दुरुपयोग के ज़रिए एक महिला कर्मचारी को मानसिक और पेशेवर रूप से निशाना बनाया गया।

बर्खास्त टोमन कौशिक की वापसी और झूठे आरोपों की शुरुआत

सूत्रों के अनुसार, विभाग से निकाले गए कर्मचारी टोमन कौशिक, जो एक आपराधिक मामले में जेल जा चुका है, ने रिहाई के बाद मधु तिवारी के खिलाफ आरटीआई डालना और झूठे आरोप लगाना शुरू किया। इस साजिश में सीएमएचओ डॉ. यूएल कौशिक और डीपीएम डॉ. प्रिया कँवर की भूमिका भी संदेह के घेरे में है, क्योंकि इन्हीं अफसरों ने टोमन को फिर से विभाग में नौकरी दिलाई, और तत्कालीन कलेक्टर नम्रता गांधी तक को गुमराह किया। नम्रता गांधी से टोमन कौशिक को मिले कार्य सुधार नोटिस को छिपाया गया और उसका काम अच्छा है यह झूठी जानकारी दी गई।

चयन समिति बनी जांचकर्तान्याय की हत्या?

जिस भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितता के आरोप लगे हैं, उसका संचालन चयन समिति ने किया था, जिसमें: तत्कालीन सीएमएचओ डॉ डी.के तुर्रे, डीपीएम राजीव बघेल और समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। चौंकाने वाली बात यह है कि उसी चयन समिति के डॉ.विजय फुलमाली, डॉ.टीआर ध्रुव, डीपीएम प्रिया कंवर को ही जांच सौंप दी गई, जो स्पष्ट रूप से प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के खिलाफ है। बाद में डीपीएम प्रिया कंवर ने खुद को जांच से अलग करने पत्र दिया था। उसके बाद डॉ.विजय फुलमाली और डॉ.टीआर ध्रुव की बनाई कथित जांच रिपोर्ट को ही राज्य कार्यालय भेज दिया गया।

  चलती कार में लगी आग,कार धू धू कर जला

एक व्यक्ति अपने ही निर्णय का न्याय नहीं कर सकता।

एक ही कर्मचारी पर दोष क्यों? यदि चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी थी, तो सवाल यह उठता है किक्या सिर्फ मधु तिवारी उस पूरी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती थीं? फिर चयन समिति, तत्कालीन सीएमएचओ, और डीपीएम को जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया गया? क्यों इनके खिलाफ कोई जांच या कार्रवाई नहीं हुई?

कार्रवाई पर संदेह क्यों?

रविवार को सेवा समाप्ति आदेश जारी:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का राज्य कार्यालय सामान्यत: अवकाश के दिन बंद रहता है, लेकिन मधु तिवारी की सेवा समाप्ति का आदेश रविवार को जारी किया गया — स्पष्ट संकेत कि आदेश बैकडेट में तैयार किया गया।

विधानसभा प्रश्न से ठीक पहले कार्रवाई:
धमतरी के विधायक ओमकार साहू ने विधानसभा में भर्ती घोटाला और 15वें वित्त आयोग की खरीदी में भ्रष्टाचार को लेकर तारांकित प्रश्न लगाया था। इससे एक दिन पहले ही मधु तिवारी पर कार्रवाई कर दी गई — क्या यह राजनीतिक जवाबदेही से बचाव की कोशिश थी?

जांच नहीं, सीधे दंड:
मधु तिवारी पर कार्रवाई बिना किसी स्वतंत्र जांच या सुनवाई प्रक्रिया के की गई — जबकि वही चयन समिति जांच कर रही थी जिसने भर्ती की थी।
यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन है।

बर्खास्त कर्मचारी की शिकायत पर कार्रवाई:
शिकायतकर्ता टोमन कौशिक पहले ही जेल जा चुका है, और उसकी बर्खास्तगी हुई थी। फिर भी उसी की शिकायत पर कार्रवाई की गई।

क्या पूरा भर्ती घोटाला एक अकेले कर्मचारी ने किया, या फिर उसे बलि का बकरा बनाकर उच्च अधिकारियों को बचाया जा रहा है?

अब हाईकोर्ट की शरण में मधु तिवारी

अपने सम्मान, नौकरी और सच्चाई के लिए लड़ रही मधु तिवारी ने अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने का फैसला किया है।
उनका कहना है कि ”अगर मुझे ही दोषी ठहराया जा रहा है, तो क्या चयन समिति, सीएमएचओ और डीपीएम जैसे उच्च पदों पर बैठे लोग इस पूरी प्रक्रिया से अछूते हैं?”

यह सिर्फ एक कर्मचारी का मुद्दा नहीं, यह सिस्टम की साजिश है।

यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत प्रताड़ना का है, बल्कि सिस्टम में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ और न्याय व्यवस्था की अनदेखी का बड़ा उदाहरण है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि हाईकोर्ट में सच कितना उजागर होता है, और क्या इस मामले में वास्तविक दोषियों को सज़ा मिलेगी, या फिर एक बार फिर किसी को बलि का बकरा बना दिया जाएगा?

1.एक कर्मचारी पर सारा दोष क्यों? भर्ती साज़िश में बड़े अफसर भी शक के घेरे में
2. भर्ती घोटाले की जांच अधूरी, सीएमएचओ और डीपीएम की भूमिका पर उठे सवाल
3. बर्खास्त कर्मचारी की शिकायत पर कार्रवाई, वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों बचाया गया?
4. टोमन कौशिक के आरोपों पर कार्रवाई, लेकिन चयन समिति कैसे निर्दोष?
5. धमतरी भर्ती विवाद: चयन करने वाले अफसर ही जांचकर्ता, क्या यही न्याय है?
6. सीएमएचओ-डीपीएम की संदिग्ध भूमिका, मधु तिवारी को बनाया गया बलि का बकरा
7. एकतरफा जांच या सोची-समझी साज़िश? भर्ती विवाद में अफसर क्यों हैं बाहर?

Was this article helpful?
YesNo

Live Cricket Info

Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

Related Articles

Back to top button