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Bilaspur Highcourt News:– डीएसपी के अंतरजातीय विवाह पर समाज ने किया बहिष्कार, हाईकोर्ट ने सुनाया सख्त फैसला, कहा – निजी जीवन में दखल असंवैधानिक, याचिका खारिज

Bilaspur Highcourt News:– अंतरजातीय विवाह करने पर डीएसपी और उनके परिवार को समाज से बहिष्कृत करने की कोशिश के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। मामले में समाज के पदाधिकारियों द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा किसंविधान की मर्यादा सर्वोच्च है, कोई भी व्यक्ति या समुदाय इससे ऊपर नहीं हो सकता।अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि विवाह करना हर नागरिक का व्यक्तिगत अधिकार है और इसमें हस्तक्षेप करना पूरी तरह असंवैधानिक है।

Bilaspur बिलासपुर। कांकेर जिले में पदस्थ डीएसपी डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह ने सरगुजा जिले की युवती से प्रेम विवाह किया था, जो कि अंतरजातीय था। दोनों परिवारों की सहमति से यह विवाह हुआ था। लेकिन विवाह के बाद सतगढ़ तंवर समाज के कुछ लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया और एक बैठक कर डीएसपी और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया।

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बहिष्कार के विरोध में दर्ज हुई पुलिस शिकायत:
इस सामाजिक बहिष्कार से आहत होकर डीएसपी और उनके परिजनों ने बेलगहना पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज करवाई। शिकायत में उन्होंने बताया कि समाज के लोगों द्वारा सार्वजनिक तौर पर अपमान किया जा रहा है, धमकी दी जा रही है और सामाजिक रूप से अलग-थलग किया जा रहा है। इस शिकायत के आधार पर कोटा एसडीओपी ने जांच शुरू की और समाज के पदाधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया।

पुलिस कार्रवाई से नाराज समाज पहुंचा हाईकोर्ट:
बयान के लिए बुलाए जाने पर समाज के प्रतिनिधियों ने इसे पुलिस की प्रताड़ना बताया और हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि पुलिस उनके पारंपरिक अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है और उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है।

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हाईकोर्ट ने सुनाई सख्त टिप्पणी – “संविधान से बड़ा कोई नहीं

देखिए video


मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच ने याचिका पर सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा
क्या आप लोग संविधान से ऊपर हैं? कौन किससे शादी करेगा, यह व्यक्ति का अधिकार है। विवाह एक निजी निर्णय है और समाज इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा बयान के लिए बुलाया जाना एक सामान्य जांच प्रक्रिया है, इसे प्रताड़ना नहीं माना जा सकता।

याचिका खारिज, कोर्ट ने दी सख्त नसीहत:
हाईकोर्ट ने समाज के पदाधिकारियों की याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया और कहा किव्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करें। सामाजिक बहिष्कार जैसी परंपराएं केवल अमानवीय हैं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान के भी खिलाफ हैं।

कोर्ट की सुनवाई का वीडियो हुआ वायरल:
सुनवाई के दौरान की कोर्ट की टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में मुख्य न्यायाधीश को यह कहते हुए सुना गया
आप किसी के निजी जीवन में दखल नहीं दे सकते। क्या आप संविधान को ताक पर रख देंगे?”

पुलिस जांच अभी भी जारी:
बेलगहना पुलिस द्वारा दर्ज प्रकरण की जांच अभी भी कोटा एसडीओपी के नेतृत्व में चल रही है। समाज के पदाधिकारियों से पूछताछ की गई है और जरूरी दस्तावेज संकलित किए जा रहे हैं। यदि सामाजिक बहिष्कार और धमकी के आरोप सही पाए जाते हैं, तो आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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