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Bilaspur Highcourt News:– हाईकोर्ट का हस्तक्षेप: सीबीएसई छात्रों को खेलों से वंचित करने पर DPI से मांगा जवाब,दो न्यायमित्र नियुक्त,

Bilaspur Highcourt News:– छत्तीसगढ़ के सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने से रोकने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ कर दी है। इस विषय को छात्रों के अधिकारों और व्यापक जनहित से जुड़ा मानते हुए कोर्ट ने लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) से व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब तलब किया है। इसके साथ ही न्यायालय ने दो अधिवक्ताओं को अमाइक्स क्यूरी (न्यायमित्र) के रूप में नियुक्त किया है।

बिलासपुर | राज्य स्तरीय खेलों से सीबीएसई छात्रों को बाहर रखने के मुद्दे पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि यह केवल एक विद्यार्थी की बात नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के हजारों छात्र-खिलाड़ियों के भविष्य और समान अवसर के अधिकार से जुड़ा गंभीर मामला है।

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इस प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली पीठ में हुई। पहले तो छात्र की ओर से दाखिल याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया था, परंतु बाद में अदालत ने मामले की संवैधानिक और सामाजिक गंभीरता को समझते हुए स्वतः संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका में तब्दील कर लिया।

शिकायतकर्ता की व्यथा बनी जनहित का आधार

याचिका एक ब्लॉक स्तर के छात्र-खिलाड़ी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उसने आरोप लगाया कि सीबीएसई स्कूल का छात्र होने के कारण उसे राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में भाग लेने से रोक दिया गया, जबकि वह पहले ही ब्लॉक स्तर पर चयनित हो चुका था। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राज्य स्तरीय चयन के बिना राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में स्थान पाना संभव नहीं है, जिससे उसके खेल कैरियर पर सीधा असर पड़ा है।

संविधान के समानता अधिकार का उल्लंघन:– याचिका में आरोप

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छात्र ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार की मौजूदा खेल नीति के कारण हजारों सीबीएसई छात्रों को राज्य स्तरीय खेलों से वंचित किया जा रहा है, जो न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का हनन है, बल्कि खेल प्रतिभाओं के साथ अन्याय भी है। अदालत ने इस तथ्य को गंभीर मानते हुए कहा कि इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा – यह सिर्फ एक छात्र नहीं, नीति की पारदर्शिता का प्रश्न है

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “यह मामला महज एक छात्र की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता, नीति में समानता और बच्चों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ मसला है।”

न्यायमित्र नियुक्त, DPI को दिया गया स्पष्ट आदेश

कोर्ट ने इस मुद्दे की निष्पक्ष जांच और प्रभावी समाधान के लिए एडवोकेट सूर्या कंवलकर डांगी और एडवोकेट अदिति सिंघवी को न्यायमित्र (Amicus Curiae) नियुक्त किया है। ये दोनों अधिवक्ता कोर्ट की सहायता करते हुए नीति, विधिक पक्ष और छात्रों के हितों पर प्रकाश डालेंगे।

साथ ही, कोर्ट ने लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) को निर्देशित किया है कि वह व्यक्तिगत शपथपत्र पर यह स्पष्ट करे कि सीबीएसई छात्रों को राज्य स्तरीय खेलों में भाग लेने से क्यों रोका गया। DPI को अपने उत्तर में शासनादेश, नीति और कानूनी आधार भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने होंगे।

7 अगस्त को अगली सुनवाई तय

बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस महत्वपूर्ण जनहित याचिका की अगली सुनवाई 7 अगस्त 2025 को निर्धारित की है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि DPI इस तिथि से पूर्व अपना विस्तृत उत्तर कोर्ट में दाखिल करे।

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