Bilaspur Highcourt News — छात्रा से छेड़छाड़ मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: व्याख्याता की सजा को बताया न्यायसंगत, अपील खारिज

Bilaspur Highcourt News — अनुसूचित जाति वर्ग की नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के गंभीर आरोप में दोषी पाए गए शासकीय व्याख्याता की सजा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने यथावत बनाए रखा है। ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई 5 वर्ष की सश्रम कैद और अर्थदंड की सजा के खिलाफ दायर की गई अपील को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
Bilaspur Highcourt News — बिलासपुर।वर्ष 2022 में मुंगेली जिले के एक हाईस्कूल में पदस्थ व्याख्याता अमित सिंह ने स्कूल की ही 13 वर्षीय अनुसूचित जाति वर्ग की छात्रा के साथ आपत्तिजनक व्यवहार कर उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाई थी। इस मामले में निचली अदालत ने दोषी पाते हुए आरोपी शिक्षक को 5 साल के कारावास और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसमें उसने घटना के दिन अवकाश पर होने का हवाला दिया। लेकिन न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल की एकलपीठ ने यह दलील खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
एफआईआर से कोर्ट तक: ये रहा घटनाक्रम
25 अगस्त 2022 को पीड़िता की मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक अमित सिंह ने उनकी बेटी के साथ अनुचित व्यवहार किया है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354, POCSO अधिनियम की धारा 10, और SC-ST एक्ट की धारा 3(1) के तहत मामला दर्ज कर चालान पेश किया।
सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दावा किया कि आरोपी शिक्षक उस दिन आकस्मिक छुट्टी पर था और उन्होंने स्कूल की उपस्थिति रजिस्टर की प्रति सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की थी। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने यह दस्तावेज तकनीकी कारणों से वैध साक्ष्य नहीं माना, क्योंकि इस पर सिर्फ स्कूल प्राचार्य का हस्ताक्षर था और कोई विधिक प्रमाणीकरण नहीं था।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान शासन पक्ष और आरोपी के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने पाया कि पीड़िता एवं उसकी मां के बयान विश्वसनीय हैं, और केवल एक छुट्टी के दस्तावेज के दम पर आरोपी को बरी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि 25 अगस्त के अतिरिक्त अन्य तिथियों पर भी छात्रा के साथ दुर्व्यवहार के प्रमाण हैं।
न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल की पीठ ने साफ किया कि अवकाश का जो प्रमाण प्रस्तुत किया गया है, वह कानूनी रूप से प्रस्तुत नहीं किया गया, और इसे सबूत के रूप में नहीं माना जा सकता। अतः अपील को अस्वीकार करते हुए निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को उचित ठहराया गया।
जेल अधीक्षक को आदेश
अदालत ने बिलासपुर स्थित सेंट्रल जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि अपील खारिज होने के बाद अब आरोपी को शेष सजा पूरी करवाई जाए। उल्लेखनीय है कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद से ही आरोपी जेल में सजा भुगत रहा है।
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