
Bilaspur highcourt news:– अल्पसंख्यक संस्थानों में 50% सीटें आरक्षित करने के आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश नियम 2023 को हाईकोर्ट ने गलत बताया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अल्पसंख्यक संस्थानों में छात्रों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर योग्यता के आधार पर होना चाहिए। इसके साथ ही बीएएमएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए नए नियम बनाए जाने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं।
Bilaspur बिलासपुर। हाईकोर्ट ने आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश से संबंधित उस नियम को अवैध बताया है, जिसमें राज्य सरकार इन संस्थानों में मैनेजमेंट और स्टेट का कोटा तय कर लेती थी। कोर्ट ने आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम बीएएमएस के लिए भी नये नियम बनाने के निर्देश दिए हैं।

महावीर कॉलेज ऑफ आयुर्वेदिक साइंस, राजनांदगांव समेत अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने 2023 में हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की थी। सभी याचिकाओं पर हाईकोर्ट में साथ सुनवाई हो रही है। इन संस्थानों ने अपनी याचिका में बताया है कि, वर्ष 2017 में संस्था की स्थापना की गई है। यह एक गैर शासकीय अल्पसंयक संस्थान है जिसे शासकीय अनुदान नहीं मिलता है। कॉलेज में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी पाठ्यक्रम संचालित है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सीजी आयुष स्नातक पाठ्य₹म प्रवेश नियम 2023 के नियम 4 (1) (डी) (आई) के तहत अल्पसंयक संस्थानों में कोटा तय किया है। इसमें सीजी आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश नियम 2023 के तहत अल्पसंयक संस्थानों में 50 प्रतिशत सीटें स्थानीय जैन अल्पसंयक छात्रों के लिए आरक्षित की थीं, जबकि बाकी सीटें सामान्य मेरिट सूची से भरी जानी थीं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह नियम सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीएम इनामदार और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अदिति जैन मामलों में दिए गए फैसलों का उल्लंघन है, जिसमें अल्पसंख्यक संस्थानों को इस प्रकार के आरक्षण से मुक्त रखने का आदेश दिया गया था।
हाईकोर्ट ने कहा कि अल्पसंख्यक संस्थानों में छात्रों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर योग्यता के आधार पर होना चाहिए। अदालत ने निर्देश दिया कि इन संस्थानों में बीएएमएस पाठ्यक्रम के लिए नए नियम बनाए जाएं।
छत्तीसगढ़ आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश नियम के उप-नियम (1) के खंड (डी ) के उप-खंड ( 1 ) को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डीबी ने नियम विरुद्ध बताया है। सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा 2012 में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कोर्ट ने संबंधित नियम को अवैधानिक कहा। साथ ही गैर अनुदान प्राप्त अल्पसंयक शैक्षणिक संस्थानों में बीएएमएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नए नियम निर्धारित करने के निर्देश दिए।
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