महादेव एक मामले में सट्टेबाजी के अलावा अब आय से अधिक संपत्ति का भी सीबीआई दर्ज करने जा रही मामला, सरकारी गवाह बन बचने के आईपीएस अफसरों के पैतरे होंगे नाकाम

CBI दर्ज करने की तैयारी कर रही है एक अलग एफआईआर अनुपातहीन संपत्ति के मामले में
// करोड़ों की काली कमाई, डिजिटल सबूत और अघोषित संपत्तियां — बन सकती हैं अगली कानूनी आफत
// मध्य भारत एवं छत्तीसगढ़ के सबसे प्रतिष्ठित और विश्वसनीय अंग्रेज़ी दैनिक The Hitavada के समाचार संपादक और खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह की विशेष रिपोर्ट का खुलासा
कान्हा तिवारी | रायपुर/नई दिल्ली, 4 अप्रैल
Rs 6,000 करोड़ के महादेव ऑनलाइन सट्टा सिंडिकेट घोटाले में अब CBI एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। The Hitavada की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, CBI अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(b) के तहत एक अलग एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में है, जिसमें IPS, SPS और SAS स्तर के अफसरों के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति के मामले को लेकर कार्रवाई की जाएगी।

CBI को जांच में मिले डिजिटल और दस्तावेजी साक्ष्य से स्पष्ट हो चुका है कि इन अफसरों को महादेव ऐप के प्रमोटर्स से हर महीने “प्रोटेक्शन मनी” मिलती रही, जिससे इन्होंने वैध आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित की। यह संपत्ति न ही उनकी आवास और संपत्ति रिटर्न (IPR) में दर्ज है और न ही मंत्रालय के पास घोषित।

CBI के अभियोजन विभाग (Directorate of Prosecution) द्वारा अब इन साक्ष्यों की कानूनी जांच की जा रही है। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, अलग से एफआईआर दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई जाएगी।


जिन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मामला बन रहा है उनमें शामिल हैं IG डॉ. आनंद छाबड़ा, IG शेख आरिफ हुसैन, DIG प्रशांत अग्रवाल, SP डॉ. अभिषेक पल्लव, ASP संजय ध्रुव और ASP अभिषेक महेश्वरी। इनके घर और दफ्तरों पर 26-27 मार्च को CBI ने छापे मारे थे।
CBI ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा के रायपुर स्थित घर और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी। इनके अलावा पूर्व OSDs आशीष वर्मा और मनीष बंछोर, डॉ. सूरज कुमार कश्यप, सौम्या चौरसिया, और कुछ पुलिसकर्मियों अमित दुबे, सहदेव यादव और अर्जुन यादव के परिसरों की भी तलाशी ली गई थी।
विशेष जानकारी के अनुसार, IG रैंक के दो अधिकारी भी CBI की जांच के रडार पर हैं, जिन्हें छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग से Section 17(A) के तहत अनुमति मिल चुकी थी, लेकिन अभी तक उनके यहां छापे नहीं पड़े हैं। CBI उन्हें भी जल्द पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।
72 घंटे तक गायब रहने के बाद ASP अभिषेक महेश्वरी ने CBI की अस्थायी जांच इकाई में उपस्थित होकर BNSS की धारा 180 के तहत अपना बयान दर्ज कराया, जिससे जांच को नई दिशा मिली है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ IPS अधिकारी अब सरकारी गवाह (Approver) बनने की दौड़ में हैं, ताकि खुद को बचा सकें, लेकिन CBI पूरी तरह साक्ष्यों पर भरोसा कर रही है — न कि देर से आए कबूलनामों पर।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी अख़बार The Hitavada के समाचार संपादक और खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि यह सिर्फ एक घोटाला नहीं, बल्कि प्रशासनिक और आपराधिक गठजोड़ का गहरा खेल है — जिसकी जड़ें अब उखड़ती नज़र आ रही हैं।

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