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Bilaspur Highcourt News:– दो साल तक एलएलबी करने वाले कर्मचारी को फाइनल ईयर से रोकना गलत, हाईकोर्ट ने कहा—यह कर्मचारी के कैरियर के खिलाफ

Bilaspur Highcourt News:– जिला न्यायालय में पदस्थ सहायक ग्रेड–3 कर्मचारी को एलएलबी के पहले व दूसरे वर्ष की पढ़ाई की अनुमति मिलने के बावजूद अंतिम वर्ष की पढ़ाई से रोका गया था। निचली अदालत और रजिस्ट्रार जनरल के इस निर्णय को चुनौती देने पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कर्मचारी को अंतिम वर्ष की पढ़ाई से रोकना उसके भविष्य को नुकसान पहुंचाने वाला कदम है।

Bilaspur। बिलासपुर हाईकोर्ट ने रायपुर जिला न्यायालय में काम कर रहे सहायक ग्रेड–3 अजीत चौबेलाल गोहर को एलएलबी तृतीय और अंतिम वर्ष की पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दे दी है। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने इस संबंध में निचली अदालत और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा पारित आदेशों को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि कर्मचारी को दो वर्षों की पढ़ाई की पूर्व अनुमति मिल चुकी है, ऐसे में अंतिम वर्ष पर रोक लगाना उसके कैरियर को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा।

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याचिकाकर्ता अजीत गोहर ने वर्ष 2023–24 में एलएलबी प्रथम वर्ष की पढ़ाई के लिए अनुमति प्राप्त की थी। इसके बाद 2024–25 में उन्होंने दूसरे वर्ष की पढ़ाई भी अनुमति लेकर पूरी की। तीसरे वर्ष में एडमिशन व क्लास जारी रखने के लिए उन्होंने आवेदन दिया, लेकिन रायपुर जिला एवं सत्र न्यायालय के प्रिंसिपल जज ने 4 सितंबर 2025 को इसे खारिज कर दिया। बाद में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने भी 31 अक्टूबर 2025 को उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया। दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

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कर्मचारी ने दी दलील—क्लास और कोर्ट का समय अलग, काम पर असर नहीं

याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में कहा कि एलएलबी की कक्षाएं सुबह 7 से 10 बजे तक चलती हैं, जबकि कोर्ट का काम सुबह 10:30 बजे शुरू होता है। इसलिए पढ़ाई करने से अदालत के कार्य में कोई व्यवधान नहीं आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर वे अपने सभी दायित्व समय पर पूरा कर सकेंगे।

हाईकोर्ट की टिप्पणी—पहले दो वर्षों की अनुमति वैध, अंतिम वर्ष से रोकना अनुचित

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि चूंकि कर्मचारी को दो वर्षों की पढ़ाई की अनुमति पहले ही विधिवत दी जा चुकी है, इसलिए तीसरे वर्ष में प्रवेश रोकना न केवल उनके भविष्य के प्रतिकूल है, बल्कि यह धारणा भी गलत है कि पूर्व में दी गई अनुमतियां अवैध थीं। अदालत ने छत्तीसगढ़ जिला न्यायपालिका स्थापना (भर्ती एवं सेवा की शर्तें) कर्मचारी नियम 2023 के नियम 47 का हवाला देते हुए कहा कि पिछली अनुमति नियमों के अनुरूप वैध मानी जाएगी और इसे निरस्त करने का कोई ठोस आधार नहीं है।

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