गर्भवती महिला की मौत के मामले में कलेक्टर ने प्रस्तुत की हाईकोर्ट में जांच रिपोर्ट

कलेक्टर ने 4 सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट अदालत में पेश करते हुए बताया

बिलासपुर। सिम्स मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिला को इंजेक्शन लगने से गर्भपात के मामले में कलेक्टर ने जांच समिति की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत की है। प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया है कि इंजेक्शन से गर्भपात नहीं हुआ है। महिला को पूर्व से ही कई जटिलताएं थी। ईलाज के दौरान सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया था और गर्भपात की प्रक्रिया जानबूझकर नहीं की गई थी।
कोटा थाना क्षेत्र के करगीखुर्द निवासी गर्भवती महिला को पेट में दर्द होने की शिकायत पर सिम्स में भर्ती कराया गया था। महिला के पति ने सिम्स में गलत इंजेक्शन लगाए जाने के कारण गर्भपात होने का आरोप लगाया था। कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला को दर्द निवारक इंजेक्शन व कुछ दवा देकर सिम्स भेजा गया था। रेफर पर्ची में गंभीर पेट दर्द लिखा गया, इसके बाद उसे सिम्स लाकर भर्ती कराया गया था। सिम्स प्रबंधन ने रक्त स्त्राव होने के कारण गर्भपात होने की बात कही। कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की एक पर्ची भी लगाई गई, जिसमें कोटा में उपचार और रेफरल पर्ची में महिला को दी गई दवा के साथ पेट दर्द व रक्त स्त्राव होने की बात लिखी थी। मामले की जांच के लिए सिम्स प्रबंधन ने चार सदस्यीय टीम गठित की थी।
चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में इस मामले की सुनवाई शुरू की है। हाईकोर्ट ने कलेक्टर और सिम्स प्रबंधन से इस में में जवाब मांगा था। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कलेक्टर की ओर से गठित चार सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से गर्भवती महिला को सिम्स रेफर किया गया था। सिम्स में इलाज के दौरान सभी चिकित्सकीय प्रोटोकॉल की का पालन किया गया था। महिला को पूर्व से ही कई चिकित्सकीय जटिलताएं थीं। जानबूझकर गर्भपात नहीं किया गया है। गर्भपात का कारण कोई दवा या इंजेक्शन नहीं बल्कि स्वास्थ्य संबंधी पूर्व स्थितियां थी। अदालत ने उक्त रिपोर्ट पर मंथन किया और आगे की सुनवाई के लिए अगली तिथि तय की है।
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