
हर माह शासन के खाते से चहेतो को लगभग 25 से 30 हजार रूपये हो रहा भुगतान
जांजगीर चांपा । अब शासकीय कार्यालयों में अधिकारी- कर्मचारियों के निजी वाहन बिना वित्त विभाग की अनुमति और बिना टैक्सी परमिट के नहीं दौड़ सकेंगी। जिले के कलेक्टर कार्यालय से लेकर अधिकांश शासकीय कार्यालयों में किराये पर विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों की निजी वाहन दौड़ रही थी, इस मुद्दे को न्यायधानी ने प्रमुखता से उठाया था, वही इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वित्त विभाग ने शासकीय कार्यालयों में किराये पर लगे वाहनो के लिए आदेश जारी किया है।

दरअसल शासन के नियम से विभाग में लगने वाले चार पहिया वाहन टैक्सी में पास होना अनिवार्य है। इस नियम की जानकारी सभी जिला अधिकारियों को है। इसके बावजूद शासन के निर्देशों को ताक पर रखकर अधिकारियों ने निजी वाहन कार्यालय के उपयोग के लिए लगा रखे हैं। जिसकी वजह से परिवहन विभाग को हर साल लाखों रुपए राजस्व की हानि हो रही है। जबकि टैक्सी में पास कराने के लिए लोगों को अधिक टैक्स जमा करना होता है। वहीं रजिस्ट्रेशन एवं फिटनेस की अलग से फीस जमा करनी होती है। निजी में पास कराने पर कम टैक्स लगता है और आजीवन के लिए कोई झंझट नहीं रहता है। वही दुर्घटना के अधिकाश मामलो में अधिकारी एवं निजी वाहन मालिक ले देकर मामला को खत्म कर देते हैं। अधिकारियों और वाहन मालिकों की साठगांठ के चलते निजी वाहनों को विभागों के कार्य के लिए लगाया गया है। निजी वाहन जिला पंचायत, पुलिस विभाग, जनपद पंचायत, नगर पालिका, राजस्व विभाग, कृषि विभाग सहित अन्य विभाग में लगे हुए हैं। यदि टैक्सी वाहन किसी कार्यालय में लगी है, और उसे अन्य प्रदेश में जाना है तो उसे उस प्रदेश का टैक्स वाहन मालिक का भुगतान करना होता है।
चहेतो को हर माह शासन के खाते से 25 से 30 हजार रूपये हो रहा भुगतान
जिले के अधिकाश शासकीय कार्यालयों में जिला अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने भाई या रिश्तेदार के नाम से गाडिय़ां खरीद ली हैं, और अपने कार्यालय में ही गाड़ियों को लगा जमकर लाभ ले हैं। शासन वाहन लगाने पर 25 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। गाड़ी भी अधिकारी सामने रहती है और देखरेख होती रहती है।
न्यायधानी ने चलाई थी पहले खबर
https://nyaydhani.com/archives/81055
देखिए आदेश की कॉपी





वाहन किराया पर लेने के लिए वित्त विभाग की अनुमति के साथ इन नियम और शर्तों का करना होगा पालन
1. किराये पर उपलब्ध कराये जाने वाले वाहन का मॉडल वर्ष 2020 या उसके बाद का होना चाहिए। इन वाहनों के पंजीयन संबंधी दस्तावेज की प्रतिलिपि अनिवार्यतः ली जाये।
2.वाहन के समस्त दस्तावेज जीवित बीमा (कम्प्रेहेन्सिव) तथा फिटनेस प्रमाण पत्र आदि होना अनिवार्य है। उपरोक्त सभी का भुगतान वाहन मालिक द्वारा किया जावेगा। बीमा संबंधी दस्तावेज की प्रतिलिपि जमा किया जाये।
3. वाहन मुख्यालय पर रहने एवं मुख्यालय से बाहर रहने पर कोई अतिरिक्त राशि देय नहीं होगा।
4. किराये की अवधि में वाहन आबंटित अधिकारी के आधिपत्य में रहेगा तथा फर्म के द्वारा अपने निजी प्रयोजन अथवा कार्यालय से हटकर अन्य कार्य हेतु वाहन का उपयोग किया जाता है, तो तत्काल प्रभाव से वाहन हटा दिया जावेगा।
5. वाहन की मरम्मत, रख-रखाव, दुर्घटना दावा एवं समस्त अन्य खर्चे वाहन मालिक द्वारा वहन किया जाएगा।
6. उपयोग के दौरान वाहन के खराब होने की स्थिति में समतुल्य वाहन तत्काल उपलब्ध कराना होगा। वाहन तत्काल उपलब्ध न कराये जाने पर उक्त दिवस की राशि कटौती की जाएगी। यदि कार्यालय द्वारा वाहन की व्यवस्था की जाती है, तो व्यय पूर्ति की जवाबदारी फर्म की होगी।
7. वाहन का उपयोग अवकाश दिवसों पर भी किया जावेगा। यदि उक्त दिवसों पर वाहन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो मासिक दर के आधार पर प्रति दिवस राशि की गणना कर कटौती की जावेगी।
8. फर्म के द्वारा वाहन चालक के संबंध में जानकारी (आधारकार्ड, वैध ड्रायविंग लाइसेंस, अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति) उपलब्ध करायी जाए। वाहन चालक यातायात नियमों का ज्ञान रखने वाला होना चाहिए। कम से कम 03 वर्ष वाहन चलाने का अनुभव हो तथा वाहन चालक के विरूद्ध किसी प्रकार का आपराधिक / दुर्घटना प्रकरण दर्ज न हो।
9. वाहन की लॉग बुक प्रतिदिन अनिवार्य रूप से वाहन चालक को संधारित करना होगा एवं उपयोग करने वाले अधिकारी / कर्मचारी से प्रतिदिन हस्ताक्षर लिया जाना होगा।
10. लॉग बुक की सत्यापित छायाप्रति के साथ देयक एक प्रति में प्रस्तुत करना होगा। फर्म द्वारा बैंक खाते का विवरण कार्यालय को उपलब्ध कराना होगा।
11. देयक के भुगतान में नियमानुसार आयकर एवं जी.एस.टी. की कटौती की जावेगी।
12. वाहन चालक का समस्त व्यय (वेतन, भत्ता आदि) फर्म द्वारा देय होगा।
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