PHQ टास्क फोर्स रायपुर के लिए हाइब्रिड कमिश्नरेट ब्लूप्रिंट सौंपेगी, 6 राज्यों का अध्ययन पूरा

PHQ टास्क फोर्स रायपुर के लिए हाइब्रिड कमिश्नरेट ब्लूप्रिंट सौंपेगी, 6 राज्यों का अध्ययन पूरा
यह खबर सबसे पहले प्रदेश के प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी अख़बार The Hitavada ने गहन विश्लेषण और विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से प्रकाशित की। आज यह रिपोर्ट प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गई है
हाइब्रिड मॉडल में ओडिशा और पंजाब की श्रेष्ठ प्रथाओं का संगम
अध्यादेश या कैबिनेट अधिसूचना से कानूनी रोलआउट संभावित
राज्य के रजत जयंती वर्ष में 1 नवम्बर को औपचारिक लॉन्च पर नज़र
रायपुर में पुलिस व्यवस्था को लेकर ऐतिहासिक बदलाव की आहट सुनाई दे रही है और पुलिस मुख्यालय (PHQ) नवा रायपुर ने राजधानी के लिए हाइब्रिड पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम का विस्तृत ब्लूप्रिंट तैयार करने की दिशा में अंतिम चरण की ओर बढ़त बना ली है, जहां टास्क फोर्स द्वारा छह राज्यों और दो दर्जन से अधिक शहरों के कमिश्नरेट मॉडल का तुलनात्मक अध्ययन कर लिया गया है और अब राजधानी की भौगोलिक, सामाजिक तथा प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुरूप एक मिश्रित ढांचा तैयार हो रहा है जो आदेश-निर्णय की बहुस्तरीय बाधाओं को हटाकर त्वरित जवाबदेह और तकनीक-संचालित शहरी पुलिसिंग का नया दौर शुरू करेगा और यह बदलाव न सिर्फ राजधानी बल्कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को भी नई दिशा देगा क्योंकि इस मॉडल को आगे चलकर बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई और अंबिकापुर जैसे बड़े शहरी क्लस्टर्स में भी लागू करने की संभावना जताई जा रही है।

यह खबर सबसे पहले प्रदेश के प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी अख़बार The Hitavada ने गहन विश्लेषण और विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से प्रकाशित की। आज यह रिपोर्ट प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गई है
टास्क फोर्स का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (योजना एवं प्रावधान) प्रदीप गुप्ता कर रहे हैं जबकि समिति में पुलिस महानिरीक्षक (नारकोटिक्स) अजय यादव, पुलिस महानिरीक्षक (रायपुर रेंज) अमरेश मिश्रा, पुलिस महानिरीक्षक (CID) ध्रुव गुप्ता, पुलिस उपमहानिरीक्षक (दूरसंचार) अभिषेक मीणा, पुलिस उपमहानिरीक्षक (सी.सी.टी.एन.एस.) संतोष सिंह और पुलिस अधीक्षक (स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच) प्रभात कुमार शामिल हैं, साथ ही अभियोजन संचालनालय से संयुक्त संचालक मुकुला शर्मा को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में जोड़ा गया है। समिति ने ओडिशा के भुवनेश्वर-कटक और पंजाब के लुधियाना-जालंधर के अपेक्षाकृत नवीन और लचीले ढांचों का विशेष अध्ययन किया है और रायपुर के प्रस्तावित हाइब्रिड मॉडल की बुनियाद इन्हीं श्रेष्ठ प्रथाओं पर रखी गई है जबकि मध्यप्रदेश (भोपाल-इंदौर), उत्तरप्रदेश (नोएडा-प्रयागराज), तेलंगाना (हैदराबाद-वारंगल) और महाराष्ट्र (मुंबई-नागपुर) से भी साइबर फोरेंसिक, ट्रांजिट मैनेजमेंट, त्वरित प्रतिक्रिया और अपराध विश्लेषण से जुड़ी प्रक्रियाएँ
अपनाने की अनुशंसा की गई है।
प्रस्तावित ढांचे में कमिश्नर ऑफ पुलिस (आईजी रैंक) के साथ एक अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर (डीआईजी रैंक) और आठ से बारह डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (एसपी/एडिशनल एसपी रैंक) की व्यवस्था प्रस्तावित है, जिसमें शहर को कार्यात्मक और भौगोलिक आधार पर ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ और साउथ ज़ोन के अलावा ट्रैफिक, क्राइम, साइबर, विमेन सेफ्टी, रूरल और मुख्यालय शाखाओं के प्रभार दिए जाने की परिकल्पना की गई है ताकि राजधानी स्तर पर आदेश-निर्णय की श्रृंखला सुगम बने और जिम्मेदारी की स्पष्ट रेखा खिंचे।
क्रियान्वयन के लिए सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है-राज्य मंत्रिपरिषद की अधिसूचना द्वारा तत्काल लागू करना या फिर राज्यपाल अध्यादेश के जरिए वैधानिकता प्रदान कर बाद में विधानसभा में विधेयक लाकर उसे स्थायी रूप देना। गृह विभाग ने विधि विभाग से दोनों विकल्पों पर राय मांगी है और संकेत हैं कि इस प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से निपटाया जाएगा ताकि राज्य के रजत जयंती वर्ष में 1 नवम्बर (राज्य स्थापना दिवस) पर औपचारिक लॉन्च संभव हो सके।
महिला सुरक्षा, ट्रैफिक प्रबंधन, साइबर क्राइम से निपटने, गंभीर और संगठित अपराधों की रोकथाम और ग्रामीण परिधि की सुरक्षा जैसे मुद्दों को विशेष रूप से इस ढांचे में शामिल किया गया है। इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम, ई-चालान एकीकरण, डिजिटल फॉरेंसिक लैब, ओएसआईएनटी डेस्क, 24×7 इमरजेंसी रिस्पॉन्स, क्विक रिस्पॉन्स टीम और बीट लेवल सेफ्टी नोड्स जैसी सुविधाएँ राजधानी पुलिस की नई कार्यप्रणाली का हिस्सा होंगी।


परिवर्तन के साथ चुनौतियाँ भी होंगी-विशेष रूप से मजिस्ट्रेटी शक्तियों को पुलिस अधिकारियों को सौंपे जाने से राजस्व प्रशासन के साथ समन्वय का नया समीकरण बनेगा, जिसके लिए स्पष्ट SOPs और संयुक्त कंट्रोल रूम प्रोटोकॉल बनाए जा रहे हैं। मानव बल और प्रशिक्षण को भी चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने का प्रस्ताव है ताकि नई व्यवस्था सुचारु रूप से लागू हो और नागरिक सेवाओं में व्यवधान न आए।
रायपुर की जनसंख्या वृद्धि, वाहन घनत्व, शहरीकरण, स्वास्थ्य-शिक्षा-कॉमर्स का दबाव और बढ़ते साइबर अपराधों ने इस बदलाव को अपरिहार्य बना दिया है। राजधानी पुलिस के लिए सेकंड-काउंटिंग इमरजेंसी रिस्पॉन्स और तकनीक-आधारित अपराध प्रबंधन अब ज़रूरी है और यही वजह है कि कमिश्नरेट प्रणाली का यह हाइब्रिड ढांचा राज्य की प्रशासनिक प्राथमिकताओं में शीर्ष पर रखा गया है।
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