दर्री क्षेत्र में बढ़ता अवैध रेत परिवहन — बिना नंबर प्लेट और रॉयल्टी के दौड़ रहे ट्रैक्टर, प्रशासन मौन

कोरबा। दर्री थाना क्षेत्र में अवैध रेत खनन और परिवहन का धंधा दिनोंदिन बेकाबू होता जा रहा है। कानून और प्रशासनिक नियंत्रण की धज्जियां उड़ाते हुए कई ट्रैक्टर बिना नंबर प्लेट और बिना रॉयल्टी के खुलेआम सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं। यह न केवल सरकारी नियमों की अवहेलना है, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा भी बन गया है।
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों के अनुसार, रात और सुबह के समय इन ट्रैक्टरों की गतिविधियाँ सबसे अधिक देखी जाती हैं। जब दृश्यता कम होती है, तब तेज रफ्तार में रेत से भरे ट्रैक्टर सड़कों पर दौड़ते हैं, जिससे हादसे की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी और रॉयल्टी से बचने की प्रवृत्ति के कारण यह अवैध व्यापार तेजी से पनप रहा है।
आज दिनांक 9 अक्टूबर, सुबह लगभग 10:20 बजे, जेलगांव चौक से जमीनीपाली एनटीपीसी गेट तक के एनएच रोड (कोरबा–कटघोरा मार्ग) पर एक नीले रंग का ट्रैक्टर रेत से लदा तेज रफ्तार में जाते देखा गया। बताया गया कि ट्रैक्टर पर नंबर प्लेट नहीं थी और वह पूरी तरह रेत से भरा हुआ था। इससे पहले लाल रंग का एक ट्रैक्टर भी इसी मार्ग पर बिना रॉयल्टी के रेत परिवहन करते देखा गया था। अब नीले ट्रैक्टर का दिखना यह स्पष्ट संकेत देता है कि अवैध रेत परिवहन का यह खेल लगातार जारी है और प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस रोकथाम नहीं की जा रही है।
स्थानीय निवासियों ने इस मामले में कई बार शिकायतें कीं, परंतु प्रशासन की चुप्पी ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। क्षेत्र में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इतने स्पष्ट प्रमाणों के बावजूद भी अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या प्रशासन इन गतिविधियों से अनजान है, या फिर जानबूझकर अनदेखी की जा रही है?
प्रमुख मांगें: स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन और पुलिस विभाग से इस मामले में तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है। प्रमुख मांगों में —
1. अवैध रेत परिवहन में शामिल सभी वाहनों की पहचान और जब्ती की जाए।
2. बिना नंबर प्लेट और रॉयल्टी वाले ट्रैक्टरों को सीज किया जाए।
3. दोषियों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
4. रॉयल्टी वसूलने की पारदर्शी और प्रभावी व्यवस्था लागू की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
बढ़ता हुआ खतरा:
यह अवैध रेत परिवहन अब केवल कानून व्यवस्था का उल्लंघन नहीं, बल्कि जनजीवन के लिए गंभीर खतरा बन गया है। बिना सुरक्षा नियमों के पालन के ये ट्रैक्टर “चलती हुई मौत” बन चुके हैं। तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग और गैरकानूनी संचालन के चलते किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार स्कूल जाने वाले बच्चे, दोपहिया वाहन सवार या राहगीर इन ट्रैक्टरों से बाल-बाल बचे हैं।
प्राकृतिक संसाधनों की अवैध लूट, शासन की रॉयल्टी का नुकसान और सड़क सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियाँ अब एक साथ खड़ी हैं। प्रशासन को चाहिए कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जिम्मेदारों पर त्वरित कार्रवाई करे।
यदि समय रहते इस अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह न केवल पर्यावरण और सड़क सुरक्षा के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी समस्या बन जाएगी। अब जनता उम्मीद कर रही है कि शासन-प्रशासन जागेगा और ऐसे अवैध रेत माफियाओं के खिलाफ निर्णायक कदम उठाएगा — ताकि कोरबा की सड़कों पर फिर से सुरक्षा और कानून का राज स्थापित हो सके।
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