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लूट की लंका में तब्दील छत्तीसगढ़ सरकार-गुलाम अफसरो ने जनता को चूसकर खड़ा किया 15,000 करोड़ का भ्रष्टाचार साम्राज्य!

घोटालों की लहर में डूबा छत्तीसगढ़, छापेमारी से खुला गंदा राज—सरकार, अफसर और दलालों की तिकड़ी ने किया जनता को कंगाल!

छत्तीसगढ़ के माथे पर लगे 7 काले धब्बों ने यह साबित कर दिया है कि सत्ता और सिस्टम मिलकर किस तरह खजाने को निजी तिजोरी में बदलते हैं। *न्यायधानी* की एक विस्तृत रिपोर्ट ने 15,000 करोड़ रुपये की ब्लैक कमाई के खेल का परत-दर-परत भंडाफोड़ किया है। यह खुलासा किसी एक विभाग, किसी एक नेता या किसी एक ठेकेदार तक सीमित नहीं—यह पूरा तंत्र है, जो कमीशनखोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और जनता के पैसों की खुली लूट में संलिप्त रहा है।

साल दर साल घोटाले—बेशर्मी से खजाना लूटा गया

पिछले 5 वर्षों में एक के बाद एक सामने आए 7 घोटालों में शामिल हैं:
महादेव सट्टा ऐप स्कैम (6000 करोड़)
• शराब माफिया का खेल (3200 करोड़)
• मेडिकल उपकरण खरीदी घोटाला (660 करोड़)
• कोयला कमीशन रैकेट (570 करोड़)
• डीएमएफ लूटकांड (575 करोड़)
• कस्टम मिलिंग स्कैम (140 करोड़)
• भारतमाला मुआवजा फर्जीवाड़ा (48 करोड़ और बढ़ती रकम)

इन सभी मामलों में ईडी, ईओडब्ल्यू और सीबीआई ने कार्रवाई की, और दर्जनों अधिकारियों, माफियाओं, व्यापारियों और राजनेताओं को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है।

1. महादेव सट्टा ऐप घोटाला: डिजिटल जुए से अरबों की लूट
6000 करोड़ रुपये के इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल जैसे नामी फरार अपराधी हैं, जिन पर इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है। ईडी ने 9084 पन्नों का चार्जशीट दाखिल किया है, जिसमें हर स्तर पर मिलीभगत का प्रमाण मौजूद है। न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट भी जारी किए हैं।

2. शराब घोटाला: सरकार के संरक्षण में 3200 करोड़ का नशे का व्यापार
पूर्व आबकारी मंत्री से लेकर बड़े कारोबारी और आईएएस तक इस घोटाले में घुटनों तक सने हुए हैं। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल तक ईडी की गिरफ्त में आ चुके हैं। आरोप है कि उन्होंने 16.70 करोड़ की ब्लैक मनी खपाई। यह घोटाला कांग्रेस शासनकाल के सबसे बड़े घोटालों में एक बन चुका है।

3. मेडिकल उपकरण घोटाला: बीमारों की सांसों पर भी लूट
660 करोड़ की इस लूट में मरीजों के नाम पर घटिया उपकरण खरीदे गए और गुणवत्ता की जगह कमीशन तय हुआ। सीजीएमएससी के अधिकारी, इंजीनियर और सप्लायरों की मिलीभगत ने चिकित्सा व्यवस्था को मज़ाक बना दिया।

4. कोयला घोटाला: टन के हिसाब से वसूली, सिस्टम के कंधे पर डकैती
570 करोड़ रुपये की अवैध वसूली सीधे अफसरों की जेब में गई। हर टन कोयले पर ₹25 का कट। इसमें नाम हैं—समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, रानू साहू—सभी आईएएस, सभी जेल की हवा खा चुके हैं। कुछ को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी, लेकिन आरोप अब भी कायम हैं।

5. डीएमएफ घोटाला: आदिवासियों के हक की डकैती
575 करोड़ का यह मामला सीधे जनजातीय विकास निधि की लूट का है। इसमें भी रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सौम्या जैसे बड़े अधिकारी, सीएमओ के लोग और दलाल शामिल हैं। पैसा निकला—पर विकास कहीं नहीं हुआ।

6. भारतमाला मुआवजा घोटाला: ज़मीन पर भी खेला गया पैसा-पैसा
अभनपुर में हुआ यह घोटाला करोड़ों के मुआवजे की बंदरबांट का केस है, जिसमें दलाल, नेता और अफसरों ने मिलकर एक सुनियोजित ठगी की स्क्रिप्ट रची। जांच जारी है और 48 करोड़ से ऊपर की रकम का घोटाला उजागर हो चुका है।

7. कस्टम मिलिंग घोटाला: चावल में चूना, क्विंटल पर कट
140 करोड़ की यह कहानी एक और “कमिशन फिक्स” घोटाले की है, जिसमें राइस मिलर्स से सीधे 20 रुपये प्रति क्विंटल की वसूली की गई। इस बार आरोपी हैं—मनोज सोनी (MARKFED), रोशन चंद्राकर और पुरानी टीम के चेहरे, जो पहले से शराब घोटाले में भी लिप्त थे।

कहां है जवाबदेही? कौन है असली सरगना?
इन घोटालों ने छत्तीसगढ़ को कमीशनधर्मियों की राजधानी बना दिया है। जनता त्रस्त, तंत्र मस्त—और भ्रष्टाचार पर ताला नहीं, सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है।

यह रिपोर्ट सिर्फ आरोप नहीं है—ये दस्तावेज़ी साक्ष्य हैं कि छत्तीसगढ़ की जनता को योजनाओं के नाम पर लूटा गया, और सत्ताधारी ताकतों ने उसे मौन स्वीकृति दी। क्या अब भी कोई कार्रवाई होगी या सब कुछ ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ कहकर धूल में दबा दिया जाएगा?

यह सिर्फ रिपोर्ट नहीं, आने वाले कल की चेतावनी है—अगर अब भी आंखें बंद रहीं, तो अगली बार लूटने वाला और बेशर्म होगा।

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