
बिलासपुर रिपोर्टर सुरेंद्र मिश्रा
पूर्व सरपंच पर 32 लाख की रिकवरी,फिर भी अधिकारियों की मेहरबानी क्यों?

बिलासपुर /कोटा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले एक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पूर्व सरपंच दिनेश भैना पर 32 लाख रुपये की सरकारी रिकवरी लंबित है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों का उन पर विशेष मेहरबान होना कई सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ पदाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि वे अधिकारी स्तर पर दबाव बना रहे हैं

दिनेश भैना को रिकवरी से राहत दिलाई जा सके। इसके लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे वे भविष्य में किसी अन्य सरकारी कार्य या चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी कर सकें।
गौरतलब है कि इस प्रकार की वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक मिलीभगत को लेकर पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। कोटा क्षेत्र में पूर्व में भी जनप्रतिनिधियों पर सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन कार्रवाई का अभाव इन्हें बढ़ावा देता है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि अगर इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो यह जनता के साथ एक बड़ा अन्याय होगा। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर किस दबाव में अधिकारी दिनेश भैना को बचाने का प्रयास कर रहे हैं? क्या यह सिर्फ राजनीतिक प्रभाव का नतीजा है, या फिर इसके पीछे कोई बड़ी डील हो रही है? अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी अन्य भ्रष्टाचार के मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
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