कुसमुण्डा खदान में डीजल चोरी का खेल — ‘अंदर से अंदर’ खत्म हो रही शिकायतें, अफसर क्यों हैं खामोश ?

कोरबा। एसईसीएल की कुसमुण्डा खदान में डीजल चोरी का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। लाखों रुपये का डीजल यहां से हर महीने गायब हो रहा है, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि चोरी का माल बाहर जाता ही नहीं। मशीनों और भारी वाहनों में यहीं खपाकर पूरा मामला ‘इन-हाउस’ निपटा दिया जाता है, जिससे बाहर किसी को भनक तक नहीं लगती।
शिकायतें फाइलों में दब रहीं
खदान के कुछ कर्मचारियों के मुताबिक, डम्पर ऑपरेटरों और स्टाफ द्वारा की गई शिकायतें ऊपरी स्तर तक पहुंचने से पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं। जब शिकायत ही बाहर नहीं जाएगी तो कार्रवाई का सवाल ही नहीं उठता। यही वजह है कि कभी-कभार दबाव में हुई कार्रवाई भी टिकाऊ नहीं होती और चोरी का नेटवर्क दोबारा सक्रिय हो जाता है।
गिरोह का नेटवर्क और तय इलाका
सूत्र बताते हैं कि इस चोरी के पीछे नवीन कश्यप (₹5,000 इनामी) और बलगी निवासी परमेश्वर का गिरोह सक्रिय है। इनकी गतिविधियां चार प्रमुख जगहों पर फैली हुई हैं —
- बरमपुर कन्वेयर बेल्ट के भीतर
- खमरिया पुराने पेट्रोल पंप के पीछे
- गेवरा रोड रेलवे स्टेशन के पास
- खोडरी की ओर जाने वाला इलाका
रात के अंधेरे में बिना नंबर प्लेट वाली बोलेरो और कैम्पर गाड़ियां पहुंचती हैं और डम्परों से सीधे डीजल उतार लेती हैं।
घटनाएं दर्ज, FIR नहीं
हाल के महीनों में कई घटनाएं लिखित रूप से दर्ज हुईं —
- डम्पर K-928 से RBR बेल्ट के पास पूरी टंकी गायब
- डम्पर K-941 से सतर्कता चौक के पास 3:40 बजे चोरी
- डम्पर S-886 से भी डीजल उड़ाया गया
इन मामलों में FIR दर्ज नहीं हुई और जो भी कार्रवाई हुई, उसे सार्वजनिक नहीं किया गया।
बाहर खबर न पहुंचे, यही रणनीति
डीजल चोरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि माल खदान के भीतर ही खत्म कर दिया जाता है। कोई ट्रक, कोई टैंकर, कोई सप्लाई चेन बाहर नहीं जाती — न पुलिस को भनक, न मीडिया को सबूत। और जब बाहर किसी को पता ही न चले तो कार्रवाई की उम्मीद भी बेकार है।
क्या यह सिर्फ लापरवाही है या कुछ और?
कुसमुण्डा खदान में डीजल चोरी का यह ‘सिस्टमेटिक ऑपरेशन’ अब सिर्फ चोरी का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह सवाल खड़ा करता है कि क्या अफसरों की चुप्पी महज लापरवाही है या फिर इसमें कहीं न कहीं सांठगांठ भी शामिल है?
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