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Bilaspur Highcourt News: हाईकोर्ट ने शिक्षक की याचिका खारिज की, कहा – NIA की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी, हस्तक्षेप नहीं हो सकता

नक्सल कनेक्शन में डिवाइस जप्ती को चुनौती देने पहुंचे शिक्षक को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, NIA ने बताई जांच में संलिप्तता की संभावना

Bilaspur News: बिलासपुर NIA Action in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ के मोहलामानपुरअंबागढ़ चौकी ज़िले के एक प्राइमरी स्कूल शिक्षक द्वारा हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। शिक्षक ने NIA (National Investigation Agency) पर झूठे नक्सली केस में फंसाने का आरोप लगाते हुए अपने और अपनी पत्नी के जब्त मोबाइल उपकरणों की वापसी की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) से जुड़ा विषय मानते हुए किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया।

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🔍 क्या था मामला? | Angad Singh Salame Vs NIA

शिक्षक अंगद सिंह सलामे, जो मोहलामानपुर क्षेत्र के बाजार पारा, मानपुर के शासकीय स्कूल में पदस्थ हैं, ने Bilaspur High Court में याचिका दायर कर बताया कि NIA ने उन्हें बिरझू राम ताराम की हत्या के बाद झूठे नक्सली मामलों में फंसाने की कोशिश की।

याचिकाकर्ता ने बताया कि बिना किसी नोटिस के उनके और उनकी पत्नी के मोबाइल, लैपटॉप और अन्य निजी डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए। साथ ही यह भी दावा किया कि NIA अधिकारियों ने उनसे एक संदिग्ध नक्सली का आत्मसमर्पण (Surrender) कराने की मांग की और ऐसा करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।

⚖️ शिक्षक की मांग: डिवाइस वापसी और NIA कोर्ट के आदेश पर रोक

अंगद सिंह ने NIA रायपुर की स्पेशल कोर्ट द्वारा 24 अप्रैल 2024 को दिए गए आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसमें डिवाइस जब्त करने और जांच जारी रखने की अनुमति दी गई थी। शिक्षक ने Bilaspur Highcourt में इसे निजता के उल्लंघन, मानसिक प्रताड़ना और झूठे मुकदमे की साजिश करार दिया।

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🧾 NIA का जवाब: शिक्षक के खिलाफ मौजूद हैं सबूत

NIA की ओर से पेश हुए एडवोकेट बी. गोपा कुमार ने स्पष्ट किया कि जांच के दौरान मिले डिजिटल सबूतों से यह संकेत मिलते हैं कि शिक्षक की भूमिका संदेहास्पद है। जब्त किए गए उपकरण और मोबाइल की फॉरेंसिक जांच (Digital Forensic Examination) नक्सली नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ने में अहम हो सकती है।

यह जांच बेहद संवेदनशील है और डिजिटल साक्ष्य लौटाना जांच को नुकसान पहुंचा सकता है,” – NIA ने कोर्ट को बताया।

👨‍⚖️ हाईकोर्ट का फैसला: छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित राज्य, जांच बाधित नहीं की जा सकती

Chief Justice रमेश सिन्हा और Justice बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य (Naxal Affected Region) है, जहां नक्सली गतिविधियों से आम नागरिकों और राज्य की आंतरिक सुरक्षा दोनों को खतरा है। अदालत ने कहा:

राष्ट्रीय हित से जुड़े मामलों में जांच को किसी भी रूप में बाधित करना केवल असंवैधानिक है बल्कि जन सुरक्षा के लिए भी जोखिमपूर्ण है।

अदालत ने माना कि जब्त सामग्री की वापसी से NIA की जांच कमजोर होगी और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को सीधा नुकसान हो सकता है।

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Kanha Tiwari

छत्तीसगढ़ के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से लोक जन-आवाज को सशक्त बनाते हुए पत्रकारिता की अगुआई की है।

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