
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस और अपराधियों के बीच संभावित सांठगांठ को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह ने ट्विटर अकाउंट (X) पर एक सनसनीखेज पोस्ट साझा करते हुए दावा किया है कि रायपुर के कुख्यात जुआ–सट्टा माफिया आशुतोष भांडुलकर उर्फ ‘छोटू’ को रायपुर पुलिस की Anti-Crime and Cyber Unit (ACCU) द्वारा की जा रही गुप्त कार्रवाई की जानकारी पहले ही लीक हो गई थी।पत्रकार के अनुसार, पुलिसिया तंत्र के भीतर से मिली सूचना के आधार पर ‘छोटू’ छापेमारी से पहले ही फरार हो गया, जिससे एक बार फिर रायपुर पुलिस की आंतरिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो गए हैं।
कान्हा तिवारी | रायपुर/बिलासपुर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे गोबरा नवापारा क्षेत्र में कुख्यात जुआरी आशुतोष उर्फ छोटू भांडुलकर पर नियोजित छापेमारी से ठीक पहले उसके फरार हो जाने से पुलिस तंत्र में हड़कंप मच गया है। यह सवाल अब पूरे महकमे के सामने है कि क्या ऑपरेशन की गोपनीय जानकारी भीतर से लीक की गई?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 24-25 जून की दरम्यानी रात को रायपुर एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह के निर्देश पर Anti-Crime and Cyber Unit (ACCU) के 30 से अधिक अधिकारियों की टीम को एक विशेष अभियान पर रवाना किया गया था।
टीम का लक्ष्य था — गोबरा नवापारा स्थित उस स्थल पर छापा मारना, जहां से छोटू भांडुलकर जुआ नेटवर्क का संचालन करता है। ऑपरेशन के तहत इलाके को तीन ओर से सील कर साइलेंट मोड में रेड की योजना बनाई गई थी।
❝ लेकिन रेड से पहले ही अड्डा खाली हो गया ❞
पुलिस टीम जब मौके पर पहुंची, तो छोटू और उसका नेटवर्क पूरी तरह से नदारद था। खेतों के बीच स्थित ठिकाने पर सन्नाटा पसरा था। वहां केवल कुछ छोड़ी गई मोटरसाइकिलें और झाड़ियों में दौड़ते समय घायल हुए पांच पुलिसकर्मी मिले। इससे स्पष्ट हो गया कि छापे की पूर्व सूचना अपराधियों तक पहुंच चुकी थी।
❝ कॉल डिटेल्स और लोकेशन जांच के घेरे में ❞
इस पूरी घटना को पहली बार सार्वजनिक रूप से उजागर किया वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस. सिंह ने। उनके ट्वीट के लिंक 👇
https://x.com/truth_finder04/status/1938659681620369616?s=46
अनुसार, अब रेड में शामिल कुछ अफसरों के कॉल लॉग्स, मोबाइल लोकेशन और एन्क्रिप्टेड चैट्स की डिजिटल फॉरेंसिक जांच की जा रही है।
हालांकि, अब तक किसी भी अधिकारी का नाम उजागर नहीं हुआ है और ना ही कोई विभागीय कार्रवाई की आधिकारिक पुष्टि हुई है। लेकिन सूत्रों की मानें तो मुखबिरी की संभावना पर गंभीरता से मंथन चल रहा है।
❝ छोटू कोई साधारण जुआरी नहीं ❞
छोटू भांडुलकर रायपुर, धमतरी, गरियाबंद और कवर्धा सहित कई जिलों में फैले संगठित सट्टा और जुआ नेटवर्क का संचालन करता है। उसके पास 30 से 40 लड़कों की एक निजी टीम है, जो हथियारबंद रहती है और सप्ताहिक वेतन पर काम करती है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार:
उसका मकान सरकारी भूमि पर बना है।
उसके पास Fortuner, Thar, Swift जैसी महंगी गाड़ियां हैं।
वह कई गैंगवार में भी शामिल रहा है, जिनमें लल्ला सोनवानी गिरोह से टकराव की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
❝ ACCU की स्थानीय जानकारी पर भी उठे सवाल ❞
रेड उसी क्षेत्र में हुई, जो ACCU की नियमित बीट में आता है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या स्थानीय मुखबिर तंत्र पूरी तरह विफल रहा? यदि सूचना नहीं थी तो यह खुफिया विफलता मानी जाएगी, और यदि जानबूझकर अनदेखी की गई, तो यह आंतरिक मिलीभगत का संकेत है।
❝ ऑपरेशन में शामिल वरिष्ठ अधिकारी ❞
गोपनीय इस ऑपरेशन में शामिल थे:
IPS अमन झा
ASP संदीप मित्तल (क्राइम)
CSP शुक्ला (नया रायपुर)
DSP संजय सिंह (क्राइम)
इंस्पेक्टर परेश पांडेय (ACCU)
इन अधिकारियों की रणनीति पर कोई संदेह नहीं जताया गया है, लेकिन अब पूरे ऑपरेशन की गोपनीयता पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है।
संपादकीय टिप्पणी :
इस पूरे मामले ने साफ कर दिया है कि रायपुर पुलिस तंत्र के भीतर कहीं न कहीं एक ऐसी कड़ी है, जो अपराधियों तक खुफिया सूचनाएं पहुंचा रही है। वरिष्ठ पत्रकार द्वारा उजागर किया गया यह मामला केवल एक रेड के विफल होने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पुलिस विभाग की गोपनीयता, कार्यप्रणाली और नैतिक जवाबदेही पर गहरी चोट है।
अब समय आ गया है कि पुलिस प्रशासन इस मामले को महज ‘जांच के नाम पर फाइल बंद’ करने की गलती न दोहराए, बल्कि आंतरिक जांच के ज़रिये उस ‘मुखबिर’ को बेनकाब कर सख्त कार्रवाई करे, जिसने वर्दी की गरिमा और आम जनता के भरोसे को तार–तार किया है।
Live Cricket Info