Bilaspur News:– बिलासपुर प्रेस क्लब चुनाव में उठा बवाल – मतदाता सूची और नियमों की अनदेखी से भरोसा टूटा

Bilaspur News:– बिलासपुर प्रेस क्लब चुनाव में उठा बवाल – मतदाता सूची और नियमों की अनदेखी से भरोसा टूटा”
बिलासपुर। लोकतंत्र के प्रहरी कहलाने वाले पत्रकारों का अपना संगठन इन दिनों विवादों में घिरा है। शहर के प्रेस क्लब में होने वाले चुनाव को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है। पारदर्शिता की जगह अब अनियमितताओं और सवालों ने माहौल को गरमा दिया है।
मतदाता सूची पर उठे सवाल
चुनाव में सबसे ज्यादा विवाद मतदाता सूची को लेकर खड़ा हुआ है। आरोप है कि इसमें ऐसे लोगों के नाम भी शामिल कर दिए गए हैं, जिनका पत्रकारिता से कोई संबंध नहीं है। यही नहीं, अंतिम मतदाता सूची बिना दावा-आपत्ति आमंत्रित किए जारी कर दी गई, जो नियमों का उल्लंघन है। वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ बताया है।
ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं, प्रशासन सख्त
मामले को और गंभीर तब माना जाने लगा जब पता चला कि प्रेस क्लब की ऑडिट रिपोर्ट कई सालों से दाखिल ही नहीं की गई है। इस गड़बड़ी की शिकायत कुछ पत्रकारों ने कलेक्टर और पंजीयक फर्म एवं सोसायटी से की। कलेक्टर ने इस पर कड़ा रुख दिखाते हुए कहा कि नियमों के विपरीत कोई कार्य स्वीकार नहीं होगा। इसके बाद चुनाव अधिकारी की निष्पक्षता भी सवालों के घेरे में आ गई है।
नए सदस्य भी बने मतदाता
परंपरा के अनुसार नए सदस्यों को तुरंत वोटिंग अधिकार नहीं दिया जाता, लेकिन इस बार केवल एक हफ्ते पहले जोड़े गए सदस्यों को भी मतदान का अधिकार दे दिया गया। इस नियम तोड़ने से वरिष्ठ पत्रकारों में नाराज़गी है और उन्होंने इसे चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करार दिया है।
चौथा स्तंभ खुद कटघरे में
प्रेस क्लब का यह विवाद केवल संगठनात्मक राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि पत्रकारिता की गरिमा को भी ठेस पहुँचा रहा है। समाज की खामियों को उजागर करने वाले पत्रकार यदि अपनी संस्था में ही नियमों की अनदेखी पर चुप रहें, तो यह स्थिति लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करती है।