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Bilaspur Highcourt News:· सिविल जज की परीक्षा में सिर्फ ला डिग्री ही पर्याप्त, बिना बार काउंसिल में पंजीयन दिला सकते हैं परीक्षा, आवेदन की अंतिम तिथि को एक माह बढ़ाने की निर्देश 

 

 

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Bilaspur Highcourt News:·सिविल जज की परीक्षा में सिर्फ लॉ की डिग्री ही पर्याप्त है। इसके लिए बार काउंसिल में पंजीयन करना जरूरी नहीं है। सरकारी नौकरी करने वाले लॉ डिग्री धारी भी सिविल जज परीक्षा में बैठने के लिए पात्र है। सिविल जज की परीक्षा आवेदन देने की अंतिम तिथि आज 24 जनवरी को खत्म हो रही थी। पर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इसे एक माह और बढ़ा दिया गया है।

 

 

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सिविल जज की परीक्षा में वह अभ्यर्थी भी भाग ले सकते हैं, जो सरकारी कर्मचारी हैं और जिनका बार काउंसिल में नामांकन नहीं है। हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद लॉ डिग्री धारी सरकारी नौकरी वाले भी सिविल जज परीक्षा में बैठने के लिए पात्र माने गए हैं। जिसके साथ ही आज 24 जनवरी को खत्म हो रही सिविल जज की परीक्षा के फॉर्म भरने की अंतिम तिथि को एक माह के लिए बढ़ाने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए है।

 

हाईकोर्ट ने कहा कि एक उम्मीदवार जो विधि स्नातक है। चाहे वह अधिवक्ता के रूप में नामांकित हो या नहीं, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि उसे वहीं परीक्षण प्रक्रिया से गुजरना होगा जिससे दूसरे उम्मीदवार को गुजरना है, जो अधिवक्ता के रूप में नामांकित है। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि सिविल जज परीक्षा के लिए किसी भी विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री ही अनिवार्य और पर्याप्त है। साथ ही सीजीपीएससी को सिविल जज की परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि 24 जनवरी 2025 से 1 महीने तक के आगे बढ़ाने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी, 2025 को रखी गई है।

 

 

 

जबलपुर निवासी विनीता यादव ने एडवोकेट शर्मिला सिंघई के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि सीजीपीएससी ने 23 दिसंबर 2024 को सिविल जज परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। परीक्षा में आवेदन करने की की अंतिम तिथि 24 जनवरी 2025 रखी गई है। सीजीपीएससी की ओर से इसमें एक शर्त रखी गई है जिसमें कहा गया है कि किसी भी विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री के साथ ही आवेदन करने वाले उम्मीदवारों का बार काउंसिल में नामांकन जरूरी है और वह वकील के तौर पर प्रैक्टिस भी कर रहा हो। इस शर्त को विनीता यादव ने चुनौती दी थी इसमें कहा गया कि वह सरकारी नौकरी में है। उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से लॉ की डिग्री ली हुई है। क्योंकि वह सरकारी नौकरी में है इसलिए वकील के तौर पर उनका नामांकन बार काउंसिल में नहीं हो सका है। बार काउंसिल में पंजीयन की अनिवार्यता के कारण वह सिविल जज की परीक्षा से वंचित हो रही है।

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रजिस्ट्रेशन अनिवार्यता की शर्त किसी और राज्य में नहीं:–

 

याचिका में विनीता ने इस शर्त को हटाने और आवेदन करने की छूट की मांग की थी। याचिका में कहा गया कि इस तरह की शर्त किसी भी और दूसरे राज्यों में नहीं है। यहां तक की हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली में भी इस तरह की कोई शर्त नहीं है और वहां सिविल जज की परीक्षा के लिए अनिवार्य पात्रता या योग्यता सिर्फ किसी भी विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री होना ही है।

 

जिन्होंने याचिका दायर नहीं की, उन्हें भी लाभ:–

 

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डीबी ने कहा कि सरकारी नौकरी वाले भी लॉ की डिग्री होने पर सिविल जज के लिए आवेदन कर सकेंगे। यह फैसला उन अभ्यर्थियों पर भी लागू होगा जिन्होंने याचिका दायर नहीं की है। पीएससी के अधिवक्ता अनिमेष तिवारी को निर्देश दिया कि वे इस आदेश की छग पीएससी को तत्काल सूचना दें।

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