CG News:– संस्कृत विद्यालय के नाम पर अनुदान, संचालन अंग्रेजी-हिंदी माध्यम का

CG News:– जिले में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के नाम पर मिलने वाली शासकीय अनुदान राशि का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग सामने आ रहा है। आरोप है कि संस्कृत विद्यालय दर्शाकर अनुदान लिया जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत में वहां अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के स्कूल संचालित हो रहे हैं। इस पूरे खेल में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
Janjgir-Champa News:– जांजगीर–चांपा। जिले में संस्कृत विद्यालयों के नाम पर शासन को गुमराह कर अनुदान की राशि हड़पने का गंभीर मामला उजागर हो रहा है। जानकारी के अनुसार, जिन स्कूलों को संस्कृत शिक्षण, शिक्षकों के वेतन और विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए अनुदान दिया जा रहा है, वे विद्यालय केवल कागजों में ही मौजूद हैं। कई स्थानों पर न तो संस्कृत विद्यालय का भवन है और न ही वहां पढ़ने वाले विद्यार्थी दिखाई देते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, संस्कृत विद्यालयों के नाम पर मिलने वाली अनुदान राशि की निकासी कर उसे स्कूल संचालक अपने अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के विद्यालयों के संचालन में खर्च कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि संस्कृत विद्यालयों में दर्ज शिक्षक और छात्र वास्तविकता में मौजूद ही नहीं हैं, फिर भी हर साल लाखों रुपये की सरकारी राशि निकाल ली जा रही है।
बताया जा रहा है कि जांजगीर–चांपा जिले के अकलतरा और बलौदा विकासखंड में ऐसे कई संस्कृत विद्यालय दर्ज हैं, जो केवल दस्तावेजों तक सीमित हैं। इन विद्यालयों के नाम पर शिक्षकों की नियुक्ति कागजों में दिखाकर अनुदान की पूरी रकम हजम कर ली जाती है। कई मामलों में छात्र संख्या को बढ़ा–चढ़ाकर दर्शाया जाता है और सामान्य स्कूलों के बच्चों के नाम संस्कृत विद्यालय के रजिस्टर में दर्ज कर दिए जाते हैं, ताकि छात्रवृत्ति और अन्य मदों की राशि भी प्राप्त की जा सके।
चावल और अनुदान राशि का जमकर दुरुपयोग
जिले में संचालित अधिकांश संस्कृत विद्यालयों में अनुदान राशि के साथ–साथ पीडीएस के तहत मिलने वाले चावल का भी खुला दुरुपयोग किया जा रहा है। मध्याह्न भोजन के नाम पर हर महीने बड़ी मात्रा में चावल उठाया जा रहा है, लेकिन वह बच्चों के भोजन में इस्तेमाल होने की बजाय सीधे बाजार और राशन दुकानों में ऊंचे दामों पर बेच दिया जा रहा है। वहीं, अनुदान की रकम अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के स्कूलों के शिक्षकों को वेतन के रूप में बांटी जा रही है।
इसलिए दी जाती है संस्कृत विद्यालयों को सहायता
संस्कृत विद्यालयों का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, परंपरा और भाषाई विरासत को संरक्षित करना है। इन संस्थानों के माध्यम से छात्रों को संस्कृत भाषा, साहित्य, दर्शन और प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान दिया जाता है। संस्कृत को अनेक भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता है और इसी कारण शासन द्वारा इनके संचालन के लिए अनुदान एवं विद्यार्थियों के मध्याह्न भोजन हेतु पीडीएस चावल उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन, जांजगीर-चांपा जिले में इस पवित्र उद्देश्य के विपरीत अनुदान और संसाधनों का खुलेआम गलत उपयोग किया जा रहा है।
Live Cricket Info

