CG News :- जंगलों में फल-फूल रहा करोड़ों का जुआ साम्राज्य !कथित पुलिस संरक्षण से हरिराम साहू का नेटवर्क बेखौफ, शिकायतों के बाद भी पुलिस खामोश क्यों ?

पुलिस की छवि सुधारने और जनता का भरोसा जीतने की नसीहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राष्ट्रीय मंच से पूरे देश को संदेश के रूप में दी थी चुके हैं, लेकिन कोरबा जिले के जंगलों की सच्चाई उन तमाम बातों को आईना दिखा रही है। जहां एक ओर सख्ती और कानून–व्यवस्था के बड़े–बड़े दावे हैं, वहीं दूसरी ओर गोढ़ी, चाकामार और कोरकोमा के जंगलों में करोड़ों का जुआ बेखौफ चल रहा है। सवाल साफ है—जब अपराध खुलेआम फल–फूल रहे हों और पुलिस खामोश हो, तो भरोसा बचेगा कैसे और छवि सुधरेगी किसके दम पर?
कोरबा। जिले के गोढ़ी, चाकामार और कोरकोमा के जंगल इस समय अवैध जुआ–सट्टे के सबसे बड़े ठिकानों में बदल चुके हैं। रात–दिन लाखों रुपये की उड़ाई जा रही रकम और पुलिस की चुप्पी—दोनों ने ही इस पूरे मामले को बेहद संवेदनशील और संदेहास्पद बना दिया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन की मिलीभगत के कारण यह काला कारोबार ऐसे ही फल–फूल रहा है, जबकि कानून–व्यवस्था संभालने वाली पुलिस मानो ‘मौन व्रत’ धारण किए बैठी है।

घंटों में 50 हजार की उगाही, 500 रुपये एंट्री—जंगलों में सट्टेबाजी का महाकुंभ
जंगलों में बावन परी जैसे खेलों के नाम पर खुलेआम जुआ चल रहा है। संचालक हर घंटे 50 हजार रुपये तक की कमाई कर रहे हैं, जबकि जुआ खेलने आने वालों से 500 रुपये प्रविष्टि शुल्क वसूला जा रहा है। कोरबा, जांजगीर–चांपा, गेवरा, दीपका और उरगा से रोजाना बड़ी संख्या में जुआड़ी जंगलों की ओर उमड़ते हैं। यह अवैध गतिविधि न केवल सामाजिक वातावरण को बिगाड़ रही है, बल्कि इलाके में अपराध बढ़ने का भी खतरा पैदा कर रही है।
ग्रामीणों का बड़ा आरोप—पुलिस की ‘सेटिंग’ से चल रहा पूरा खेल
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन के कुछ अधिकारियों की कथित आर्थिक ‘सेटिंग’ के कारण यह अवैध कारोबार तेजी से फैल रहा है। कुछ औपचारिक छापेमारियों को छोड़ दें तो अब तक किसी बड़े नेटवर्क पर कार्रवाई नहीं की गई है। इसी कारण जुआ–सट्टे की जड़ें दिन–दिन मजबूत होती जा रही हैं।
हरिराम साहू—जुआ नेटवर्क का कथित मास्टरमाइंड
सूत्रों की मानें तो जंगलों में चल रहे इस पूरे जुआ साम्राज्य का सरगना हरिराम साहू नाम का व्यक्ति है। वह जुआड़ियों के बीच खुले तौर पर दावा करता है कि वह साइबर सेल से लेकर उरगा, करतला और सिविल लाइन थाना तक नियमित ‘महीना’ देता है। इतना ही नहीं, वह राजपत्रित अधिकारियों तक पैसे पहुंचाने का दावा भी करता है।
न्यायधानी न्यूज़ नेटवर्क इन दावों की पुष्टि नहीं करता, लेकिन जनता का सवाल बिल्कुल वाजिब है—अगर इतनी शिकायतें हो रही हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं ?
एसपी की ईमानदार छवि के बावजूद कार्रवाई गायब—किसका दबाव ?
कोरबा एसपी सिद्धार्थ तिवारी की ईमानदार और सख्त छवि किसी से छिपी नहीं। वे कानून के पालन को लेकर बेहद सख्त माने जाते हैं। फिर आखिर कौन सा ऐसा ‘बड़ा आका’ है, जिसकी वजह से पुलिस इस जाल को तोड़ने से बच रही है ? हरिराम साहू पर हाथ डालने में पुलिस हिचक क्यों रही है ? क्या कोई दबाव है, या अंदर ही अंदर कोई बड़ा खेल चल रहा है ?
जनता की मांग—ड्रोन निगरानी, आर्थिक जांच और बड़े स्तर की छापेमारी
ग्रामीणों ने मांग उठाई है कि जंगलों में ड्रोन से निगरानी की जाए, जुआ नेटवर्क की मनी ट्रेल खंगाली जाए और बड़े पैमाने पर छापेमारी कर इस अवैध साम्राज्य को जड़ से खत्म किया जाए।
बिना कठोर और त्वरित कार्रवाई के यह अवैध जुआ नेटवर्क न सिर्फ सामाजिक माहौल को बर्बाद करेगा, बल्कि कानून–व्यवस्था की रीढ़ भी कमजोर कर देगा।
सवाल सिर्फ इतना है—कोरबा के जंगलों में चल रहे जुए के अड्डे कब तक निर्भय रहेंगे, और पुलिस की चुप्पी आखिर किसके लिए ?
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