
रायपुर, 13 फरवरी 2025 – आयकर विभाग ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज प्रोजेक्ट्स (आई) प्रा. लि. (जेएईएस) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 32 करोड़ रुपये की कर चोरी उजागर की है। कंपनी के निदेशकों ने कर चोरी स्वीकार कर ली है, जिसके तहत 10.75 करोड़ रुपये अग्रिम कर और 25 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है।
कर चोरी का मास्टरप्लान – फर्जी बिलिंग और बोगस खर्च!
आयकर विभाग की असेसमेंट विंग ने 24 घंटे चली गहन जांच में फर्जी खर्च, जाली कटौतियां और कर देनदारी कम करने के लिए जाली बिलिंग तंत्र जैसी वित्तीय अनियमितताएं पकड़ीं। कंपनी ने ‘हाई रिफंड’ मामला बनाकर सरकार से अवैध लाभ लेने की कोशिश की थी।
छापेमारी में बरामद सबूतों से बड़ा खुलासा
जांच के दौरान डिजिटल रिकॉर्ड और भौतिक दस्तावेजों की गहन पड़ताल हुई, जिससे बोगस बिलिंग, नकदी सृजन और आय छिपाने की सुनियोजित साजिश का खुलासा हुआ।
छापेमारी का हाई–प्रोफाइल ऑपरेशन
मुख्य आयकर आयुक्त अपर्णा करन और प्रधान आयकर आयुक्त प्रदीप हेडाउ की निगरानी में संयुक्त आयकर आयुक्त बीरेंद्र कुमार और उप आयकर आयुक्त राहुल मिश्रा ने 26 सदस्यीय टीम के साथ इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
जेएईएस निदेशकों की कबूलनामा – कर चोरी का गुनाह स्वीकार!
सूत्रों के मुताबिक, निदेशक धर्मेंद्र सिंह, जोगेंद्र सिंह और अमरेंद्र सिंह से गहन पूछताछ के बाद 32 करोड़ रुपये की कर चोरी का गुनाह कबूल लिया गया। इसके चलते कंपनी पर 11 करोड़ रुपये का कर दायित्व तय किया गया।
डमी कंपनियों का जाल, लेकिन कोई अवैध लेनदेन नहीं!
जांच में मां मदवारानी कोल बेनेफिशिएशन, फेसिक फोर्जिंग, अरंश प्रोजेक्ट्स, किंग रिसोर्सेज, जय अंबे रोडलाइंस, डिलिजेंस ग्लोबल सहित 12 कंपनियां मिलीं, लेकिन इनमें किसी का भी इस्तेमाल कर चोरी के लिए नहीं किया गया।
अब आगे क्या?
आयकर विभाग ने साफ कर दिया है कि कर चोरी करने वालों पर सख्त निगरानी जारी रहेगी। जेएईएस की यह कार्रवाई उन कंपनियों के लिए चेतावनी है जो अवैध वित्तीय तंत्रों के जरिए टैक्स बचाने की कोशिश कर रही हैं।
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