
नवरात्रि में अंधेरे में डूबा रतनपुर, 3.54 करोड़ के ठेके पर उठे सवाल!

रतनपुर – धार्मिक नगरी रतनपुर में चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर भी श्रद्धालुओं को अंधेरे में मां महामाया के दर्शन करने पड़ रहे हैं। नगर के प्रमुख मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर स्ट्रीट लाइटें या तो बंद हैं या फिर लगाए ही नहीं गए हैं। वहीं, प्रशासन केवल बैठकों की औपचारिकता पूरी कर रहा है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई समाधान नहीं निकला। सबसे बड़ा सवाल यह है कि नगर को रोशन करने के लिए 3.54 करोड़ रुपये की लागत से ठेका दिया गया था, फिर भी अंधकार क्यों बरकरार है?
बैठकें होती रहीं, लेकिन नतीजा शून्य

नवरात्रि से पहले महामाया मंदिर ट्रस्ट में प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें शहर की साफ-सफाई और लाइटिंग व्यवस्था पर चर्चा हुई, लेकिन नवरात्रि के दो दिन बीतने के बाद भी नगर में अंधेरा पसरा हुआ है। महामाया चौक, भैरव बाबा मंदिर, शनिचरी, तुलजा भवानी मार्ग, खेड़ा पार्क और केरापार से बड़े पुल तक रोशनी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। श्रद्धालु और स्थानीय लोग असुविधा का सामना कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन बना हुआ है।
3.54 करोड़ का ठेका, फिर भी अंधेरा क्यों?
नगर को रोशन करने की जिम्मेदारी जांजगीर-चांपा के अकलतारा के एक ठेकेदार को 3.54 करोड़ रुपये की लागत से दी गई थी। लेकिन शुरुआत से ही इस कार्य में अनियमितताएं सामने आईं। जांच में गड़बड़ियां मिलने के बावजूद ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। यह सवाल उठता है कि जब खामियां उजागर हो चुकी थीं, तो ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
सूत्रों की मानें तो ठेकेदार खुद को भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री का करीबी बताता है, जिसके चलते प्रशासन के अधिकारी कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं।
एडीएम का गोलमोल जवाब, ठेकेदार पर चुप्पी
बिलासपुर एडीएम आर. ए. कुरुवंशी ने कहा कि “जहां लाइट बंद है, वहां सुधार कराया जाएगा और जहां लाइट नहीं है, वहां लगाई जाएगी।” लेकिन उन्होंने ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बात नहीं कही। इससे स्पष्ट होता है कि अधिकारी किसी दबाव में काम कर रहे हैं और ठेकेदार को बचाने की कोशिश हो रही है।
जनता ने उठाए सवाल, प्रशासन पर बढ़ा दबाव
स्थानीय नागरिकों और श्रद्धालुओं का कहना है कि हर साल नगर प्रशासन बड़े-बड़े वादे करता है, लेकिन नवरात्रि के खत्म होते ही सब भुला दिया जाता है। इस बार भी स्थिति वैसी ही है।
क्या प्रशासन ठेकेदार को बचाने में लगा है? क्या यह 3.54 करोड़ रुपये की अनियमितता नहीं है?
अब देखना यह होगा कि क्या नगर प्रशासन इस घोटाले पर कोई कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा। रतनपुर की जनता को जवाब चाहिए!
Live Cricket Info