न्यायधानी में गजब की पुलिसिंग, जिस मामले में पुलिस ने आठ साल पहले भेजी थी खारिजी उसी मामले में कांग्रेस नेता को पुलिस ने कर लिया गिरफ्तार, वही पटवारी तहसीलदार को अभय दान

Bilaspur news:– कांग्रेस के पीसीसी सचिव सिद्धांशु मिश्रा को आठ साल पहले दर्ज एक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। 8 साल पहले जमीन संबंधी एक धोखाधड़ी के प्रकरण में सिद्धांशु मिश्रा तत्कालीन तहसीलदार और पटवारी के विरुद्ध अपराध दर्ज हुआ था। जिसमें पुलिस ने ख़ारिजी चाक की थी। आठ साल बाद अपने ही खारिजी प्रस्तुत किए गए मामले को पुलिस ने रिओपन करते हुए कांग्रेस नेता को बयान देने के लिए थाने बुलाया।

यहां बयान दर्ज कर उन्हें न्यायिक हिरासत में अदालत में प्रस्तुत किया गया। अदालत के निर्देश पर कांग्रेस नेता को जेल दाखिल किया गया है। वही मामले में पटवारी और तहसीलदार की गिरफ्तारी पुलिस नहीं कर पाई है।
Bilaspur बिलासपुर। धोखाधड़ी के जिस मामले में पुलिस ने कांग्रेस नेता के खिलाफ आठ साल पहले एफआईआर में खारिजी प्रस्तुत की थी उसी मामले में आठ साल बाद पुलिस ने कांग्रेस नेता को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया है। अदालत ने कल जमानत पर सुनवाई के निर्देश देकर कांग्रेस के पीसीसी सचिव को जेल दाखिल करने के निर्देश दिए है। मामला सरकंडा थाना से जुड़ा हुआ है।
थाना सरकंडा में प्रार्थी रजनीश साहू ने कांग्रेस के वर्तमान पीसीसी सचिव सिद्धांशु मिश्रा के खिलाफ जमीन धोखाधड़ी की शिकायत की थी। पुलिस के द्वारा रिपोर्ट दर्ज नहीं करने पर अदालत में परिवाद पेश किया था। परिवाद पर सुनवाई के बाद तहसीलदार घनाराम महिलांगे, हल्का पटवारी कमल किशोर कौशिक के खिलाफ खसरा नंबर 424/1,424/4,424/5, 424/6 कुल रकबा 0.223 हेक्टेयर ( कुल 56 डिसमिल) के टुकड़ों को गलत चौहदी बना कर बेचने की शिकायत पर धारा 167, 420,465, 467,468,471, 120 (बी) भादवि एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) डी,13(2) के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना के निर्देश दिए थे। जिसकी तामिली में पुलिस अधीक्षक एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा पुलिस अधीक्षक बिलासपुर को अपराध पंजीबद्ध करने हेतु पत्र लिखा था। जिस पर थाना सरकंडा में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
विवेचना के दौरान प्रकरण की संपूर्ण परिस्थितियों एवं प्राप्त तथ्य तथा राजस्व अधिकारियों के प्रतिवेदन के मुताबिक प्रकरण में राजस्व अधिकारियों तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार, पटवारी तथा सुंधाशु मिश्रा की कोई भूमिका होना नहीं पाया गया इसके अलावा किसी भी भूमि स्वामी द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई है और ना ही उनके द्वारा किसी राजस्व अधिकारियों से कोई लेनदेन करना बताया गया। प्रार्थी रजनीश साहू का उक्त भूमि से कोई संबंध नहीं होना पाया गया। परिवाद में प्रथम सूचना पत्र में उल्लेखित किसी भी धाराओं में दोष सिद्ध नहीं पाया गया। प्रकरण में प्रार्थी रजनीश साहू के द्वारा बिना किसी आधार के उक्त व्यक्तियों के विरुद्ध तथ्यहीन आरोप लगाकर परिवाद पत्र दायर कर अपराध कारित करना नहीं पाया गया। प्रकरण में अनावेदकों के विरुद्ध उक्त धाराओं में अपराध कारित करना नहीं पाया गया। प्रार्थी एवं शासन को कोई नुकसान भी कारित होना जांच रिपोर्ट में नहीं पाया गया है।
डीएसपी के द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने मामले में वर्ष 2017 में खारिजी चाक की थी। जिसके 8 वर्षों बाद आज पीसीसी सचिव सिद्धांशु मिश्रा को सरकंडा थाने में उक्त मामले में बयान देने हेतु बुलवाया गया। थाना पहुंचने पर बयान के लिए नोटिस देकर बयान दर्ज कर मामला फिर से रिओपन होने की बात सुधांशु मिश्रा को हिरासत में ले लिया गया। मामले की जानकारी जुटाने पर पता चला कि एसीबी द्वारा पुलिस को उक्त मामले को रिओपन कर जांच के लिए निर्देश प्राप्त हुए हैं। जिसके आधार पर थाने बुलाकर नोटिस देकर बयान दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्यवाही की गई है और अदालत में पेश किया गया है।
अदालत में लगी समर्थकों की भीड़:–
कांग्रेस सचिव सुधांशु मिश्रा को सिम्स में डाक्टरी मुलाहिजा के बाद एडीजे फर्स्ट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के स्पेशल जज सुनील जायसवाल की अदालत में पेश किया गया। यहां सुधांशु मिश्रा के वकीलों के तर्क सुनने के पश्चात अदालत में उपस्थित थाना प्रभारी और सरकंडा सीएसपी को न्यायाधीश ने जमकर फटकार लगाई और पूछा कि 8 साल बाद अचानक कौन सा ऐसा तथ्य मिल गया जिसमें गिरफ्तारी की जगह पड़ी। जब मामले में खारिजी पुलिस के द्वारा ही प्रस्तुत हो चुकी है तो फिर आठ साल बाद अचानक गिरफ्तारी क्यों की गई, किसी को अचानक थाने बुलवा कर क्यों गिरफ्तार किया गया। जिस पर पुलिस अधिकारी बगले झांकने लगे। सुधांशु मिश्रा के अधिवक्ता के द्वारा जमानत आवेदन प्रस्तुत किए जाने पर अदालत ने कल जमानत आवेदन पर सुनवाई करने का समय नीयत करते हुए कांग्रेस नेता को जेल रिमांड में भेजने के निर्देश दिए हैं। अदालत में कांग्रेस नेता को उपस्थित करने के साथ ही बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं की भीड़ अदालत में लग गई थी। वही मामले में पटवारी और तहसीलदार की गिरफ्तारी पुलिस करने में फिलहाल सफल नहीं हो पाई है।
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