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महाजेनको कोल परियोजना शुरू करवाने, रोजगार और मुआवज़े की मांग को लेकर प्रभावित ग्रामीण पहुंचे रायगढ़ — कलेक्टर और एसपी को सौंपा ज्ञापन

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रायगढ़,- न्यायधानी डेस्क
रायगढ़ जिले के तामनार विकासखंड के पाता, डोलेसरा, चितवाही, मुड़ागांव, कुंजीमुरा, सरायटोला और भालूमाड़ा सहित कई गांवों से सैकड़ों ग्रामीणों ने 6 अगस्त को जिला मुख्यालय पहुंचकर महाजेनको कोल परियोजना की शीघ्र शुरुआत की मांग को लेकर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने कहा कि परियोजना में देरी से न मुआवज़ा मिला है, न रोजगार, और वे वर्षों से ठहराव की स्थिति में जीने को मजबूर हैं।

घोषणा हुई, सर्वे हुआ — लेकिन अधिग्रहण और मुआवज़ा अब तक नहीं

ग्रामीणों ने बताया कि महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को गारे-पेलमा सेक्टर-II कोल ब्लॉक आवंटित हुए वर्षों बीत चुके हैं, लेकिन अब तक केवल सर्वे ही हुआ है। न भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ी और न ही मुआवज़ा मिला। उन्होंने कहा कि परियोजना की घोषणा से उन्हें सामाजिक सुरक्षा, रोजगार और स्थायी आमदनी की उम्मीद थी, जो अब अनिश्चितता में बदल चुकी है।

ज्ञापन में उठाई गईं ये प्रमुख मांगें

ग्रामीणों ने ज्ञापन में स्पष्ट तौर पर कहा कि कोल परियोजना का संचालन जल्द से जल्द शुरू किया जाए, ताकि जमीन अधिग्रहण और मुआवज़े की प्रक्रिया प्रारंभ हो सके। साथ ही उन्होंने ये प्रमुख मांगें भी रखीं:
• सभी प्रभावित गांवों के लिए समान मुआवज़ा नीति लागू की जाए
• स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता से रोजगार दिया जाए
• गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए
• महिलाओं के लिए सशक्तिकरण योजनाएं लाई जाएं
• बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, पानी, बिजली का विकास किया जाए

कलेक्टर से चर्चा में उठे अहम मुद्दे

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ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीण प्रतिनिधियों ने कलेक्टर रायगढ़ से मुलाकात कर मुआवज़े में हो रही देरी, रोजगार में प्राथमिकता और अस्पताल जैसी बुनियादी जरूरतों पर विस्तृत चर्चा की।
• ढोलनारा और डोलेसरा के ग्रामीणों ने शीघ्र मुआवज़ा वितरण की मांग की।
• उन्होंने यह भी कहा कि एक ही परियोजना में सभी गांवों को समान मुआवज़ा मिलना चाहिए, ताकि भेदभाव न हो।
• इस पर कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि मुआवज़ा वितरण प्रचलित कानूनों और प्रक्रियाओं के तहत पारदर्शिता से होगा।
• रोजगार के मुद्दे पर उन्होंने ग्रामीणों को सुझाव दिया कि अपनी योग्यता के अनुसार आवेदन करें, और प्रशासन कंपनी से समन्वय करेगा।
• ग्रामीणों द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अस्पताल निर्माण की मांग भी रखी गई, जिसे कलेक्टर ने गंभीरता से संज्ञान में लिया।

बाहरी हस्तक्षेप से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी

ग्रामीणों का आरोप है कि कुछ बाहरी राजनीतिक तत्व और एनजीओ जानबूझकर परियोजना के खिलाफ भ्रम फैला रहे हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया बाधित हो रही है। इसका सीधा असर स्थानीय समुदाय की आजीविका, बच्चों की शिक्षा और सामाजिक विकास पर पड़ रहा है।

“हमारे सपनों को मत तोड़ो” – ग्रामीणों की भावनात्मक अपील

ग्रामीणों ने प्रशासन से भावनात्मक अपील करते हुए कहा –

“जब परियोजना घोषित हो चुकी है और सर्वे भी पूरा हो गया है, तो अब देरी क्यों? हम मुआवज़े और रोजगार के हकदार हैं। सरकार हमारी जमीन ले तो सही समय पर उसका न्यायपूर्ण मुआवज़ा भी दे।”

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