
सरकारी भूमि के दुरुपयोग और निजी बिल्डरों को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोपों के बीच, बिलासपुर प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए दो तहसीलदारों को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संभागीय आयुक्त को भेजे गए निलंबन प्रस्ताव में कहा गया है कि तहसीलदार शशिभूषण सोनी और शेषनारायण जायसवाल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी जमीनों को बिल्डरों को सौंप दिया। इस खुलासे के बाद प्रशासनिक जगत में हड़कंप मच गया है और सरकारी भूमि प्रबंधन पर सवाल खड़े हो गए हैं।
Bilaspur बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि दोनों तहसीलदारों ने अपनी जिम्मेदारी के दौरान ऐसे कई निर्णय लिए जिससे सरकारी भूमि निजी बिल्डरों के कब्जे में चली गई। जांच में यह भी पाया गया कि इन अधिकारियों ने भूमि आवंटन के नियमों की अनदेखी कर बिल्डरों को फायदा पहुंचाया।

कलेक्टर द्वारा संभागीय आयुक्त को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि शशिभूषण सोनी ने ग्राम बिरकोना स्थित खसरा नंबर 1331 की सरकारी भूमि को राज कन्स्ट्रक्शन के नाम से कार्यरत अर्जुन सिंह कछवाहा को आवागमन के लिए सौंप दिया। इसी तरह, शेषनारायण जायसवाल पर भी निजी बिल्डरों को सरकारी भूमि सौंपने के गंभीर आरोप लगे हैं। प्रशासन द्वारा उक्त भूमि का मूल स्वरूप बनाए रखने की सख्त हिदायतें भी दरकिनार कर दी गईं।
इस मामले ने सरकारी भूमि आवंटन की प्रक्रिया और अधिकारियों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जिन बिल्डरों को इस मामले में फायदा पहुंचाया गया था, उनके लेआउट को भी निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इस घटनाक्रम से प्रशासन में हड़कंप मच गया है और यह देखना अहम होगा कि आगे की कार्रवाई किस दिशा में जाती है। सरकारी भूमि के प्रबंधन और अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए यह मामला एक मिसाल साबित हो सकता है।





Live Cricket Info