Bilaspur Highcourt News:– हाईवे जाम कर रील बनाने वाले रसूखदारों पर कमजोर कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से पूछा– क्या गाड़ियां जब्त नहीं की जानी चाहिए थी?

Bilaspur Highcourt News:– बिलासपुर। नेशनल हाईवे पर रील बनाकर अपनी पहुंच का प्रदर्शन करने वाले प्रभावशाली युवकों पर केवल चालान की औपचारिक कार्रवाई करने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सोमवार को सुनवाई की। अदालत ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि पुलिस ने अन्य मामलों की तरह इस बार भी गाड़ियां जब्त करने और सख्त धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज करने की पहल क्यों नहीं की?
Bilaspur Highcourt News:– हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि रसूखदार युवकों के सामने केवल दिखावे की कार्रवाई कर पुलिस ने अपने कर्तव्यों से किनारा किया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने सरकार से यह भी पूछा है कि आखिर मोटर व्हीकल एक्ट के अतिरिक्त अन्य कठोर धाराएं क्यों नहीं जोड़ी गईं? अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले में लापरवाही और भेदभावपूर्ण रवैया स्वीकार्य नहीं है।
बिलासपुर। बिलासपुर–रतनपुर नेशनल हाईवे क्रमांक 130 पर हाल ही में कुछ युवकों द्वारा सड़क पर गाड़ियों की कतार लगाकर रील बनाई गई। बताया गया कि रायपुर रोड स्थित टोयोटा शोरूम से फॉर्च्यूनर वाहन खरीदने के बाद युवकों ने कोनी थाना क्षेत्र अंतर्गत मुख्य मार्ग पर गाड़ियों का काफिला रोक दिया और पूरे हाईवे को जाम कर दिया।
इस दौरान सड़क पर आवागमन पूरी तरह प्रभावित रहा, जिससे राहगीरों को खासी परेशानी उठानी पड़ी। रील शूट के लिए बाकायदा स्टूडियो से फोटोग्राफर और ड्रोन कैमरा बुलाया गया था। युवकों ने रील को सोशल मीडिया में धौंस भरे अंदाज़ में पोस्ट भी किया, जिसके बाद आलोचना तेज होने पर संबंधित सोशल मीडिया आईडी को डिलीट कर दिया गया।
दो दिनों तक वीडियो वायरल होता रहा, लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब मामला मीडिया की सुर्खियों में आया, तब कोनी पुलिस ने महज औपचारिकता निभाते हुए सात गाड़ियों पर दो-दो हजार रुपये का चालान कर मामला शांत कर दिया।
ना तो नेशनल हाईवे जाम करने पर बीएनएस की धाराओं में अपराध दर्ज किया गया और ना ही अन्य मामलों की तरह पुलिस ने रसूखदार युवाओं का फोटो या फिर नाम सोशल मीडिया में जारी किया। पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट में केवल 6 गाड़ियों पर 12 हजार रुपए जुर्माना करने का उल्लेख किया गया था। बाद में एक अन्य गाड़ी पर भी जुर्माना किया गया। पुलिस की इस कार्यवाही पर जमकर सवाल उठे थे और सोशल मीडिया में बिलासपुर पुलिस को ट्रोल किया गया था।
उक्त मामले को हाईकोर्ट ने आज स्वतः संज्ञान लिया
कॉज लिस्ट में यह मामला 19वें स्थान पर सूचीबद्ध था। लंच ब्रेक से पहले चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने इसकी सुनवाई की। सुनवाई के दौरान पुलिस द्वारा केवल औपचारिक चालानी कार्रवाई किए जाने पर चीफ जस्टिस ने कड़ी नाराज़गी जताई। हाईवे अवरुद्ध करने वाली लग्जरी गाड़ियों को जब्त न किए जाने को लेकर पीठ ने तीखे सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दूसरे मामलों में पुलिस वाहन जब्त कर थाने में खड़ा कर देती है, लेकिन इस मामले में न तो वाहन जब्त किए गए और न ही मोटर व्हीकल एक्ट की अन्य धाराएं लगाई गईं।हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि पुलिस ने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं, और मोटर व्हीकल एक्ट के साथ–साथ अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई कर वाहन जब्त क्यों नहीं किए गए? अदालत ने सरकार को अगली सुनवाई में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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