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Bilaspur Highcourt News:– हाईकोर्ट की सख्ती का असर, हाईवे से हटाया गया अवैध ढाबा, शराब दुकान हटाने को शासन ने मांगा 30 दिन का समय

Bilaspur Highcourt News:– नेशनल हाईवे किनारे संचालित ढाबों और शराब दुकानों के कारण हो रहे सड़क हादसों को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन ने शपथपत्र दाखिल कर बताया है कि हाईवे से सटे अवैध ढाबों को हटा दिया गया है, जबकि शराब दुकानों के स्थानांतरण के लिए सरकार ने 30 दिनों की मोहलत मांगी है। साथ ही ब्लैक स्पॉट और राष्ट्रीय राजमार्गों पर हादसे रोकने के लिए कोर्ट कमिश्नर द्वारा सुझाए गए उपाय एक सप्ताह में लागू करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

Bilaspur बिलासपुर। राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ते सड़क हादसों और अवैध निर्माण के मामलों को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है। नगर पंचायत सरगांव (जिला मुंगेली) में नेशनल हाईवे से लगे अवैध ढाबे और शराब दुकान के मामले में मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन को व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र प्रस्तुत करना पड़ा। शुक्रवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में इस प्रकरण की सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने दो टूक कहा कि जनसुरक्षा से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।

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आदेशों की अनदेखी पर हाईकोर्ट की नाराजगी :–
हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2025 की सुनवाई के दौरान पाया कि पूर्व में दिए गए आदेशों के बावजूद हाईवे किनारे स्थित ढाबा यथावत बना हुआ था और शराब दुकान का स्थानांतरण भी नहीं किया गया था। इस पर कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मुख्य सचिव से जवाब तलब किया था।

17 दिसंबर को हटाया गया अवैध ढाबा :–
मुख्य सचिव द्वारा दाखिल शपथपत्र में बताया गया कि 17 दिसंबर 2025 को सरकारी भूमि पर बने अवैध ढाबे को हटा दिया गया है तथा कार्रवाई का पंचनामा भी तैयार किया गया है। शासन की ओर से बताया गया कि ढाबा संचालक ने स्वयं हटाने का आश्वासन दिया था, लेकिन समयसीमा में ऐसा नहीं होने पर प्रशासन ने बलपूर्वक कार्रवाई की।

शराब दुकान को 30 दिन की राहत, चेतावनी बरकरार :–
हाईकोर्ट को यह भी बताया गया कि हाईवे किनारे स्थित शराब दुकान अभी संचालित है। प्रशासन ने इसे 30 दिनों के भीतर अन्यत्र स्थानांतरित करने का आश्वासन दिया है। मुख्य सचिव ने शपथपत्र में कहा कि जनजीवन की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और शराब दुकान का स्थानांतरण प्राथमिक आधार पर किया जाएगा।

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ब्लैक स्पॉट पर बढ़े सुरक्षा इंतजाम, हादसों में कमी :–
शपथपत्र में उल्लेख किया गया कि शराब दुकान वाला क्षेत्र दुर्घटना संभावित ‘ब्लैक स्पॉट’ है। फिलहाल वहां रंबल स्ट्रिप्स, रेडियम वार्निंग लाइट, ‘गो स्लो’ साइन बोर्ड, सोलर ब्लिंकर और रिफ्लेक्टिव रोड स्टड्स लगाए गए हैं। इन उपायों के चलते जुलाई 2024 की तुलना में जुलाई 2025 में सड़क दुर्घटनाओं और मौतों में कमी दर्ज की गई है।

सीपत-बालोदा, कोरबा और रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर भी फोकस :–
हाईकोर्ट ने सीपत-बालोदा-कोरबा मार्ग और रायपुर-बिलासपुर (एनएच-130) की खराब स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि सड़क की खामियों को तत्काल दूर किया जाए और फॉग व स्मॉग के कारण होने वाले हादसों की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।

कोर्ट कमिश्नर की सिफारिशें, 7 दिन में लागू करने के निर्देश :–
कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट में कई इंजीनियरिंग सुधार सुझाए गए हैं, जिन्हें 7 दिनों के भीतर लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। इनमें एंटी-फॉग डेलिनेटर्स और कैट्स आई, हर 5 मीटर पर रिफ्लेक्टिव रोड स्टड, मीडियन कट और तीखे मोड़ों पर सोलर ब्लिंकर, पुल, बिजली पोल व बैरियर पर रिफ्लेक्टिव टेप, फॉग डिटेक्शन सेंसर और वीएमएस बोर्ड की स्थापना शामिल है।

मुख्य सचिव और एनएचएआई से दोबारा शपथपत्र :–
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ शासन और एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अगली सुनवाई से पहले ताजा शपथपत्र दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट हो कि अब तक किन निर्देशों का पालन किया गया है और आगे की कार्ययोजना क्या होगी। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा में किसी भी स्तर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।

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