ChhattisgarhINDIAछत्तीसगढ़देश - विदेशबड़ी ख़बरबिलासपुरराज्य एवं शहरसारंगढ़-बिलाईगढ़हाईकोर्ट

Bilaspur Highcourt News:– जेल में कैदियों से मारपीट मामले में दो अफसर जांच में दोषी पाए गए,एक को सजा दी गई, दूसरे पर कार्रवाई आयोग की मंजूरी पर अटकी है.

Bilaspur Highcourt News:– कैदियों के अधिकारों पर जब जेल के भीतर ही हमला हो जाए, तो न्याय की आखिरी उम्मीद अदालत ही बनती है। छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ उपजेल में कैदियों से मारपीट का मामला ऐसा ही एक उदाहरण बन गया, जहां जेल के भीतर कानून के रक्षक ही नियम तोड़ते नज़र आए। बिलासपुर हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद इस मामले की जांच हुई और दो जेल अधिकारियों को दोषी पाया गया। अब एक अधिकारी को सजा दी जा चुकी है जबकि दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया आयोग की मंजूरी पर अटकी हुई है। यह प्रकरण केवल प्रशासनिक जवाबदेही की परीक्षा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जेल के अंदर बंद कैदियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अदालत कितनी सतर्क है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Bilaspur Highcourt News:–बिलासपुर। उपजेल सारंगढ़ में कैदियों के साथ मारपीट के गंभीर प्रकरण में बिलासपुर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद की गई जांच में दो जेल अधिकारी दोषी पाए गए हैं। जेल विभाग के विधि अधिकारी ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर बताया कि एक अधिकारी को विभागीय दंड दिया जा चुका है, जबकि दूसरे अधिकारी पर कार्रवाई के लिए लोक सेवा आयोग से अनुमति मांगी गई है, जो अब तक लंबित है।

हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई में राज्य शासन से यह पूछा था कि वार्डन महेश्वर हिचामी और सहायक जेल अधीक्षक संदीप कुमार कश्यप के खिलाफ जांच में क्या निष्कर्ष निकले और उन पर क्या कार्रवाई हुई है। इसके जवाब में जेल प्रशासन की ओर से प्रस्तुत हलफनामे में बताया गया कि दोनों के विरुद्ध लगे आरोपों की पुष्टि हो चुकी है।

  देशभर में ट्रांसपोर्टर की हड़ताल खत्म, नया कानून फिलहाल लागू नहीं होने के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म

जानकारी के अनुसार, महेश्वर हिचामी पर लगे आरोप सही पाए गए और उसे दो वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की सजा दी गई है। यह आदेश हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया गया। दूसरी ओर, संदीप कुमार कश्यप के खिलाफ भी आरोप प्रमाणित हुए हैं, लेकिन वे लोक सेवा आयोग के अधीन अधिकारी होने के कारण विभाग ने उनकी सजा के लिए पीएससी से अनुमति मांगी है। आयोग को रिमाइंडर भेजा गया है, लेकिन निर्णय अब तक नहीं आया है। अदालत में इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में निर्धारित है।

पहले ही हो चुका है निलंबन

इस पूरे मामले की प्रारंभिक जांच बिलासपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक खोमेश मंडावी ने 28 फरवरी को की थी। जांच में दोष सामने आने पर तत्काल सहायक जेल अधीक्षक संदीप कश्यप और दो प्रहरियों को निलंबित कर दिया गया था। बाद में विभागीय कार्रवाई की गई, जिसमें दोनों प्रमुख अफसर दोषी करार दिए गए।

मौलिक अधिकारों से जुड़ा मामला

सारंगढ़ जेल में कैदियों से मारपीट का यह मामला अदालत की विशेष निगरानी में है, क्योंकि यह बंदियों के मानवाधिकार और जेल प्रशासन की जवाबदेही से जुड़ा हुआ है। हाईकोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि दोषियों को बिना देरी के सजा मिलनी चाहिए। अब कोर्ट इस बात पर नजर बनाए हुए है कि शासन और विभाग कितनी तत्परता से कार्रवाई को अंजाम देते हैं।

Was this article helpful?
YesNo

Live Cricket Info

Related Articles

Back to top button