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Bilaspur News:– धान तस्करी का संगठित खेल, प्रशासनिक नाकामी या विभागीय मिलीभगत? सरकारी खजाने को पहुंच रहा करोड़ों के नुकसान

धान खरीदी के बीच अवैध तस्करी बेलगाम,रात के अंधेरे में धान का कारोबार, अधिकारियों की अनदेखी,सरकारी खजाने को पहुंच रहा भारी नुकसान भारी!

Bilaspur बिलासपुर।छत्तीसगढ़ में देश के सबसे ऊंचे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बावजूद अवैध धान कारोबार पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है। खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 के तहत 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू होते ही बिलासपुर जिले में संगठित धान तस्करी का नेटवर्क सक्रिय हो गया। स्थिति यह है कि निगरानी की जिम्मेदारी संभाल रहे खाद्य और राजस्व विभाग की निष्क्रियता के चलते शासन को लाखों–करोड़ों रुपये के नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

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कोटा से रतनपुर तक फैला अवैध नेटवर्क
गनियारी, तखतपुर, कोटा और बेलगहना से लेकर रतनपुर, खैरा और चपोरा तक अवैध धान परिवहन का जाल बिछा हुआ है। पिकअप, माजदा और छोटे ट्रकों के माध्यम से रात के अंधेरे में धान की खेप एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाई जा रही है। कोटा क्षेत्र से बिल्लीबंद और कंचनपुर होते हुए चपोरा जाने वाला मार्ग तस्करों का सुरक्षित कॉरिडोर बन चुका है।

सस्ते में खरीदी, MSP पर बिक्री
सूत्रों के मुताबिक तस्कर किसानों से कम दामों में धान खरीदते हैं और उसे कुछ किसानों के घरों में अस्थायी रूप से जमा कर बाद में उन्हीं किसानों के नाम पर समर्थन मूल्य पर बेच देते हैं। किसानों को मामूली राशि देकर दलाल और तस्कर बड़ा मुनाफा हड़प लेते हैं।

बैंक में आम किसान लाइन में, दलाल के साथ VIP एंट्री
धान बिक्री के बाद जब किसान बैंक पहुंचते हैं तो उन्हें घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है, लेकिन वही किसान यदि दलालों के साथ पहुंचें तो भुगतान तुरंत हो जाता है। इस व्यवस्था ने पूरे तंत्र की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्रामीणों ने उजागर की रात की सच्चाई
बिल्लीबंद और कंचनपुर के ग्रामीणों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि गाँव मे तेज रफ्तार पिकअप को रोका गया। जिसमें तेज रफ्तार न चलाने समझाइश देकर छोड़ा गया ग्रामीणों के पूछे जाने पर चालक ने स्वीकार किया कि वह भाड़म गनियारी से धान लेकर तेंदुभाटा पुडू गांव जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा धान मांगने पर चालक ने कहा—“मालिक से बात कर लेना, जितना चाहिए मिल जाएगा।”

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पुलिस की कार्रवाई, विभागों पर सवाल
हाल ही में रतनपुर पुलिस ने अवैध धान परिवहन करते हुए एक वाहन जब्त किया। वहीं रात्रि गश्त के दौरान हाइवे पर बारिडीह गांव के पास 150 कट्टी धान से भरी माजदा भी पकड़ी गई। इन कार्रवाइयों के बाद खाद्य विभाग और उड़नदस्ता टीम की भूमिका पर सवाल और गहरे हो गए हैं। कोटा में फूड, मंडी, राजस्व और अन्य विभागों के कार्यालय मौजूद होने के बावजूद तस्करी का खुलेआम जारी रहना या तो गंभीर लापरवाही है या फिर मिलीभगत का संकेत।

उड़नदस्ता और खाद्य विभाग की भूमिका पर सवाल चिंताजनक बात यह है कि कोटा में खाद्य, मंडी, राजस्व सहित अन्य विभागों के कार्यालय और उड़नदस्ता टीम की मौजूदगी के बावजूद अवैध धान परिवहन पर प्रभावी रोक नहीं लग पाई है। स्थानीय किसानों और व्यापारियों का आरोप है कि उड़नदस्ता टीम और फूड इंस्पेक्टर दिन में औपचारिक निरीक्षण तक सीमित रहते हैं, जबकि बड़े तस्करों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। 20–30 क्विंटल के वैध लाइसेंस की आड़ में रात के समय 50–60 क्विंटल धान खपाया जा रहा है।

सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो बढ़ेगा नुकसान – विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रशासन ने तत्काल ठोस, पारदर्शी और जवाबदेह कार्रवाई नहीं की, तो बिलासपुर जिले में अवैध धान तस्करी और अधिक संगठित रूप ले सकती है। इसका सीधा असर सरकारी राजस्व पर पड़ेगा और धान खरीदी व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी गंभीर आंच आएगी। फिलहाल, हालात यह संकेत दे रहे हैं कि विभागीय निष्क्रियता के बीच पुलिस की कार्रवाई ही इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने की एकमात्र उम्मीद बनी हुई है।

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