
कोरबा नगर पालिक निगम के वार्ड 26 पं. रविशंकर नगर में भाजपा प्रत्याशी को लेकर जनता का गुस्सा कोई संयोग नहीं, बल्कि उनके दोहरे चरित्र और लगातार बोले जा रहे झूठों का नतीजा है। यह वही महाशय हैं, जो जब मंडल अध्यक्ष की कुर्सी पर थे, तब 2019 में पार्टी के ही पं. रविशंकर नगर से पार्षद प्रत्याशी के लिए प्रचार करना तो दूर, झांकने तक नहीं आए। 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लखनलाल देवांगन के समर्थन में भी इनकी भूमिका धूल के बराबर रही। उस समय तो पार्टी और कार्यकर्ताओं से दूरी बना ली, लेकिन अब जब खुद के पार्षद बनने की भूख जागी, तो जनता को बरगलाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
दुर्गा पूजा समिति के ‘फर्जी उपाध्यक्ष’ – चुनावी मौसम का नया नाटक!
जब अपनी कोई असली उपलब्धि नहीं हो, तो झूठ का चोला ओढ़ लेना ही सबसे आसान तरीका होता है। यही रणनीति अपनाते हुए ये महाशय अब प्रतिष्ठित दुर्गा पूजा समिति के नाम पर जनता को ठगने की कोशिश कर रहे हैं। पर्चे बंटवा रहे हैं कि वे विगत 4 वर्षों से ‘उपाध्यक्ष’ हैं, लेकिन जब समिति के पुराने रिकॉर्ड खंगाले गए, तो इनका नाम कहीं नहीं मिला। यानी पूरी पं. रविशंकर नगर की जनता जानती है कि यह दावा सफेद झूठ है—लेकिन फिर भी खुद को होशियार समझ जनता को बेवकूफ बनाने से बाज नहीं आ रहे! स्वार्थ की राजनीति में ये महाशय धार्मिक भावनाओं के साथ खेलवाड़ कर समिति की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा रहे है। वार्ड 32 के इस बाहरी प्रत्याशी का रविशंकर नगर के लिए कंट्रीब्यूशन 0 है। ठीक नामांकन से पहले राष्ट्रीय पर्व पर इन्होंने नियमों को दरकिनार कर अपने लिए ओबीसी जाति प्रमाणपत्र तैयार करा लिया है, दस्तावेज बताते है कि वहां भी झूठ का सहारा लिया है। जिस पर फैसला जल्द ही आएगा लेकिन उससे पहले वोटरों को अपना फैसला बताने का समय है।
भाजपा के लिए निष्क्रिय, लेकिन अपने लिए सक्रिय – स्वार्थ की राजनीति का अनोखा नमूना!
जब पार्टी और संगठन को इनकी जरूरत थी, तब तो ये दूर खड़े रहे, लेकिन जब खुद का टिकट कटते दिखा, तो पार्टी के नाम पर वोट मांगने निकल पड़े। जब भाजपा प्रत्याशियों को समर्थन देना था, तब तो कहीं छिपे रहे, लेकिन अब भाजपा के ही नाम पर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे मौकापरस्त व्यक्ति से बड़ा धोखेबाज और कौन होगा?
क्या राजनीति झूठ की खेती करने का प्लेटफॉर्म बन गई है?
इस प्रत्याशी को देखकर ऐसा लगता है जैसे राजनीति में आगे बढ़ने के लिए अब सिर्फ एक ही योग्यता जरूरी रह गई है—झूठ बोलने की कला में निपुण होना! यह सज्जन इतने बड़े कलाकार हैं कि अगर मौका मिले, तो खुद को प्रधानमंत्री तक घोषित कर सकते हैं! पहले पार्टी से गद्दारी, फिर जनता से झूठ—अब सवाल यह है कि क्या वार्ड 26 की जनता इनके झांसे में आएगी?
जनता तय करे – वार्ड को विकास चाहिए या जुमलेबाज!
यह चुनाव केवल पार्षद चुनने का नहीं, बल्कि यह फैसला करने का भी है कि वार्ड 26 को सच्चा और कर्मठ नेता चाहिए या फिर एक ऐसा जुमलेबाज, जो सत्ता की भूख में कुछ भी बोल सकता है। जनता को तय करना होगा कि वह विकास चाहती है या फिर ऐसे नेता को, जो बिना झूठ बोले सांस भी नहीं ले सकता!
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