Bilaspur News:– सुप्रीम कोर्ट से मिशन हॉस्पिटल को बड़ी राहत, तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक, यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश

Bilaspur News:– क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड ऑफ मिशन की लीज निरस्तीकरण मामले में दाखिल याचिका सोमवार को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच से खारिज होने के बाद मंगलवार को नगर निगम ने मिशन हॉस्पिटल कैंपस के आवासीय भवनों को गिराने की कार्यवाही शुरू कर दी थी। वहीं बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए निगम की कार्रवाई पर रोक लगा दी। अदालत ने मौजूदा निर्माण और कब्जे की स्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है। आदेश प्राप्त होते ही निगम ने जारी तोड़फोड़ अभियान रोक दिया।
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शहर के मध्य स्थित मिशन हॉस्पिटल की लगभग 12 एकड़ भूमि की लीज निरस्त किए जाने के खिलाफ डिवीजन बेंच में याचिका दायर की गई थी, जिसे सोमवार को खारिज कर दिया गया। इसके बाद मंगलवार सुबह से नगर निगम की टीम ने परिसर के आवासीय भवनों को तोड़ना शुरू कर दिया था। वहीं बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए निगम की कार्रवाई पर स्थगन जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि निर्माण और कब्जे को लेकर वर्तमान स्थिति बनी रहनी चाहिए। साथ ही आदेश की प्रति बिलासपुर कलेक्टर को तुरंत भेजने के निर्देश दिए।
शहर के बीच स्थित मिशन हॉस्पिटल की जमीन क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड ऑफ मिशन को नजूल विभाग से लीज पर दी गई थी। बताया जाता है कि लगभग 27 वर्ष पूर्व इसकी लीज की अवधि समाप्त हो गई थी, पर उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया था। बाद में लीज नवीनीकरण हेतु नजूल विभाग में आवेदन किया गया, लेकिन विभाग ने आवेदन अस्वीकार करते हुए लीज शर्तों के उल्लंघन का हवाला देकर लीज निरस्त कर दी। इसके बाद उक्त भूमि को नजूल संपत्ति घोषित कर नगर निगम को आबंटित करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसी क्रम में मिशन हॉस्पिटल के पुराने भवनों को पहले ही प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था, किंतु आवासीय हिस्से को तोड़ा नहीं जा सका था।
पूर्व में जस्टिस बी.डी. गुरु की सिंगल बेंच ने क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड ऑफ मिशन की याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक अस्थायी रोक लगाई थी। लेकिन अंतिम सुनवाई के बाद अदालत ने प्रशासनिक निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।
डिवीजन बेंच में भी खारिज हुई अपील –
सिंगल बेंच के निर्णय के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि चांटापारा स्थित प्लॉट नंबर 20 और 21 उन्हें 1959 की भूमि राजस्व संहिता की धारा 158(3) के तहत आवंटित किए गए थे और 1882 से वे धार्मिक, शैक्षिक और धर्मार्थ कार्य कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने अस्पताल, नर्सिंग स्कूल और चैपल से संबंधित विवरण प्रस्तुत करते हुए शासन पर अनुचित बेदखली का आरोप लगाया। किंतु हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इन सभी तर्कों को अस्वीकार करते हुए जिला प्रशासन के निर्णय को उचित ठहराया और अपील खारिज कर दी।
हाईकोर्ट का फैसला आने के अगले ही दिन मंगलवार सुबह करीब 5 बजे नगर निगम के अमले ने मिशन हॉस्पिटल परिसर में निवासरत लगभग 35 परिवारों के मकानों को तोड़ना प्रारंभ कर दिया। कई भवनों को ढहा दिया गया, जिससे परिसर में रह रहे परिवारों में अफरा-तफरी और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इसी बीच क्रिश्चियन विमेंस बोर्ड ऑफ मिशन ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बुधवार को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत प्रदान की और नगर निगम की तोड़फोड़ कार्रवाई पर तत्काल रोक लगा दी। अदालत ने आदेश दिया कि निर्माण और कब्जे की मौजूदा स्थिति को यथावत रखा जाए।
तोड़फोड़ के दौरान विरोध और झूमाझटकी –
तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में मसीही समाज के लोग स्थल पर एकत्रित हुए और निगम की कार्रवाई का विरोध किया। मौके पर पुलिस बल मौजूद था, लेकिन विरोध के दौरान निगम अमले और स्थानीय लोगों के बीच कहासुनी व झूमाझटकी भी हुई। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित रहने के बावजूद निगम ने जल्दबाजी में कार्रवाई की। वहीं, अदालत का आदेश प्राप्त होते ही निगम प्रशासन ने तोड़फोड़ की कार्यवाही को रोक दिया।
👉 सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब मिशन हॉस्पिटल परिसर की मौजूदा स्थिति यथावत बनी रहेगी, और मामले की अगली सुनवाई तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही पर रोक रहेगी।
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