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आशीष सिंह फिर अध्यक्ष, महामाया ट्रस्ट में नई टीम की एंट्रीदो कार्यकाल की सीमा और कॉरीडोर का ऐलानआमसभा में आरोप–प्रत्यारोप, ट्रस्टी ने छोड़ी बैठक

महामाया मंदिर ट्रस्ट चुनाव: तीसरी बार आशीष सिंह अध्यक्ष, नया संविधान बनेगादो कार्यकाल की सीमा तय
आमसभा में कछुआ चोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों पर बवाल, ट्रस्टी का वॉकआउटरतनपुरवासियों ने सौंपा ज्ञापन

बिलासपुर/रतनपुर सिद्ध शक्तिपीठ श्री महामाया देवी मंदिर ट्रस्ट की कमान एक बार फिर आशीष सिंह ठाकुर के हाथों में गई है। रविवार को हुई आमसभा में 21 में से 17 ट्रस्टियों की मौजूदगी में सर्वसम्मति से उन्हें तीसरी बार अध्यक्ष चुना गया। इसी के साथ ट्रस्ट का नया संविधान बनाने पर भी सहमति बनी, जिसमें अध्यक्ष पद पर लगातार सिर्फ दो कार्यकाल की सीमा तय की जाएगी।

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नई टीम में बड़े बदलाव
अध्यक्ष चुने जाने के बाद आशीष सिंह ठाकुर ने कार्यकारिणी का ऐलान किया। इस बार उपाध्यक्ष पद पर सतीश शर्मा और मोतीचंद जायसवाल, मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में पुजारी अरुण शर्मा, कोषाध्यक्ष पद पर रितेश जुनेजा और सहसचिव पद पर शैलेन्द्र जायसवाल को जिम्मेदारी दी गई। बैठक में कार्यकालमनराखन लाल जायसवाल, सुनील सोनथलिया, सन्तोष शुक्ला, शक्ति सिंह ठाकुर, विनोद गोरख, राजकुमार खुशलानी, चेतनधर शर्मा, गोपाल गुप्ता और कपिल पाण्डेय शामिल रहे।

  केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना की

कॉरीडोर निर्माण की तैयारी
सभा में बताया गया कि केंद्रीय आवासन राज्य मंत्री तोखन साहू ने रतनपुर में कॉरीडोर निर्माण की घोषणा की है और इसका काम जल्द शुरू होगा। तैयारी पूरी की जा रही है।

आमसभा में गरमा गरमी
नई कार्यकारिणी के गठन के दौरान ट्रस्टी सुनील सोनथलिया ने आपत्ति जताई कि जिन पर कछुआ चोरी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, उन्हें किसी भी पद पर जगह नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने मंदिर में यज्ञशाला और अन्य स्थानों पर हुए कथित भ्रष्टाचार की जाचं की माँग की गई है , लेकिन शिकायत दर्ज नहीं होने पर वे सभा छोड़कर बाहर निकल गए।

ज्ञापन के जरिए विरोध
इसी दौरान रतनपुर के नागरिकों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें मांग की गई कि कछुआ चोरी मामले के आरोपी, जो वर्तमान में जमानत पर हैं और जिनका केस अदालत में लंबित है, उन्हें ट्रस्ट के चुनाव और कार्यों से अलग रखा जाए। उनका कहना है कि ऐसे व्यक्ति को जिम्मेदारी देने से मंदिर ट्रस्ट की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे।

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