
बिलासपुर- छत्तीसगढ़ में शहरी पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की अव्यवस्था को लेकर दायर याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे। अदालत ने खासतौर पर बिलासपुर जिले में बसों की संख्या और उनकी स्थिति पर जानकारी मांगी।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि बिलासपुर नगर निगम आयुक्त और परिवहन विभाग सचिव की ओर से शपथपत्र दाखिल किया गया है। जिसमें कहा गया कि बिलासपुर के लिए 9 सिटी बसें आवंटित थीं, जिनमें से वर्तमान में केवल 6 चालू हालत में हैं और सिर्फ 5 का संचालन हो रहा है, एक बस जल्द शुरू की जाएगी।
शपथ पत्र में बताया गया कि शहरी बस सेवा 2012-13 में शुरू हुई थी। प्रदेश के 9 शहरी समूहों (रायपुर, दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, कोरिया, सरगुजा, बस्तर) के लिए कुल 451 बसें खरीदी गई थीं।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में (10 जून 2025) भी राज्य सरकार से इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को लेकर प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। बताया गया था कि डीजल बसों के स्थान पर ई-बसें चलाई जाएंगी, जिनकी निविदा मार्च 2024 में जारी की गई थी। कोर्ट ने तब यह भी कहा था कि राज्य में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई स्पष्ट और प्रभावी व्यवस्था नहीं है, जिससे आम जनता को भारी असुविधा हो रही है।
शपथ पत्र में यह भी बताया गया कि कोविड-19 महामारी के दौरान 2020-21 में सिटी बसों का संचालन बंद कर दिया गया था, जिससे बसें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गईं। अब कुछ बसों को सुधार कर सेवा में लाया जा रहा है।
सचिव, परिवहन विभाग ने बताया कि भारत सरकार की प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना के अंतर्गत दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर और कोरबा के लिए 140 इलेक्ट्रिक बसें स्वीकृत की जा चुकी हैं। रायपुर के लिए 100 और बसों की मंजूरी मिली है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ को 240 ई-बसें मिलने की उम्मीद है। साथ ही 67.40 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी केंद्र से मिल चुकी है। इन बसों के लिए बस डिपो और विद्युत अवसंरचना का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को तेजी से कार्यवाही कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं और अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर 2025 तय की है।
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